उत्तर प्रदेश में अगले महीने होने वाले वैश्विक निवेशक सम्मेलन से पहले ही छोटे व मझोले उद्योगों (एमएसएमई) के लिए 82000 करोड़ रुपये के प्रस्ताव आ चुके हैं। छोटे उद्योग लगाने के लिए निवेशकों ने सबसे ज्यादा रुचि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र गे गाजियाबाद जिले में दिखायी है। इसके बाद उद्यमियों की वरीयता दिल्ली से सटे मुरादाबाद, नोयडा व मेरठ जिलों को दी गयी है।
प्रदेश सरकार का अनुमान है कि निवेशक सम्मेलन से पहले ही एमएसएमई क्षेत्र में एक लाख करोड़ रुपये तक के निवेश प्रस्ताव आ जाएंगे। अभी प्रदेश सरकार की ओर से सभी 75 जिलों और एक दर्जन मंडल मुख्यालयों पर निवेशक सम्मेलनों का आयोजन किया जा रहा है। इन सम्मेलनों के आयोजन के बाद छोटे व मझोले उद्योगों के लिए और भी ज्यादा प्रस्ताव मिलेंगे।
इन 82000 करोड़ रुपये के एमएसएमई क्षेत्र के निवेश प्रस्तावों को जांचने के बाद प्रदेश सरकार ने करीब 70000 करोड़ रुपये के समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर भी कर दिए हैं। एमएसएमई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि 300 से ज्यादा निवेश प्रस्ताव को जमीन पर उतारने या एमओयू कराने की तैयारी की जा रही है। बहुत जल्द 7000 करोड़ के निवेश प्रस्तावों पर एमओयू कर लिया जाएगा।
विभाग को मिले सबसे ज्यादा प्रस्ताव छोटे उद्यमों के हैं। अधिकारियों का कहना है कि कुल मिले निवेश प्रस्तावों में से सबसे ज्यादा 42 फीसदी 5 करोड़ रुपये कम लागत वाले छोटे उद्यमों के हैं। जबकि 15 फीसदी निवेश प्रस्ताव 25 से 50 करोड़ रुपये के बीच के उद्योंगो के हैं। मझोले उद्यमों में 13 फीसदी निवेश प्रस्ताव 15 से 25 करोड़ रुपये की लागत वाली परियोजनाओं के हैं जबकि 30 फीसदी एमओयू 5 से 10 करोड़ रुपये वाले उद्योगों के लिए किए गए हैं।
अधिकारियों का कहना है कि अब तक निवेशक सम्मेलन से पहले करीब 7000 एमओयू पर हस्ताक्षर किए जा चुके हैं जिनमें से 5000 के लगभग अकेले एमएसएमई विभाग ने ही किए हैं। एमएसएमई क्षेत्र में स्थापित होने वाले इन उद्योगों से प्रदेश में 15 लाख के करीब लोगों को रोजगार मिलेगा।
जिला वार होने वाले एमओयू के मामले में 9080 करोड़ रुपये के साथ गाजियाबाद पहले स्थान पर हैं जबकि मुरादाबाद के लिए 7815 करोड़ रुपये तो गौतमबुद्धनगर (नोयडा) के लिए 5821 करोड़ के एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए हैं। मेरठ के लिए 475 करोड़ रुपये तो कानपुर देहात में उद्यम लगाने के लिए 4229 करोड़ रुपये के एमओयू पर हस्ताक्षर हुए हैं। पूर्वांचल में सबसे ज्यादा वाराणसी के लिए 3191 करोड़ रुपये जबकि राजधानी लखनऊ में 2760 करोड़ रुपये उद्यम लगाने के लिए एमओयू किया गया है।