नई विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) में गैर-राजकोषीय उपायों से भारतीय निर्यात को प्रतिस्पर्धी बनाने पर जोर दिया जा सकता है। यह मौजूदा विदेश व्यापार नीति की तुलना में अहम बदलाव होगा, जो विभिन्न प्रोत्साहन संचालित योजनाओं पर केंद्रित है।
नई विदेश व्यापार नीति पेश किए जाने के पहले निर्यातकों ने कहा है कि एक समग्र नीतिगत रणनीति बनाई जानी चाहिए, जिससे वस्तुओं व सेवाओं के निर्यात को प्रोत्साहित किया जा सके। उन्होंने कहा कि यह पर्याप्त रूप से लचीली होनी चाहिए, जिससे दो साल से अधिक समय से चल रही विभिन्न वैश्विक अनिश्चितताओं और भू-राजनीतिक चुनौतियों का सामना किया जा सके।
नीति में इस पर प्रकाश डाला जा सकता है कि कोविड-19 के बाद भारत वैश्विक मूल्य श्रृंखला के साथ कैसे एकीकृत होना चाहतात है। इसके लिए एकीकरण पहले से ही शुरू हो चुका है। साथ ही इसमें बताया जा सकता है कि किन वजहों से समेकन प्रभावित हुआ है। ‘निर्यात केंद्र के रूप में जिला’ जैसी योजनाओं को एफटीपी के माध्यम से बल दिया जा सकता है। इस मामले से जुड़े एक व्यक्ति ने कहा कि इसके साथ ही निर्यात के लिए लॉजिस्टिक्स लागत कम करने जैसे मसलों पर भी जोर दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि ई-कॉमर्स पर एक अलग अध्याय डालने पर भी विचार किया जा रहा है क्योंकि ई-कॉमर्स कारोबार बहुत तेजी से पांव पसार रहा है।
फेडरेशन आफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) के महानिदेशक और मुख्य कार्याधिकारी अजय सहाय कहते हैं, ‘विदेश व्यापार नीति में भारतीय निर्यात को एक लाख डॉलर तक पहुंचाने के लिए एक रोडमैप तैयार किया जाना चाहिए और इसे इतना लचीला होना चाहिए कि किसी घटना के कारण आने वाले संभावित झटके से निपटा जा सके।’वाणिज्य मंत्रालय द्वारा इस महीने के अंत तक दस्तावेज पेश किए जाने की उम्मीद है, क्योंकि मौजूदा नीति 30 सितंबर तक ही वैध है। एफटीपी की घोषणा ऐसे समय में हो रही है, जब पुनर्गठित वाणिज्यिक विभाग काम करना शुरू करेगा, क्योंकि सरकार की योजना एक समर्पित व्यापार प्रोत्साहन निकाय गठित करने की है। नई नीति ऐसे समय में आ रही है, जब विश्व कई तरह के व्यवधानों से जूझ रहा है।
यह 2020 में कोविड-19 से शुरू हुआ और अभी रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे टकराव के साथ बढ़ा है। इसकी वजह से वैश्विक कारोबार में संकुचन आया है। साथ ही बढ़ी महंगाई प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की खरीद क्षमता को कमजोर किए हुए है। भारत पर पहले ही असर पड़ना शुरू हो गया है और अगस्त महीने में विदेश भेजी जाने वाली खेप पिछले साल की समान अवधि की तुलना में एक प्रतिशत गिरकर 33 अरब डॉलर रह गई है। इंजीनियरिंग ऐंड एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल आफ इंडिया (ईईपीसी) के एक अधिकारी ने कहा कि नए एफटीपी के माध्यम से विवाद निपटान प्रक्रियाको मजबूत किया जाना चाहिए, क्योंकि तेजी से बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य में अक्सर विवाद खड़े होते हैं।