Waqf Amendment Bill: केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) ने बुधवार (2 अप्रैल) को लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 पेश किया। लोकसभा के पटल पर वक्फ विधेयक को चर्चा और पारित कराने के लिए पेश करते हुए उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती संप्रग सरकार ने वक्फ कानून में बदलावों के जरिये इसे अन्य कानूनों से ऊपर कर दिया था, इसलिए इसमें नये संशोधनों की जरूरत पड़ी।
लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भारतीय जनता पार्टी पर जोरदार हमला बोला और आरोप लगाया कि सत्ताधारी पार्टी के पास न तो सही नीतियां हैं और न ही सही नीयत। उन्होंने कहा, “भाजपा की नीतियां और नीयत दोनों ही गलत हैं। यह देश के करोड़ों लोगों से उनके घर और दुकानें छीनने की साज़िश है।”
रिजिजू ने सदन में विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि आपने उन मुद्दों पर लोगों को गुमराह करने की कोशिश की, जो वक्फ विधेयक का हिस्सा नहीं हैं। उन्होंने विधेयक को लेकर विपक्षी दलों द्वारा जताई जा रही चिंताओं को दूर करने की कोशिश करते हुए कहा कि सरकार किसी भी धार्मिक संस्था में हस्तक्षेप नहीं करने जा रही। उन्होंने कहा, ‘‘संप्रग सरकार ने वक्फ कानून में बदलावों के जरिये इसे अन्य कानूनों से ऊपर कर दिया था, इसलिए इसमें नये संशोधनों की आवश्यकता पड़ी।’’
मंत्री ने कहा कि इस संसद भवन पर भी वक्फ का दावा किया जा रहा था और पूर्ववर्ती संप्रग सरकार ने तो काफी संपत्ति गैर-अधिसूचित करके दिल्ली वक्फ बोर्ड को दे दी थी। पिछले साल विधेयक पेश करते समय सरकार ने इसे दोनों सदनों की एक संयुक्त समिति को भेजने का प्रस्ताव किया था। समिति द्वारा रिपोर्ट प्रस्तुत किये जाने के बाद, उसकी सिफारिश के आधार पर केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मूल विधेयक में कुछ बदलावों को मंजूरी दी थी।
इस बिल का ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) सहित कई मुस्लिम संगठनों ने विरोध किया है। यह विधेयक सबसे पहले अगस्त 2023 में पेश किया गया था जिसे भारी विरोध के चलते जॉइंट पार्लियामेंटरी कमेटी (JPC) को भेज दिया गया। इस कमेटी की अध्यक्षता बीजेपी सांसद जगदंबिका पाल ने की। कई महीनों की चर्चा के बाद समिति ने 13 फरवरी 2024 को अपनी रिपोर्ट सौंप दी, जिसे 19 फरवरी को केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी मिल गई। हालांकि, समिति में शामिल विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया है कि उनके सुझाए गए संशोधनों को खारिज कर दिया गया और उनकी असहमति से जुड़े नोट बिना जानकारी के रिपोर्ट से हटा दिए गए।
JPC ने एनडीए सांसदों द्वारा सुझाए गए 14 संशोधनों को स्वीकार कर लिया जबकि विपक्षी सांसदों द्वारा प्रस्तावित सभी 44 संशोधनों को खारिज कर दिया गया। समिति की कार्यवाही के दौरान भी कई बार अव्यवस्था देखने को मिली। तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सांसद कल्याण बनर्जी को कार्यवाही में बाधा डालने और कथित रूप से मेज पर बोतल पटकने के आरोप में एक दिन के लिए निलंबित कर दिया गया।
इसके अलावा, विपक्ष के छह सांसदों— जिनमें असदुद्दीन ओवैसी (AIMIM), मोहम्मद जावेद (कांग्रेस), संजय सिंह (AAP), मोहम्मद नदीमुल हक (TMC) और एमएम अब्दुल्ला (DMK) शामिल हैं — ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को पत्र लिखकर जगदंबिका पाल पर “कार्यवाही को बलपूर्वक आगे बढ़ाने” का आरोप लगाया है।
वक्फ का अर्थ एक धार्मिक या परोपकारी दान से है, जो आमतौर पर संपत्ति के रूप में होता है और मुख्य रूप से मुस्लिम समुदाय के भीतर किया जाता है। इन संपत्तियों को अक्सर बिना औपचारिक दस्तावेजों के दान किया जाता है और इनसे प्राप्त आय का उपयोग मस्जिदों, कब्रिस्तानों, मदरसों और अनाथालयों के रखरखाव में किया जाता है।
सरकार का कहना है कि प्रस्तावित संशोधनों का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रशासन और प्रबंधन को और बेहतर बनाना है। सितंबर 2023 में जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार, यह विधेयक “पहले के कानून की कमियों को दूर करने और वक्फ बोर्डों की कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए लाया गया है। इसके तहत कानून का नाम बदला जाएगा, वक्फ की परिभाषा को अपडेट किया जाएगा, रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को बेहतर बनाया जाएगा और वक्फ रिकॉर्ड के प्रबंधन में टेक्नोलॉजी की भूमिका बढ़ाई जाएगी।”
हालांकि, विपक्षी पार्टियों और मुस्लिम संगठनों ने इस विधेयक का कड़ा विरोध किया है। उनका कहना है कि यह “असंवैधानिक” है और मुस्लिम समुदाय के हितों के लिए नुकसानदायक है।
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प्रस्तावित संशोधनों में कई प्रावधान शामिल हैं, जिनमें से पांच की ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) सहित विभिन्न मुस्लिम संगठनों ने खूब आलोचना की है।
1 वक्फ काउंसिल और राज्य वक्फ बोर्डों में बदलाव
विधेयक में केंद्रीय वक्फ काउंसिल और राज्य वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना अनिवार्य किया गया है। मुस्लिम संगठनों का मानना है कि यह मुस्लिम मामलों में हस्तक्षेप माना जा रहा है।
2 विवादों का निपटारा सरकारी अधिकारियों द्वारा
किसी संपत्ति को वक्फ संपत्ति माना जाए या सरकारी, इस पर अंतिम निर्णय अब राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा लिया जाएगा। यह मौजूदा व्यवस्था की जगह लेगा जिसमें ऐसे मामलों का फैसला वक्फ ट्रिब्यूनल्स करते हैं।
3 वक्फ ट्रिब्यूनल की संरचना में बदलाव
विधेयक में वक्फ ट्रिब्यूनल की संरचना में बदलाव का प्रस्ताव है, जिसमें अब एक जिला न्यायाधीश और राज्य सरकार का संयुक्त सचिव स्तर का अधिकारी शामिल होगा। इसके अलावा, ट्रिब्यूनल के फैसलों को हाई कोर्ट में चुनौती दी जा सकेगी।
4 संपत्तियों का अनिवार्य पंजीकरण
हर वक्फ संपत्ति का पंजीकरण इस कानून के लागू होने के छह महीनों के भीतर एक केंद्रीय पोर्टल पर करना अनिवार्य होगा। हालांकि, कुछ विशेष मामलों में वक्फ ट्रिब्यूनल इस समयसीमा को बढ़ा सकता है।
5 ‘यूजर के आधार पर वक्फ’ प्रावधान को हटाना
यह प्रावधान उन संपत्तियों को वक्फ के रूप में मान्यता देता था जो लंबे समय से धार्मिक या परोपकारी कार्यों में प्रयुक्त हो रही थीं, भले ही उनके पास कोई औपचारिक दस्तावेज न हो। इस प्रावधान को अब हटा दिया गया है।
हालांकि, एनडीए की सहयोगी पार्टी टीडीपी के हस्तक्षेप के बाद जेपीसी ने सिफारिश की है कि यह बदलाव पूर्व प्रभाव (retrospective) से लागू न किया जाए।