यदि इस वैलेन्टाइन डे पर आपको कोई प्रेम पत्र मिलता है तो उसे भलीभांति परख लें क्योंकि हो सकता है कि वह किसी व्यक्ति द्वारा नहीं बल्कि आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (AI) से लैस किसी मशीन द्वारा लिखा गया हो।
मैकेफे कॉर्प के एक अध्ययन के अनुसार, लोग अपने प्यार का इजहार करने के लिए चैटजीपीटी पर जा रहे हैं। सर्वेक्षण में शामिल 78 फीसदी भारतीयों ने माइक्रोसॉफ्ट समर्थित ओपन एआई सर्विस द्वारा लिखे गए प्रेम पत्र और किसी इंसान द्वारा लिखे गए प्रेम पत्र के बीच अंतर को आसानी से बता दिया।
सर्वेक्षण में शामिल सभी देशों में सबसे अधिक यानी 62 फीसदी भारतीय वयस्क इस वैलेन्टाइन डे पर अपने प्रेम पत्र लिखने में मदद करने के लिए एआई का उपयोग करने की योजना बना रहे हैं। उनमें से 73 फीसदी अपने डेटिंग प्रोफाइल को बढ़ावा देने के लिए एआई का उपयोग करेंगे।
मैकेफे की ‘मॉडर्न लव’ रिपोर्ट के तहत नौ देशों में 5,000 लोगों के बीच सर्वेक्षण कर पता लगाने की कोशिश की गई कि एआई और इंटरनेट किस प्रकार इंसान के प्यार और रिश्तों को बदल रहे हैं।
मैकेफे के मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी स्टीव ग्रॉबमैन ने कहा, ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता और खासकर चैटजीपीटी जैसे टूल्स की बढ़ती लोकप्रियता के साथ कोई भी वेब ब्राउजर के जरिये ऐक्सेस कर सकता है और इस प्रकार मशीन द्वारा तैयार जानकारी प्राप्त करने के अवसर बढ़ रहे हैं।
AI के उपयोग के कुछ मामले निर्दोष हो सकते हैं लेकिन हम जानते हैं कि साइबर अपराधी भी दुर्भावनापूर्ण गतिविधियों के लिए एआई का उपयोग करते हैं।’
एआई बॉट्स का उपयोग उन लोगों के लिए मददगार साबित हो सकता है जो अपनी भावनाओं को इजहार करने में शर्माते हैं। ऐसे में किसी उभरती हुई तकनीक का उपयोग करने में भले ही कोई नुकसान न दिख रहा हो लेकिन यह उन पहचान संबंधी उन चुनौतियों की ओर इशारा करता है कि ऑनलाइन प्राप्त होने वाली सूचना किसी व्यक्ति ने लिखी है अथवा मशीन द्वारा लिखी गई है।
सबसे अधिक यानी 60 फीसदी भारतीयों ने 1952 की मूल अमेरिकी कविता ‘आई कैरी योर हार्ट विथ मी’ की शैली में मशीन द्वारा लिखी गई प्रेम पंक्तियों को पसंद किया।
सर्वेक्षण में शामिल 59 फीसदी लोगों ने कहा कि एआई के जरिये छिपकर लिखने का प्रमुख कारण यह है कि इससे प्रेषक कहीं अधिक भरोसा दिखता है। जबकि 32 फीसदी लोगों ने समय के अभाव और 26 फीसदी लोगों ने प्रेरणा की कमी को इसका मुख्य कारण बताया।
इसी प्रकार 14 फीसदी लोगों का कहना था कि एआई के उपयोग से यह कहीं तेज और आसान हो गया है और उन्हें भरोसा था कि वे पकड़े नहीं जाएंगे। 57 फीसदी प्रतिभागियों ने कहा कि यदि प्राप्त करने वालों को पता चला कि उन्हें जो पत्र मिला है उसे किसी मशीन द्वारा तैयार किया गया है तो उन्हें बुरा लगेगा।
ग्रॉबमैन ने कहा, ‘वैलेन्टाइन डे नजदीक है। ऐसे में सतर्क रहना और सुरक्षा उपायों का प्रयोग करना महत्त्वपूर्ण है। इससे आपकी गोपनीयता एवं पहचान को सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी और आप किसी स्कैमर द्वारा भेजे जाने वाले दुर्भावनापूर्ण लिंक पर क्लिक करने से बच सकते हैं। किसी संभावित साथी से चैट करते समय भले ही आप लापरवाह हो जाएं लेकिन यदि वह आपसे पैसे या किसी व्यक्तिगत जानकारी के लिए संदिग्ध अनुरोध करे तो सतर्क हो जाएं।’
डेटिंग वेबसाइट अथवा सोशल मीडिया चैनल नए प्यार का इजहार करने का एक सामान्य तरीका हो सकता है। मगर, मैकेफे के अध्ययन से पता चलता है कि वास्तविक और फर्जी पत्रों के बीच अंतर को समझना भी अधिक कठिन नहीं है।
वास्तव में, 76 फीसदी भारतीयों ने कहा कि जब कोई व्यक्ति यह दिखावा करने की कोशिश करता है कि वह ऑनलाइन नहीं है तो उसे आसानी से पकड़ा जा सकता है।
इसके अलावा वैश्विक स्तर पर 66 फीसदी के मुकाबले 89 फीसदी भारतीय प्रतिभागियों ने बताया कि उन्होंने सोशल मीडिया पर अजनबियों के साथ सीधे बातचीत की है।
भारतीय वयस्कों तक पहुंचने के लिए किसी अजनबी द्वारा उपयोग किए जाने वाले सबसे आम प्लेटफॉर्म के बारे में पूछे जाने पर 64 फीसदी लोगों ने इंस्टाग्राम, 59 फीसदी लोगों ने व्हाट्सऐप और 51 फीसदी लोगों ने फेसबुक का नाम लिया।