भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बुधवार को कहा कि नियामक को वित्तीय समावेशन में किसी भी हालत में बेवजह बाधाएं खड़ी नहीं करनी चाहिए। साथ ही उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि विनियमन के व्यक्तिगत और कारोबारी प्रभाव पर भी ध्यान देना चाहिए। उन्होंने विनियामक के लिए जोखिम आधारित रवैये को अपनाने की सिफारिश की ताकि अनुपालन का बोझ कम से कम किया जा सके।
उनकी यह टिप्पणी फरवरी में मौद्रिक नीति बैठक में सचेत रवैया अपनाए जाने के अनुरूप है। उन्होंने इस बैठक में जोर दिया था कि भारतीय रिजर्व बैंक हरेक विनियमन की लागत और उसके लाभ में उचित संतुलन स्थापित करने का प्रयास करेगा।
उन्होंने वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) के प्राइवेट सेक्टर कोलेबरेटिव फोरम में बताया, ‘यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि विनियामक वित्तीय समावेशन में बेवजह बाधाएं खड़ी नहीं करें। हमें अनुपालन की जरूरतों को पूरा करने के लिए ग्राहकों के हितों और सुलभता का ध्यान रखने की आवश्यकता है।’ उन्होंने वित्तीय प्रणाली को धनशोधन और आतंकवाद को धन मुहैया कराने के खिलाफ अधिक सुरक्षित बनाए जाने के महत्त्व को उजागर किया। उन्होंने कहा कि इस दौरान नीति निर्धारकों को इसका ध्यान रखना चाहिए कि उनके उपाय अति उत्साही न हों और निवेश और वैध गतिविधियों को बाधित नहीं करें।
उन्होंने कहा, ‘लिहाजा हमें ऐसे कानूनों और विनियमन की जरूरत है जो संबंधित कार्य को बेहद सावधानीपूर्वक पूरा करें और केवल गैरकानूनी व अवैध गतिविधियों पर लक्षित हों। इनका ऐसे लापरवाह ढंग से इस्तेमाल न किया जाए जिससे अनजाने में ईमानदार प्रभावित हों।’ उन्होंने कहा कि विनियमन और कानूनी ढांचे को लागू करने के दौरान व्यक्तियों और कारोबारियों पर पड़ने वाले प्रभाव पर ध्यान रखा जाए। लिहाजा उन्होंने ऐसे में जोखिम आधारित तरीके अपनाने की सिफारिश की।
मल्होत्रा ने बताया कि भारत ने ग्राहकों को जोड़ने में डिजिटलीकरण को अपनाने और ग्राहकों की जांच-पड़ताल प्रक्रिया में लंबी छलांग लगाई है। मल्होत्रा ने कहा, ‘इसके शानदार उदाहरण डिजिटल केवाईसी और वीडियो केवाईसी हैं। सेंट्रल केवाईसी रिकार्डस रजिस्ट्री में 1 अरब डॉलर से अधिक रिकार्ड अपने में एक उदाहरण है। इसमें न केवल ग्राहकों के लिए केवाईसी को आसान व सहज बनाने बल्कि नियामक इकाइयों के लिए ग्राहक पहचान व कानून सम्मत बनाने की क्षमता है। लिहाजा ग्राहकों को जोड़ने का नया दौर शुरू होने की संभावनाएं हैं।’
उन्होंने चेताया कि केवाईसी प्रणाली को अधिक मजबूत, प्रभावी और दक्ष बनाए जाने की जरूरत है ताकि सभी नियामक इकाइयां परस्पर समन्वय कर सकें और सभी के लिए केवाईसी की प्रक्रिया आसान हो। एक ही व्यक्ति के लिए विभिन्न विनियमन इकाइयों में बेवजह कई बार केवाईसी नहीं करना पड़े।