सरकार अगले पांच वर्षों में अरुणाचल प्रदेश के पास भारत-तिब्बत-चीन-म्यांमार सीमा के करीब 1,748 किलोमीटर लंबा ‘फ्रंटियर हाईवे’ बनाने की योजना बना रही है। टाइम्स ऑफ इंडिया (टीओआई) की एक रिपोर्ट के अनुसार हाईवे अंतरराष्ट्रीय सीमा से 20 किलोमीटर के करीब होगा।
सरकार अगले पांच वर्षों में अरुणाचल प्रदेश के पास भारत-तिब्बत-चीन-म्यांमार सीमा के करीब 1,748 किलोमीटर लंबा ‘फ्रंटियर हाईवे’ बनाने की योजना बना रही है। टाइम्स ऑफ इंडिया (टीओआई) की एक रिपोर्ट के अनुसार हाईवे अंतरराष्ट्रीय सीमा से 20 किलोमीटर के करीब होगा।
रिपोर्ट के मुताबिक, यह हाइवे NH-913 दो लेन का होगा और इसका निर्माण सीमावर्ती क्षेत्रों में घुसपैठ को रोकने के लक्ष्य तहत परिवहन मंत्रालय द्वारा बनाया जाएगा।
एक अधिकारी ने TOI को बताया, “लगभग 800 किलोमीटर का गलियारा ग्रीन फील्ड होगा क्योंकि इन हिस्सों पर कोई मौजूदा सड़क नहीं है। कुछ पुल और सुरंगें भी होंगी। हमने 2024-25 में सभी कार्यों की मंजूरी को पूरा करने की योजना तैयार की है और आमतौर पर निर्माण को पूरा करने में लगभग दो साल लगते हैं। जैसे-जैसे हम आगे बढ़ेंगे, अलग-अलग चरण में काम पूरा होगा। जबकि पूरी परियोजना 2026-27 तक पूरी होने की उम्मीद है।”
यह हाईवे बोमडिला से शुरू होगा और नफरा, हुरी और मोनिगोंग से होकर गुजरेगा। यह चीन सीमा के करीब जिदो और चेनक्वेंटी से होकर गुजरेगा और भारत-म्यांमार सीमा के पास विजयनगर तक जाएगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह सीमावर्ती क्षेत्रों में रक्षा बलों के साथ-साथ उपकरणों की आसान आवाजाही को बढ़ावा देगा। चीन भी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के अपने हिस्से में बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहा है।
सरकार ने 2016 में अपनी परियोजना “सीमा अवसंरचना पर अधिकार प्राप्त समिति” में रक्षा मंत्रालय, राज्य सरकार और सीमा प्रबंधन विभाग के परामर्श से सीमा क्षेत्रों पर सर्वेक्षण करने और रिपोर्ट तैयार करने की सिफारिश की थी।
वहीं, 2018 में केंद्र सरकार ने अरुणाचल प्रदेश में कॉरिडोर को राष्ट्रीय राजमार्ग (NH) के रूप में अधिसूचित किया। एक बार किसी सड़क को NH के रूप में अधिसूचित करने के बाद, इसे बनाने की जिम्मेदारी परिवहन मंत्रालय की होती है।