विकासशील देशों पर काम करने वाले रिसर्च ऐंड इन्फॉर्मेशन सिस्टम (आरआईएस) ने मंगलवार को कहा कि भारत के पास खनिज ईंधन, लोहा और इस्पात उत्पादों जैसे क्षेत्रों में डॉनल्ड ट्रंप शासन के दौरान अमेरिका द्वारा टैरिफ उपायों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने का विकल्प है। साथ ही आरआईएस ने यह भी कहा है कि भारत को उपभोक्ताओं के साथ सीधे जुड़ने और किसी भी प्रतिकूल प्रभाव से निपटने हेतु बाजारों में विविधता लाने के लिए सक्रिय कदम भी उठाने चाहिए।
अमेरिका का जिन देशों के साथ व्यापार घाटा है, भारत ऐसे शीर्ष 10 देशों में शामिल है। साल 2023 में भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय कारोबार 117.8 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जिसमें भारत ने 42 अरब डॉलर की वस्तुओं का आयात और 75.8 अरब डॉलर का निर्यात किया है।
आरआईएस के महानिदेशक सचिन चतुर्वेदी ने कहा, ‘हमारे विचार से भारत और अमेरिका के बीच साझेदारी के लिए व्यापार, निवेश, प्रौद्योगिकी और वित्त को शामिल करना होगा। इसे व्यापक रूप अपनाने के लिए भारत के निजी क्षेत्र को सरकार के साथ मिलकर काम करना होगा।’
उन्होंने कहा कि भारत को तत्काल एक कार्यबल बनाना चाहिए या अन्य संस्थागत व्यवस्था स्थापित करने पर विचार करना चाहिए, जिससे इसके हिसाब से घरेलू नीतियां बन सकें।
आरआईएस के फैकल्टी सदस्यों और ट्रेड व पॉलिसी के विशेषज्ञों ने व्यापार, शुल्क और ट्रंप प्रशासन को लेकर चर्चा की, जिसमें कहा गया कि भारत के लिए यह बेहतर होगा कि वह उच्च तकनीक वाले क्षेत्रों में व्यापार करे, जहां अमेरिका सबसे कम शुल्क लगाता है।
भारत से उच्च तकनीक वाले उत्पादों का निर्यात 2017 के 6.6 अरब डॉलर से बढ़कर 2023 में 18 अरब डॉलर पर पहुंच गया है, जबकि मध्यम तकनीक वाली वस्तुओं का निर्यात 2017 के 7.7 अरब डॉलर से बढ़कर 2023 में 13.8 अरब डॉलर पर पहुंच गया है।
चर्चा में शामिल डब्ल्यूटीओ विशेषज्ञ अभिजित दास ने कहा, ‘अगर ट्रंप ऐसे शुल्क लगाते हैं, जिससे विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों का उल्लंघन होता है तो हमें जवाबी कार्रवाई करनी चाहिए। हमें उनसे बातचीत करनी चाहिए लेकिन अगर ट्रंप टैरिफ लगाते हैं तो हमें सख्त रुख अपनाने में संकोच नहीं करना चाहिए।’