साल 2025 ने निवेशकों को यह सिखाया कि जब शेयर महंगे हो जाते हैं, तो जल्दबाजी करना ठीक नहीं होता। ऐसे समय में सोच-समझकर और सावधानी से पैसा लगाना जरूरी होता है। स्मॉलकेस मैनेजर कहते हैं कि अब बाजार उन लोगों को फायदा देता है जो अच्छे और भरोसेमंद शेयरों में लंबे समय तक टिके रहते हैं, न कि उन लोगों को जो जल्दी मुनाफे के पीछे भागते हैं। इसलिए 2026 में निवेश करते समय सिर्फ इंडेक्स या चर्चा में चल रहे शेयरों के पीछे न भागें, बल्कि धैर्य रखें, नियम से निवेश करें और मजबूत कंपनियों को चुनें।
साल 2025 बाजार के लिए विरोधाभासों से भरा रहा। बाहर से देखा जाए तो बड़े इंडेक्स अपने सबसे ऊंचे स्तर के पास रहे, लेकिन अंदर कई शेयर कमजोर पड़े रहे। बड़ी कंपनियों के शेयरों ने करीब 8 प्रतिशत का ठीक-ठाक फायदा दिया और उनकी कीमतें ज्यादा नहीं बढ़ीं। मझोली कंपनियों के शेयरों में फायदा बहुत कम, सिर्फ 3 प्रतिशत रहा और जो शेयर पहले बहुत महंगे थे, उनकी कीमतें घट गईं। छोटी कंपनियों के शेयरों की हालत सबसे खराब रही, जहां करीब 7.5 प्रतिशत की गिरावट आई और शेयर सस्ते हो गए।
2025 में अलग-अलग एसेट क्लास का प्रदर्शन एक-दूसरे से बिल्कुल अलग रहा। सोना 65 प्रतिशत की जोरदार तेजी के साथ सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाला एसेट बना। इसकी वजह वैश्विक तनाव, रुपए में कमजोरी और सुरक्षित निवेश की बढ़ती मांग रही। उभरते बाजारों ने भी अच्छा किया, जबकि अमेरिका, यूरोप और चीन के बाजारों ने भारत से बेहतर रिटर्न दिया। भारत का बीएसई 500 इंडेक्स सिर्फ 4 प्रतिशत बढ़ा, जिससे भारत वैश्विक बाजारों से पीछे रह गया।
2025 में विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार से लगभग 1.55 लाख करोड़ रुपये निकाल लिए, जो हाल के वर्षों में सबसे बड़ी निकासी में से एक थी। इसकी वजह अमेरिका में ऊंची ब्याज दरें, मजबूत डॉलर और वैश्विक राजनीतिक अनिश्चितता रही। इसके बावजूद घरेलू निवेशकों ने बाजार को गिरने से बचाए रखा। म्यूचुअल फंड में लगातार आने वाली एसआईपी रकम ने बाजार को मजबूत सहारा दिया और उतार-चढ़ाव को काफी हद तक संभाल लिया।
स्मॉलकेस मैनेजरों का मानना है कि फिलहाल बाजार सस्ता नहीं है। लगभग 80 प्रतिशत शेयर महंगे स्तर पर कारोबार कर रहे हैं। ऐसे माहौल में कम समय में बड़ा मुनाफा कमाना मुश्किल होता है। हालांकि इतिहास बताता है कि जो निवेशक लंबे समय तक निवेश बनाए रखते हैं, उन्हें बेहतर और भरोसेमंद रिटर्न मिलता है। इसलिए धैर्य रखना सबसे जरूरी है।
2026 में बाजार में वही सेक्टर आगे नहीं बढ़ेंगे जो पिछले साल चर्चा में रहे। मैनेजरों के अनुसार, निवेशकों को यह मानकर चलना चाहिए कि बाजार महंगा है, लेकिन भारत की आर्थिक बुनियाद मजबूत बनी हुई है। देश की अर्थव्यवस्था 6 से 7 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है, महंगाई काबू में आ रही है और ब्याज दरों में कटौती की संभावना बन रही है।
अब तक विकास की रफ्तार सरकारी खर्च से आई थी, लेकिन 2026 में प्राइवेट कंपनियों के निवेश से नई तेजी आने की उम्मीद है। कंपनियों की बैलेंस शीट मजबूत हो रही है और उत्पादन क्षमता का बेहतर इस्तेमाल हो रहा है। इससे इंफ्रास्ट्रक्चर, मैन्युफैक्चरिंग और केमिकल सेक्टर में अच्छे मौके बन सकते हैं।
अमेरिका की व्यापार नीतियों, ट्रंप को लेकर अनिश्चितता और दुनिया में चल रहे तनावों से बाजार में उतार-चढ़ाव आ सकता है। इससे शेयर कभी ऊपर-नीचे हो सकते हैं। लेकिन मैनेजरों का कहना है कि यह परेशानी थोड़े समय के लिए होती है और इससे भारत की लंबे समय की तरक्की पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। जब अमेरिका की अर्थव्यवस्था धीमी होगी और वहां ब्याज दरें कम होंगी, तो विदेशी निवेशक फिर से भारत जैसे उभरते देशों में पैसा लगाने लगेंगे।
मैनेजर निवेशकों से कहते हैं कि जो सेक्टर या शेयर ज्यादा चर्चा में हों, सिर्फ उन्हें देखकर पैसा न लगाएं। अगर कोई कंपनी अच्छी भी है, लेकिन उसका शेयर बहुत महंगा खरीद लिया जाए, तो नुकसान हो सकता है। इसलिए निवेश करते समय यह देखना जरूरी है कि कंपनी सही कमाई कर रही है, उस पर ज्यादा कर्ज न हो और शेयर की कीमत ठीक हो। कुछ ऐसे सेक्टर भी हैं जहां अभी शेयर ज्यादा महंगे नहीं हैं और वहां मौका मिल सकता है।
केडिया एडवाइजरी के मुताबिक सोने की कीमतें अपने सबसे ऊंचे स्तर के पास पहुंच गई हैं। अमेरिका में बेरोजगारी बढ़ रही है और वहां की अर्थव्यवस्था धीमी पड़ने के संकेत मिल रहे हैं, इसलिए ब्याज दरें कम होने की उम्मीद बढ़ गई है। जब ब्याज दरें घटती हैं, तो लोग सोने में ज्यादा पैसा लगाते हैं। इसके अलावा दुनिया में चल रहे तनाव भी सोने की मांग बढ़ा रहे हैं। आने वाले समय में निवेशकों की नजर अमेरिका के महंगाई के आंकड़ों पर रहेगी, क्योंकि इन्हीं से सोने की आगे की चाल तय होगी।