अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद देश से भाग रहे हजारों हताश लोगों को निशाना बनाकर किए गए दो आत्मघाती बम धमाकों और इनमें 100 लोगों की जान जाने के एक दिन बाद राजधानी काबुल में पैदा हुए हालात के चलते निकासी उड़ान शुक्रवार को फिर से शुरू हो गई। अमेरिका का कहना है कि देश के सबसे लंबे युद्ध को समाप्त करने के लिए विदेशी सैनिकों की वापसी की मंगलवार की समय सीमा से पहले और हमले होने की आशंका है। अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट से संबद्ध इस्लामिक स्टेट-खुरासान प्रांत (आईएसकेपी) ने काबुल हवाई अड्डे के बाहर हुए हमलों की जिम्मेदारी ली है।
वहीं दूसरी तरफ चीन ने काबुल हवाई अड्डे पर हुए हमलों पर हैरानी जताते हुए शुक्रवार को कहा कि अफगानिस्तान में सुरक्षा स्थिति जटिल और गंभीर बनी हुई है और चीन आतंकवादी खतरों से निपटने व युद्ध से तबाह देश को आतंकवाद का अड्डा बनने से रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर काम करेगा। रूस और सऊदी अरब ने भी काबुल में हुए बम धमाकों की कड़ी निंदा करते हुए अफगानिस्तान में मौजूदा हालात को लेकर गहरी चिंता जाहिर की है।
लेंगे बदला बाइडन
गुरुवार रात एक भावुक भाषण में, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने इस्लामिक स्टेट समूह के अफगानिस्तान में संबद्ध संगठन को दोषी ठहराया जो तालिबान की तुलना में कहीं अधिक कट्टïरपंथी है। बाइडन ने हमले में मारे गए लोगों की जान का बदला लेने का संकल्प लेते हुए कहा, ‘हम तुम्हें (हमलावरों को) पकड़कर इसकी सजा देंगे।’ काबुल हवाई अड्डे के पास दो आत्मघाती हमलावरों और बंदूकधारियों द्वारा भीड़ पर किए गए हमले में अमेरिका के 13 सैनिकों की मौत हो गई जबकि 18 घायल हो गए।
अमेरिका में, प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी ने आत्मघाती हमले में मारे गए अमेरिकी सैनिकों और अन्य लोगों के सम्मान में अमेरिकी कैपिटल (संसद भवन) पर झंडे को आधा झुकाने का आदेश दिया है।
बाइडन ने कहा, ‘हम अमेरिकियों को सुरक्षित निकालेंगे, हम अपने अफगान सहयोगियों को बाहर निकालेंगे और हमारा अभियान जारी रहेगा।’ लेकिन मंगलवार 31 अगस्त की समय-सीमा बढ़ाने के अत्यधिक दबाव के बावजूद उन्होंने अपनी योजना पर कायम रहने के पीछे आतंकवादी हमलों को कारण बताया।
ब्रिटेन ने शुक्रवार को कहा कि देश के सशस्त्र बलों ने काबुल हवाईअड्डे से निकासी के अंतिम चरण में प्रवेश कर लिया है। ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि कागजी कार्रवाई बंद कर दी गई है क्योंकि अब ध्यान ब्रिटिश नागरिकों और अन्य लोगों को निकालने पर है। वहीं जर्मनी की रक्षा मंत्री ने कहा कि उनके देश ने अफगानिस्तान में लोगों को सुरक्षित निकालने का अपना अभियान समाप्त कर दिया है।
कैसा है मंजर
काबुल से प्रस्थान करने वाले विमानों की आवाज और गूंजती प्रार्थना के बीच, हवाई अड्डे के बाहर व्याकुल भीड़ है। एक जगह हवाई अड्डïे से करीब 500 मीटर की दूरी पर भारी हथियारों के साथ तालिबान के दर्जनों सदस्य किसी को भी आगे बढऩे से रोक रहे थे। अफगान और अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि अगस्त 2011 के बाद से अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना के लिए सबसे घातक दिन में, काबुल के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डïे के पास गुरुवार के बम धमाकों में कम से कम 95 अफगान और 13 अमेरिकी सैनिक मारे गए।
एक अधिकारी ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर शुक्रवार को बताया कि वास्तविक मृतक संख्या ज्यादा हो सकती है क्योंकि अन्य लोगों ने मौके से शायद शवों को हटा लिया होगा। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि करीब 115 लोग मारे गए हो।
फरवरी 2020 में डॉनल्ड ट्रंप प्रशासन ने तालिबान के साथ एक समझौता किया था। इसके तहत अमेरिका ने मई 2021 तक सभी अमेरिकी सैनिकों और अनुबंधकर्ताओं को हटाने के बदले में अमेरिकी सैनिकों पर हमले रोकने के लिए कहा था।
घटनाक्रम पर है नजर: भारत
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में हुए आतंकवादी हमलों की कड़ी निंदा करते हुए भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से कहा है कि ये हमले आतंकवाद और आतंकवादियों को पनाहगाह मुहैया कराने वालों के खिलाफ विश्व के एकजुट होकर खड़े होने की आवश्यकता को प्रबल करते हैं।
भारत ने शुक्रवार को कहा कि अफगानिस्तान से अपने घर लौटने को इच्छुक अधिकांश भारतीय नागरिकों को वहां से बाहर निकाल लिया गया है। विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि भारत पड़ोसी देश की स्थिति पर सावधानीपूर्वक नजर रखे हुए हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने साप्ताहिक प्रेस वार्ता में कहा कि भारत का पूरा ध्यान अफगानिस्तान में फंसे अपने नागरिकों को वापस लाने पर है। उन्होंने कहा, ‘हम स्थिति पर लगातार सावधानीपूर्वक नजर रखे हुए हैं। अफगानिस्तान में परिस्थितियां तेजी से बदल रही हैं।’
यह पूछे जाने पर कि क्या भारत, अफगानिस्तान में तालिबान को मान्यता देगा, बागची ने कहा कि काबुल में किसी इकाई के सरकार बनाने को लेकर अभी कोई स्पष्टता नहीं है। बागची ने कहा, ‘जमीनी हालात अनिश्चित हैं। हमारी मुख्य चिंता अपने लोगों की सुरक्षा से जुड़ी है।’ उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान से वापसी के अभियान में उड़ानों को लेकर भारत विभिन्न पक्षों के संपर्क में है।