भारत और यूनाइटेड किंगडम (UK) के बीच मुक्त व्यापार समझौता (FTA) को लेकर एक बड़ा ऐलान किया गया है, इसमें ब्रिटिश वाइन पर कोई शुल्क छूट नहीं दी गई है, जबकि बीयर पर सीमित आयात शुल्क रियायत देने की बात सामने आई है।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, ब्रिटिश वाइन, डेयरी उत्पाद, सेब, पनीर, ओट्स, पशु और वनस्पति तेल जैसे संवेदनशील कृषि उत्पादों को समझौते की “एक्सक्लूजन लिस्ट” में रखा गया है।
इस समझौते के तहत भारत ब्रिटिश व्हिस्की और जिन पर 150% आयात शुल्क को 10 वर्षों में घटाकर 40% तक करेगा। इससे ब्रिटिश व्हिस्की और कारें सस्ती होंगी, वहीं भारतीय वस्त्र, चमड़ा उत्पाद आदि के निर्यात में इजाफा होगा।
ब्रिटिश वाइन पर छूट न देने का फैसला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यूरोपीय संघ (EU) इस क्षेत्र में बड़ा खिलाड़ी है। यदि UK को छूट मिलती, तो EU से भी इसी तरह की मांग आने की संभावना थी। भारत-EU FTA पर बातचीत पहले से ही उन्नत स्तर पर है।
अधिकारियों के अनुसार, धीरे-धीरे लागू होने वाली आयात शुल्क कटौती से घरेलू व्हिस्की बाजार पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ेगा क्योंकि ब्रिटिश व्हिस्की का आयात अभी काफी कम है।
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भारत का वाइन बाजार फिलहाल $200 मिलियन का है और 2030 तक $700 मिलियन पहुंचने की उम्मीद है। बीयर बाजार $6 बिलियन से बढ़कर 2034 तक $15 बिलियन तक पहुंच सकता है। भारत $25 मिलियन की वाइन और $10 मिलियन की बीयर आयात करता है। ब्रिटेन से वाइन का आयात सिर्फ $1 मिलियन सालाना होता है।
Mercedes-Benz और BMW India ने समझौते का स्वागत किया, लेकिन कहा कि इसका कीमतों पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा क्योंकि अधिकतर लग्ज़री कारें CKD (Completely Knocked Down) फॉर्म में आती हैं जिन पर पहले से ही कम शुल्क लगता है।
Mercedes-Benz India के CEO संतोष अय्यर ने कहा, “95% कारें CKD हैं, जिस पर पहले ही 15-16% शुल्क लगता है। FTA से बहुत बड़ा दाम में बदलाव नहीं आएगा।”
BMW India के प्रमुख विक्रम पाहवा ने कहा कि FTA आर्थिक विकास और उपभोक्ताओं दोनों के लिए फायदेमंद होगा। उन्होंने यह भी कहा कि BMW भारत में स्थानीय उत्पादन और स्थानीयकरण पर जोर देता रहेगा।
यह समझौता 2022 में शुरू हुई बातचीत के बाद पूरा हुआ है। यह अब कानूनी जांच और संसद में मंजूरी की प्रक्रिया से गुजरेगा, जिसकी वजह से यह 15 महीने बाद लागू हो पाएगा।
(एजेंसी इनपुट के साथ)
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