भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के सर्वेक्षण के मुताबिक प्रोटीन पाउडर सहित 15 प्रतिशत पूरक आहार भारतीयों के लिए चिंता का विषय है। एफएसएसएआई की ओर से हाल में कराए गए सर्वे में 1.45 लाख प्रोटीन पाउडर के पैकेटों के नमूनों का परीक्षण किया गया, जिसमें से 4,890 नमूने स्वास्थ्य के लिए असुरक्षित पाए गए हैं, जबकि 16,582 नमूने कम गुणवत्ता के थे।
कम गुणवत्ता के पूरक आहार की बिक्री और वितरण पर लगाम लगाने के लिए वित्त वर्ष 2021-22 में सर्वेक्षण कराया गया था। स्वास्थ्य क्षेत्र के विशेषज्ञों ने भारत में पूरक आहार के खपत को लेकर चिंता जताई, जो युवा और फिटनेस को लेकर उत्साही लोगों में लोकप्रिय हो चुके हैं। इनका लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है और इससे हृदय संबंधी बीमारियां और किडनी की समस्याएं बढ़ रही हैं।
बहरहाल खाद्य नियामक ने कुछ नियम कानून अधिसूचित किए हैं, जिससे प्रोटीन पाउडर व अन्य पूरक आहारों के उत्पादन और बिक्री को नियमन के दायरे में लाया जा सके। भ्रामक विज्ञापन पर चिंता जताते हुए न्यूट्रीशन एडवोकेसी इन पब्लिक इंट्रेस्ट (एनएपीआई) के संयोजक डॉ अरुण गुप्ता ने कहा कि प्रोटीन पाउडर सवालों के घेरे में हैं अगर वे अल्ट्रा प्रॉसेस्ड फूड हैं या उनमें शुगर का स्तर ज्यादा है। इसका सेवन करने से गैर संचारी रोग बढ़ सकते हैं, जिनमें मधुमेह व कैंसर शामिल है।
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एनएपीआई के मुताबिक प्रोटीनेक्स में 100 ग्राम में 20 ग्राम चीनी होती है, डब्ल्यूएचओ के मुताबिक यह अल्ट्रा प्रॉसेस्ड फूड की श्रेणी में आता है। इसका विज्ञापन भ्रामक है। इसे लेकर एनएपीआई ने अमिताभ बच्चन सहित कई सेलिब्रिटीज को पत्र लिखकर खराब गुणवत्ता वाले अस्वास्थ्यकर उत्पादों का विज्ञापन न करने का अनुरोध किया है।