वैज्ञानिकों और व्यापारियों ने रॉयटर्स को बताया कि अब तक की सबसे ऊंची कीमतों के बाद किसानों को अधिक उपज वाली किस्मों और अच्छे मौसम की स्थिति के साथ रोपनी क्षेत्रों का विस्तार करने करने के बाद भारत का गेहूं उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने के लिए तैयार है। गेहूं का उच्च उत्पादन भारत को निर्यात के लिए प्रोत्साहित कर सकता है, जो दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा अनाज उत्पादक है।
अब भारत अनाज के निर्यात पर प्रतिबंध हटाने पर विचार कर सकता है और खाद्य कीमतों में लगातार उच्च मुद्रास्फीति पर चिंताओं को कम करने में मदद कर सकता है। भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान के निदेशक ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया, ‘अधिक क्षेत्र और अनुकूल मौसम के कारण इस वर्ष उत्पादन 11.2 करोड़ टन तक बढ़ सकता है।’
दुनिया के दूसरे सबसे बड़े गेहूं उपभोक्ता भारत ने मई 2022 में तापमान में अचानक वृद्धि के बाद उत्पादन में गिरावट आने पर निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। यहां तक की यूक्रेन पर रूस के आक्रमण से उत्पन्न वैश्विक कमी को पूरा करने के लिए निर्यात में तेजी भी आई थी।
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सरकार का अनुमान है कि 2022 में भारत का गेहूं उत्पादन 10.95 करोड़ टन से गिरकर 10.68 करोड़ टन हो गया। अनाज के निर्यात पर प्रतिबंध के बावजूद गेहूं की कीमतों में रिकॉर्ड वृद्धि इस साल के उत्पादन में कहीं बड़ी गिरावट का संकेत देती है।