विदेश सचिव हर्षवद्र्धन शृंगला ने अफगानिस्तान संकट का बातचीत के जरिये समावेशी राजनीतिक समाधान निकालने की जरूरत बताते हुए बुधवार को कहा कि भारत को यह देखना होगा कि अफगानिस्तान में कठिन परिस्थिति में अपने हितों की बेहतर ढंग से सुरक्षा करते हुए कैसे आगे बढ़ा जा सकता है। विदेश सचिव ने कहा कि अफगानिस्तान की धरती का किसी दूसरे देश को नुकसान पहुंचाने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।
उद्योग परिसंघ के सत्र को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए विदेश सचिव हर्षवद्र्धन शृंगला ने कहा कि अफगानिस्तान के मुद्दे पर भारत सभी संबद्ध पक्षों के साथ संपर्क में है। उन्होंने कहा कि तालिबान ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि भारत ने पिछले 20 वर्षो में अफगानिस्तान के विकास में काफी योगदान दिया है और वह चाहता है कि उसके देश को मानवीय सहायता प्रदान की जाए। शृंगला ने कहा कि भारत ने तालिबान के साथ दोहा और मास्को में संपर्क स्थापित किया है और तालिबान चाहता है कि भारत, अफगानिस्तान में फिर से दूतावास खोले। विदेश सचिव ने कहा कि अशरफ गनी सरकार के तेजी से गिरने और तालिबान द्वारा काबुल पर तेजी से कब्जा करने के कारण भारत उस देश में कुछ असहज स्थिति में पहुंच गया था क्योंकि वहां के घटनाक्रम ‘अप्रत्याशित’ थे । उन्होंने कहा कि यह देखना होगा कि एक कठिन परिस्थिति से अपने हितों की सुरक्षा करते हुए कैसे बेहतर ढंग से आगे बढ़ा जा सकता है। विदेश सचिव ने कहा कि अफगानिस्तान की स्थिति को लेकर भारत अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ ‘सक्रिय’ हैं और ‘संपर्क’ बनाए हुए हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उसके वृहत हितों की सुरक्षा हो सके। उन्होंने कहा, ‘हम इस मुद्दे पर सभी संबंधित देशों के साथ संपर्क में हैं और हम देखेंगे कि इस कठिन परिस्थिति में अपने हितों की बेहतर ढंग से सुरक्षा करते हुए कैसे आगे बढ़ा जा सकता
