भारत और अन्य जी24 के सदस्य देशों ने इक्विलाइेशन शुल्क जैसे एकतरफा उपायों को एक ही बार में हटाने के खिलाफ आवाज उठाई है। उनकी चिंता है कि प्रस्तावित वैश्विक डिजिटल कर समझौते में केवल शीर्ष 100 कंपनियों को शामिल किए जाने से विकासशील देशों को पर्याप्त राजस्व नहीं मिलेगा।
उभरते बाजारों के इस समूह के रुख से गूगल, फेसबुक और नेटफ्लिक्स जैसी बड़ी डिजिटल कंपनियों पर कर के वैश्विक बहुराष्ट्रीय समाधान को अक्टूबर में अंतिम रूप देने की प्रक्रिया पटरी से उतर सकती है।
वैश्विक डिजिटल कर पर ओईसीडी की वार्ता की अक्टूबर बैठक को इस व्यापक समझ के साथ अंतिम रूप दिया जा रहा है कि जब वैश्विक कर प्रणाली लागू हो जाएगी तो इक्विलाइजेशन शुल्क जैसे एकतरफा उपाय वापस ले लिए जाएंगे। इस वैश्विक समाधान का मकसद यह है कि ये बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपने परिचालन वाले देशों के बजाय उन देशों में ज्यादा कर चुकाएं, जहां उनके ग्राहक या उपयोगकर्ता हैं। उभरते देशों के इस समूह ने अर्थव्यवस्था के डिजिटलीकरण से पैदा कर चुनौतियों के समाधान के लिए द्वि-स्तंभ समाधान पर ओईसीडी इन्क्लूसिव फ्रेमवर्क सेक्रेटेरियट को सिफारिश की कि इन कंपनियों के गैर-नियमित लाभ पर कर का कम से कम 30 फीसदी हिस्सा उन बाजार क्षेत्रों को आवंटित किया जाना चाहिए, जहां उनकी बिक्री होती है। कॉलम एक के प्रस्ताव में 20 अरब यूरो राजस्व और 10 फीसदी से अधिक लाभ मार्जिन वाली कंपनियों पर कर का जिक्र है। इसकी सीमा घटाकर 10 अरब डॉलर करने के लिए सात साल बाद समीक्षा की जाएगी। यह कम से कम एक अरब यूरो राजस्व की उस सीमा से काफी अधिक है, जिसकी विकासशील देशों ने मांग की थी।
