भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए) ने पिछले सप्ताह नए सिरे से बनी रणनीतिक स्वच्छ ऊर्जा साझेदारी (एससीईपी) की शुरुआत की है। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि एससीईपी की पेशकश भारत-अमेरिका जलवायु और स्वच्छ ऊर्जा एजेंडा 2030 साझेदारी के तहत की गई है। इसकी घोषणा इस साल अप्रैल में जलवायु पर आयोजित प्रमुखों के सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने की थी।
अमेरिका-भारत रणनीतिक ऊर्जा साझेदारी (एसईपी) की शुरुआत अप्रैल, 2018 में हुई और इसके लिए जनवरी, 2019 में 4 स्तंभ तैयार किए गए। इनमें बिजली एवं ऊर्जा कुशलता, दायित्वपूर्ण तेल और गैस, अक्षय ऊर्जा और टिकाऊ विकास शामिल हैं। इस समय इसमें पांचवां स्तंभ उभरता ईंधन भी जोड़ दिया गया है और उसके मुताबिक साझेदारी में भी बदलाव किया गया है।
आधिकारिक प्रस्तुति के मुताबिक इस स्तंभ के लिए प्राथमिकताओं में रणनीतिक भंडार का परिचालन, कार्बन कैप्चर, उपयोग और भंडारण (सीसीयूएस) तकनीक और वैकल्पिक ईंधन जैसे हाइड्रोकार्बन और जैव ईंधन जैसे वैकल्पिक ईंधनों को उन्नत बनाना शामिल है।
इस बार के लक्ष्य में औद्योगिक, परिवहन और आवासीय क्षेत्रों में कोयला या जीवाश्म ईंधन पर आधारित अन्य ईंधन की जगह स्वच्छ विकल्प के रूप में प्राकृतिक गैस का इस्तेमाल बढ़ाना भी शामिल है।
जो बाइडन प्रशासन के कार्यभार संभालने के बाद से भारत और अमेरिका ने स्वच्छ ईंधन के क्षेत्रों जैसे बायो फ्यूल और हाइड्रोजन पर रणनीतिक साझेदारी बढ़ाने का फैसला किया था। इस साल मार्च में दोनों देशों ने कहा था कि वे अमेरिका की उन्नत तकनीकों और भारत के तेजी से बढ़ते ऊर्जा बाजार का लाभ लेने की कवायद ते करेंगे।
इस साल जून में अमेरिका-भारत हाइड्रोजन कार्यबल बनाया गया। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि इस नए कार्यबल में उद्योग और सरकार हिस्सेदार हैं, जिससे तकनीक की स्थिति का आकलन, नवोन्मेषी नीति के विकल्पों का अध्ययन हो सके और सिफारिशें तैयार की जा सकें। इस कार्यबल के गठन की सबसे पहले अप्रैल, 2021 में अमेरिका के डिप्टी सेक्रेटरी आफ एनर्जी, डेविड एम टुर्क ने की थी।
पिछले सप्ताह बॉयोफ्यूल पर भारत-अमेरिका कार्यबल की भी घोषणा की गई है, जिससे इस क्षेत्र में काम करने में सहयोग की संभावनाएं तलाशी जा सकें। दोनों देशों के बीच महत्त्वपूर्ण ऊर्जा साझेदारी में अमेरिका भारत गैस टास्क फोर्स में बदलाव भी है। अब इसे अमेरिका-भारत कम उत्सर्जन गैस कार्यबल नाम दिया गया है। यह कार्यबल भारत की प्राकृतिक गैस नीति, तकनीक और नियामकीय बाधाओं से जुड़े मामलों के समाधान पर ध्यान केंद्रित करेगा और प्रभावी एवं बाजार संचालित समाधान पेश करेगा, जिससे भारत की बढ़ती ऊर्जा की मांग पूरी की जा सके और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन घटाने का लक्ष्य मिल सके।