सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने करीब 25 ओटीटी (ओवर-द-टॉप) प्लेटफॉर्मों की वेबसाइटों और ऐप्स को अश्लील, भद्दी और नग्नता भरी (पोर्नोग्राफिक) सामग्री दिखाने की वजह से ब्लॉक करने का निर्देश दिया है। इनमें बालाजी टेलीफिल्म्स का ऑल्ट और उल्लू भी शामिल हैं।
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 और आईटी नियम, 2021 के प्रावधानों का इस्तेमाल करते हुए विभिन्न मध्यस्थों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि संबंधित वेबसाइटों और ऐप्स की सेवाएं बंद कर दी जाएं। ऐसी सामग्री वाली करीब 26 वेबसाइटों और 14 ऐप्लिकेशन (गूगल प्ले स्टोर पर नौ और ऐपल ऐप स्टोर पर पांच) को ब्लॉक कर दिया गया है।
ब्लॉक किए गए स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म की फेहरिस्त में बिग शॉट्स ऐप, देसीफ्लिक्स, बूमेक्स, नियॉनएक्स वीआईपी, नवरस लाइट, गुलाब ऐप, कंगन ऐप, बुल ऐप, शोहिट, जलवा ऐप, वाउ एंटरटेनमेंट, लुक एंटरटेनमेंट, हिटप्राइम, फुगी, फेनियो, शोएक्स, सोल टॉकीज, अड्डा टीवी, ऑल्ट, हॉटएक्स वीआईपी, हलचल ऐप, मूडएक्स, ट्रिफ्लिक्स, उल्लू और मोजफ्लिक्स शामिल हैं।
सूचना-प्रसारण मंत्रालय के अनुसार सितंबर 2024 में इन सभी 25 प्लेटफॉर्मों को सूचना जारी की गई थीं। मगर मंत्रालय का दावा है कि इन प्लेटफॉर्म ने अश्लील और कुछ ने पोर्नोग्राफिक सामग्री प्रसारित करना जारी रखा। बिज़नेस स्टैंडर्ड इन सभी प्लेटफॉर्मों से उनकी प्रतिक्रिया जानने के लिए संपर्क नहीं कर सका। ऑल्ट ने बिज़नेस स्टैंडर्ड के ईमेल का जवाब नहीं दिया।
यह निर्णय विभिन्न सरकारी संगठनों जैसे गृह मंत्रालय, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, कानूनी मामलों के विभाग और उद्योग निकायों जैसे भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) और भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) तथा महिला अधिकारों और बाल अधिकारों के क्षेत्र के विशेषज्ञों के परामर्श के बाद लिया गया। स्ट्रीमिंग मंच पर ऐसी सामग्री बेहद आसानी से उपलब्ध है, जिससे दिशानिर्देशों या नियमों की कमी खल रही है।
मीडिया ऐंड एंटरटेनमेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सचिव अंकुर भसीन ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि भारत में ओटीटी प्लेटफॉर्म की सामग्री के लिए दिशानिर्देश तैयार करने की संभावना है। बच्चों को ध्यान में रखकर बनाए गए विज्ञापनों के लिए कुछ नियम हैं मगर स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म के लिए भी जरूरत है। भसीन ने कहा, ‘ओटीटी प्लेटफॉर्म का विस्तार उनकी सामग्री और दर्शकों के सामने बेहतर तरीके से खुद को व्यक्त करने के कराण हो रहा था। मगर ऐसा लग रहा है कि उनकी सामग्री पर कुछ नियम-कायदों की जरूरत है। इन नियमों से रचनात्मकता बिल्कुल नहीं घटेगी।’ एक अन्य मीडिया उद्योग विशेषज्ञ ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि बड़े या राष्ट्रीय स्तर के ओटीटी प्लेटफॉर्म ने अपनी सामग्री, विशेष रूप से धार्मिक और राजनीतिक विषयों के लिए स्व-नियमन शुरू कर दिए हैं।
अर्थशास्त्र लीगल के संस्थापक पार्टनर गौरव सहाय ने कहा, ‘मीडिया के माध्यम से महिलाओं को अपमानित करने या उन्हें किसी वस्तु की तरह पेश किया जाना, विशेष रूप से महिलाओं को अश्लील तरीके से दिखाया जाना प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगाने का आधार होता है। कानून सार्वजनिक स्थानों पर अश्लील सामग्री दिखाने या कोई अश्लील हरकत करने या इसका प्रसार करने को अपराध मानता है और अगर इसके विस्तार पर बात करें तो डिजिटल मीडिया भी सार्वजनिक नैतिकता मानकों से नहीं बच सकता है। भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक पूर्ण अधिकार नहीं है बल्कि यह उचित प्रतिबंधों के दायरे में है।’
उन्होंने आगे कहा, ‘प्लेटफॉर्म को ब्लॉक किए जाने का जोखिम है यदि सामग्री इन कानूनों का उल्लंघन करती है। प्रभावी रूप से, कानून सख्त निगरानी, बेहतर अनुपालन लागत और भारत के डिजिटल स्ट्रीमिंग क्षेत्र में रचनात्मक सीमाएं कम करके ओटीटी की स्वतंत्रता को नया स्वरूप दे रहे हैं।’
सहाय ने आगे कहा कि ओटीटी मंच को सावधानी बरतने, गैरकानूनी सामग्री को हटाने, नैतिकता से जुड़े कानूनों का पालन करने, शिकायत निवारण तंत्र को लागू करने और सामग्री की श्रेणी उम्र के हिसाब से निर्धारित करने की अनिवार्यता तय की गई है। बीटीजी अद्वय के अधिकारी विक्रम जीत सिंह ने कहा, ‘शुरुआती रिपोर्ट के अनुसार, ऐसा प्रतीत होता है कि ओटीटी चैनलों पर आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 67 और 67ए, भारतीय दंड संहिता की धारा 292 (पूर्व) और महिलाओं का अश्लील प्रतिनिधित्व (निषेध) अधिनियम, 1986 के तहत प्रतिबंध लगाया गया है।’