facebookmetapixel
Editorial: भारत में अनुबंधित रोजगार में तेजी, नए रोजगार की गुणवत्ता पर संकटडबल-सर्टिफिकेशन के जाल में उलझा स्टील सेक्टर, QCO नियम छोटे कारोबारियों के लिए बना बड़ी चुनौतीस्लैब और रेट कट के बाद, जीएसटी में सुधार की अब आगे की राहइक्विटी म्युचुअल फंड्स में इनफ्लो 22% घटा, पांच महीने में पहली बार SIP निवेश घटाGST मिनी बजट, लार्जकैप के मुकाबले मिडकैप और स्मॉलकैप में जो​खिम: शंकरन नरेनAIF को मिलेगी को-इन्वेस्टमेंट योजना की सुविधा, अलग PMS लाइसेंस की जरूरत खत्मसेबी की नॉन-इंडेक्स डेरिवेटिव योजना को फ्यूचर्स इंडस्ट्री एसोसिएशन का मिला समर्थनभारत की चीन को टक्कर देने की Rare Earth योजनानेपाल में हिंसा और तख्तापलट! यूपी-नेपाल बॉर्डर पर ट्रकों की लंबी लाइन, पर्यटक फंसे; योगी ने जारी किया अलर्टExpanding Cities: बढ़ रहा है शहरों का दायरा, 30 साल में टॉप-8 सिटी में निर्मित क्षेत्रफल बढ़कर हुआ दोगुना

नहीं रहे श्याम बेनेगल; निशांत, मंथन, जुबैदा जैसी फिल्मों के रचनाकार ने 90 साल की उम्र में ली आखिरी सांस

बेनेगल को अंकुर (1973), निशांत (1975), मंथन (1976), भूमिका (1977), मम्मो (1994), सरदारी बेगम (1996) और ज़ुबैदा (2001) जैसी प्रतिष्ठित फिल्मों के निर्देशन के लिए जाना जाता है।

Last Updated- December 25, 2024 | 6:24 PM IST
Shyam Benegal

दिग्गज फिल्म निर्माता श्याम बेनेगल का सोमवार को मुंबई के वॉकहार्ट अस्पताल में निधन हो गया। वह 90 वर्ष के थे। उनका क्रोनिक किडनी  रोग का इलाज चल रहा था।

लाइफस्टाइल और मनोरंजन पत्रिका फिल्मफेयर ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर खबर की घोषणा करते हुए कहा, “निर्देशक और पटकथा लेखक श्याम बेनेगल का 90 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने मुंबई के वॉकहार्ट अस्पताल में शाम 6.30 बजे अंतिम सांस ली। उनके अंतिम संस्कार का समय बाद में घोषित किया जाएगा। हम दोस्तों, परिवार और प्रशंसकों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं।”

14 दिसंबर, 1934 को हैदराबाद में जन्मे बेनेगल कोंकणी भाषी चित्रपुर सारस्वत ब्राह्मण परिवार से थे। उनके पिता श्रीधर बी बेनेगल एक फोटोग्राफर थे, जिनके जुनून ने श्याम को फिल्म निर्माण में शुरुआती रुचि के लिए प्रेरित किया। 12 साल की उम्र में, श्याम ने अपने पिता द्वारा उपहार में दिए गए कैमरे का उपयोग करके अपनी पहली फिल्म बनाई। बाद में उन्होंने हैदराबाद के उस्मानिया विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में मास्टर डिग्री हासिल की, जहाँ उन्होंने हैदराबाद फिल्म सोसाइटी की स्थापना की, जिसने सिनेमा में उनके उल्लेखनीय सफर की नींव रखी।

बेनेगल को अंकुर (1973), निशांत (1975), मंथन (1976), भूमिका (1977), मम्मो (1994), सरदारी बेगम (1996) और ज़ुबैदा (2001) जैसी प्रतिष्ठित फिल्मों के निर्देशन के लिए जाना जाता है।

उन्हें भारत सरकार ने 1976 में पद्म श्री और 1991 में पद्म भूषण से सम्मानित किया था।

 

First Published - December 23, 2024 | 8:49 PM IST

संबंधित पोस्ट