facebookmetapixel
BSFI Summit: ‘एमएफआई के दबाव से जल्द बाहर निकल आएंगे स्मॉल फाइनैंस बैंक’BFSI Summit: दुनिया के शीर्ष 20 में से भारत को कम से कम 2 देसी बैंकों की जरूरतBFSI Summit: तकनीक पर सबसे ज्यादा खर्च करने वालों में शुमार है स्टेट बैंक- शेट्टीBFSI Summit: वित्त वर्ष 2025-26 में वृद्धि दर 7 प्रतिशत से अधिक रहे तो मुझे आश्चर्य नहीं – सीईए अनंत नागेश्वरनBFSI Summit: बीएफएसआई की मजबूती के बीच MSMEs के लोन पर जोरBFSI Summit: कारगर रहा महंगाई का लक्ष्य तय करना, अहम बदलाव की जरूरत नहीं पड़ीBFSI Summit: बढ़ती मांग से कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार सुस्तबैंक तेजी से खुदरा ग्राहकों की ओर देख रहे हैं : BSFI समिट में बोले कामतप्रोत्साहन के बावजूद मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में नहीं आ रही तेजी, क्षेत्रीय क्लस्टर पर जोर जरूरी: सुमन बेरीBFSI Summit: परिस्थितियों के मुताबिक नीतिगत कार्रवाई की गुंजाइश बाकी – पूनम गुप्ता

Uzbekistan Cough Syrup Deaths: नोएडा की दवा कंपनी में उत्पादन रोका गया

Last Updated- December 30, 2022 | 2:23 PM IST
Pharmaxil suspends Marion's membership

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने शुक्रवार को कहा कि मैरियन बायोटेक द्वारा निर्मित खांसी की दवा डॉक-1 मैक्स से उज्बेकिस्तान में कथित तौर पर 18 बच्चों की मौत से जुड़ी खबरों के मद्देनजर कंपनी की नोएडा इकाई में सभी उत्पादन गतिविधियों को रोक दिया गया है। ‍मांडविया ने ट्वीट कर बताया कि डॉक-1 मैक्स से उज्बेकिस्तान में कथित तौर पर 18 बच्चों की मौत से जुड़े मामले में आगे की जांच जारी है।

उन्होंने लिखा, “खांसी की दवा डॉक-1 मैक्स के विषाक्त होने से संबंधित खबरों के मद्देनजर केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की टीम द्वारा किए गए निरीक्षण के बाद मैरियन बायोटेक की नोएडा इकाई में सभी उत्पादन गतिविधियों को गुरुवार रात रोक दिया गया। मामले में आगे की जांच जारी है।”

मैरियन बायोटेक के कानूनी प्रतिनिधि ने भी गुरुवार को बताया था कि डॉक-1 मैक्स का उत्पादन ‘फिलहाल’ रोक दिया गया है। मांडविया ने गुरुवार को कहा था कि दवा कंपनी के निरीक्षण के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

वहीं, उत्तर प्रदेश सरकार के एक अधिकारी ने कहा था कि मैरियन बायोटेक भारत में डॉक-1 मैक्स की बिक्री नहीं करती है और इसका निर्यात सिर्फ उज्बेकिस्तान में किया गया है। मांडविया ने बताया था कि मैरियन बायोटेक की नोएडा इकाई से खांसी के उक्त सिरप के नमूने लेकर जांच के लिए चंडीगढ़ स्थित क्षेत्रीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला (आरडीटीएल) भेजे दिए गए हैं।

उन्होंने कहा था कि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) मामले को लेकर 27 दिसंबर से उज्बेकिस्तान के राष्ट्रीय दवा नियामक के साथ लगातार संपर्क में था। वहीं, विदेश मंत्रालय ने बताया था कि भारत सरकार उज्बेक अधिकारियों के नियमित संपर्क में है और इस मामले में उनकी जांच का विवरण मांगा गया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था कि कंपनी से जुड़े कुछ लोगों को राजनयिक सहायता प्रदान की जा रही है, जो उज्बेकिस्तान में कानूनी कार्रवाई का सामना कर रहे हैं।

बागची ने बताया था कि उज्बेक अधिकारियों ने औपचारिक रूप से नयी दिल्ली के समक्ष यह मामला नहीं उठाया है। उन्होंने कहा था, “बावजूद इसके, हमारे दूतावास ने उज्बेक अधिकारियों से संपर्क किया है और उनकी जांच के बारे में अतिरिक्त जानकारी मांगी है।” वहीं, नोएडा स्थित मैरियन बायोटेक के कानूनी प्रतिनिधि हसन हैरिस ने कहा था कि दोनों देशों की सरकारें इस मामले को देख रही हैं।

उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा था, “हमारी तरफ से कोई गड़बड़ी नहीं है और हमें जांच से भी कोई दिक्कत नहीं है। हम पिछले 10 साल से वहां के दवा बाजार में सक्रिय हैं। सरकार की रिपोर्ट आने के बाद हम इस पर गौर करेंगे। फिलहाल उत्पादन रोक दिया गया है।”

उज्बेकिस्तान के इन आरोपों से पहले साल 2022 की शुरुआत में हरियाणा स्थित मेडेन फार्मास्यूटिकल्स द्वारा निर्मित खांसी के सिरप से गाम्बिया में कथित तौर पर 70 बच्चों की मौत होने संबंधी खबरें आई थीं। बाद में भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से कहा था कि उसने गाम्बिया में बच्चों की मौत के मामले को भारत में निर्मित खांसी की दवा से जोड़ने में जल्दबाजी दिखाई।

First Published - December 30, 2022 | 2:23 PM IST

संबंधित पोस्ट