प्रस्तावित व्यापार समझौते के तहत डेरी क्षेत्र को लेकर अपने रुख में संभावित नरमी का संकेत देते हुए अमेरिका के एक अधिकारी ने कहा कि उसकी दिलचस्पी मुख्य रूप से भारत को प्रीमियम चीज का निर्यात करने की है। अमेरिका का इरादा दूध जैसे व्यापक बाजार सेगमेंट में प्रतिस्पर्धा करने की नहीं है। असल में व्यापार सौदे पर बातचीत में डेरी क्षेत्र भारत के लिए बेहद संवेदनशील मुद्दा है।
अधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने का अनुरोध करते हुए कहा, ‘भारत को दूध या दही का निर्यात करने का कोई तुक नहीं है। हम कुछ प्रीमियम उत्पादों जैसे कुछ खास किस्म की चीज के निर्यात की बात कर रहे हैं जिनका 2-5 फीसदी लोग उपभोग करेंगे।’
अमेरिका का यह रुख संवेदनशील डेरी क्षेत्र पर बातचीत की संभावना के द्वारा खोल सकता है लेकिन यह अभी स्पष्ट नहीं है कि भारत को ऐसा स्वीकार्य होगा या नहीं। व्यापार समझौतों के तहत ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन की मांगों के बावजूद भारत ने डेरी क्षेत्र को विशिष्ट उत्पादों के लिए भी नहीं खोला है। हालांकि भारत पहले से ही मोजेरेला चीज, कसा हुआ या पाउडर चीज, बिना कसा हुआ प्रोसेस्ड चीज और ब्लू-वेंड चीज जैसे प्रीमियम चीज की छोटी मात्रा में आयात करता है और उस पर 30 से 40 फीसदी शुल्क लगाता है। वित्त वर्ष 2025 में भारत ने 1.08 करोड़ डॉलर मूल्य के विभिन्न प्रकार के चीज का आयात किया है। इस तरह के चीज का आयात मुख्य रूप से लिथुआनिया, एस्टोनिया, इटली और ब्रिटेन से किया गया था।
अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि अब दोनों पक्ष की पहले के मोलभाव के दौर को पार करते हुए बातचीत करने की इच्छा है। उन्होंने कहा, ‘दोनों पक्ष बातचीत के अंतिम दौर तक एक समझौते के बहुत करीब थे। जब वार्ताकार अगली बार मिलेंगे तो वे बातचीत को आगे बढ़ाने के लिए नए मुद्दे लाना चाहेंगे।’उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत को अपने कृषि बाजार में सुधार करने की जरूरत है जो कम उत्पादकता के कारण गैर-प्रतिस्पर्धी बना हुआ है। भारत एथनॉल बनाने के लिए मक्के का उपयोग करता है इसलिए अमेरिका भारत में आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएम) मक्के का निर्यात करने की गुंजाइश भी देख रहा है। इस तरह का आयात भारत के खाद्य उत्पादों के लिए सख्त जीएम मानदंडों के अंतर्गत नहीं आएगा।
अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने सर्जियो गोर को भारत में अपना अगला राजदूत नामित किया है। अधिकारी ने कहा कि अगर ट्रंप प्रशासन इस पर तेजी नहीं दिखाता है तो उनकी नियुक्ति को सीनेट की मंजूरी में महीनों लग सकते हैं। अमेरिकी अधिकारी ने कहा कहा, ‘हमें अभी भी तेजी से मंजूरी मिलने की उम्मीद है लेकिन हम इसके बारे में निश्चित नहीं हैं।’
द्विपक्षीय व्यापार वार्ता मुख्य रूप से भारत द्वारा अमेरिका को अपने राजनीतिक रूप से संवेदनशील कृषि और डेरी क्षेत्रों में निर्बाध बाजार पहुंच देने से इनकार करने के कारण अटकी हुई थी। 25 फीसदी जवाबी शुल्क के साथ रूस से तेल खरीदने के लिए भारत पर अतिरिक्त 25 फीसदी शुल्क लगाने के डॉनल्ड ट्रंप के फैसले ने द्विपक्षीय संबंधों को तनावपूर्ण बना दिया था। इससे व्यापार वार्ता में भी बाधा आई।
हालांकि तनाव में कमी का संकेत देते हुए राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले सप्ताह सोशल मीडिया पर संदेश पोस्ट किए, जिसमें लंबित मुद्दों को हल करने और जल्द से जल्द व्यापार समझौता पूरा करने की उम्मीद जताई गई। वाणिज्य एवं व्यापार मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि अमेरिका के साथ देश की व्यापार वार्ता सही दिशा में आगे बढ़ रही है। दोनों देश नवंबर तक द्विपक्षीय व्यापार समझौते के पहले चरण को अंतिम रूप देने की तैयारी में हैं।