आखिरकार इंटरनेट पर विज्ञापन के युद्ध में एक नया आयाम जुड़ सकता है। गूगल की ओर से डबलक्लिक के अधिग्रहण को आधिकारिक मंजूरी दिए जाने से ऑनलाइन विज्ञापन युद्ध को एक नई दिशा मिलने की उम्मीद है।
मंगलवार को यूरोपीय कमीशन ने गूगल के 3.1 अरब डॉलर में डबलक्लिक के अधिग्रहण को हरी झंडी दिखा दी। कमीशन ने यह मंजूरी बिना किसी दांव पेच के प्रदान की है।
हालांकि, प्रतिद्वंद्वी कंपनियां इस बात का विरोध करती रही हैं कि इस अधिग्रहण को मंजूरी दिए जाने से किसी एक कंपनी के हाथों में इंटरनेट उपभोक्ताओं की अत्यधिक जानकारियां आ जाएंगी।
बाकी कंपनियों को इस बात पर ऐतराज है कि मंजूरी मिलने से इंटरनेट पर सर्च जगत की इस प्रमुख कंपनी का वर्चस्व और भी बढ़ जाएगा और फिर दूसरी कंपनियां उससे होड़ लेने का साहस नहीं जुटा सकेंगी।
अमेरिकी फेडरल ट्रेड कमीशन की ओर से इस अधिग्रहण को हरी झंडी दिखाए जाने के करीब तीन महीने बाद यूरोपीय कमीशन ने इसपर अपनी मुहर लगाई है।
दिलचस्प है कि इस करार की घोषणा को भी काफी वक्त बीत चुका है। लगभग एक वर्ष पहले ही इस कारार की घोषणा की गई थी।
एक बात जिसकी चर्चा सबसे अधिक हो रही है वह यह है कि गूगल के आधिपत्य को चुनौती अगर किसी कंपनी की ओर से मिल सकती है तो वह माइक्रोसॉफ्ट ही है।
इधर कंपनी की याहू के अधिग्रहण का मामला भी अधिग्रहण में लटका हुआ है। ऐसे में यूरोपीय कमीशन की ओर से दिखाई गई हरी झंडी से माइक्रोसॉफ्ट के इरादों को झटका ही लगा है।
वहीं दूसरी ओर कुछ जानकारों का यह भी मानना है कि डबलक्लिक के अधिग्रहण पर मुहर से तत्काल गूगल को बहुत अधिक फायदा होने की उम्मीद नहीं के बराबर है।
डबलक्लिक को इस वर्ष 20 करोड़ डॉलर का राजस्व प्राप्त होने की उम्मीद है, पर इससे भी गूगल की अनुमानित 16 अरब डॉलर की बिक्री को कुछ खास फायदा होने की उम्मीद नहीं के बराबर है।
यही वजह है कि इस मंजूरी के बाद भी गूगल के शेयरों के भाव कुछ ज्यादा ऊपर नहीं उठे। बुधवार को कंपनी के शेयर 6 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 439.94 डॉलर पर बने हुए थे जो कि उसके उच्चतम स्तर 747.24 डॉलर से काफी नीचे है।
जिस बात को लेकर सबसे अधिक चिंता जताई जा रही है वह यह है कि इंटरनेट उपभोक्ताओं के बारे में गूगल किस तरीके से डबलक्लिक के सूचना भंडार को इस्तेमाल कर पाता है।
इस बारे में गूगल का कहना है कि वह डबलक्लिक के उपभोक्ताओं से संबंधित सूचनाओं के साथ किसी तरीके की छेड़खानी करने का मन नहीं बना रही है। कंपनी का कहना है कि यह कंपनी की निजी जानकारियां हैं।