थिएटर कमांड स्थापित करने के प्रस्ताव पर तीनों सशस्त्र सेनाओं के बीच वैचारिक मतभेद उभर आए हैं। इस विषय पर तीनों सेना प्रमुखों की राय अलग-अलग है। रक्षा प्रमुख (चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ) अनिल चौहान ने कहा है कि थिएटर कमांड के प्रस्ताव पर कोई भी निर्णय राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखकर लिया जाएगा। उन्होंने महू (मध्य प्रदेश) के आर्मी वॉर कॉलेज में रण संवाद, 2025 पर आयोजित सेमिनार में यह बात कही।
इस सेमिनार के दूसरे एवं अंतिम दिन अपने समापन भाषण में चौहान ने थल सेना, वायु सेना और नौसेना के बीच एकजुटता एवं तालमेल मजबूत बनाने में हुई प्रगति का उल्लेख किया। उन्होंने कहा,‘रक्षा प्रमुख (सीडीएस) के रूप में मैंने तीनों सशस्त्र सेनाओं के बीच एकजुटता को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखा है।‘
सेमिनार में शिरकत करने आए सेवारत अधिकारियों, विशेषज्ञों और दिग्गजों ने एकजुटता एवं एकीकरण को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर व्यापक सहमति जताई। मगर थिएटर कमांड बनाकर तीनों सेनाओं को पुनर्गठित करने के सरकार के प्रस्तावित लक्ष्य पर उनके विचारों में अंतर दिखा। विचारों में इस भिन्नता का उल्लेख करते हुए सीडीएस ने कहा कि सेनाओं के लिए अपने मतभेदों पर चर्चा करने के लिए अनुकूल वातावरण मौजूद है। ‘तीनों सेनाओं के बीच विचारों में अंतर हो सकता है, फिर भी हम अलग-अलग विचारों को गंभीरता से ले रहे हैं। मुझे लगता है कि सभी सुझावों पर विचार-विमर्श करना जरूरी है।’
सीडीएस ने कहा कि थिएटर कमांड की स्थापना पर कोई भी निर्णय राष्ट्र हित को ध्यान में रख कर ही लिया जाएगा। सीडीएस के समापन भाषण से कुछ घंटे पहले नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी ने थिएटर कमांड की स्थापना की जरूरत पर जोर दिया। नौसेना प्रमुख ने कहा, ‘हम भारतीय सेना और वायु सेना के साथ अपने कमान, नियंत्रण, संचार और युद्ध क्षमता के बीच तालमेल बैठाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’ एडमिरल त्रिपाठी ने कहा कि थिएटर कमान की स्थापना हमारा लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि नौसेना एकीकृत योजना, एक साझा (युद्ध क्षेत्र) और एकीकृत संचालन के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रही है।
नौसेना प्रमुख की यह टिप्पणी वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए पी सिंह के उस बयान के बाद आई है कि जिसमें उन्होंने जल्दबाजी में थिएटर कमांड की स्थापना और नई संगठनात्मक संरचना तैयार करने को लेकर आगाह किया। एयर चीफ मार्शल ने तीनों सेना प्रमुखों और सीडीएस से दिल्ली में संयुक्त योजना और समन्वय केंद्र स्थापित करने का प्रस्ताव रखा ताकि तीनों सशस्त्र सेनाओं के बीच आपसी तालमेल मजबूत बनाया जा सके और संयुक्त संचालन की निगरानी की जा सके।
सेमिनार के पहले दिन सिंह ने जिक्र किया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान किस तरह तीनों सेनाओं ने अलग-अलग रणनीति बनाने के बजाय आपसी तालमेल के साथ लक्ष्य को अंजाम दिया। उन्होंने तीनों सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल सुनिश्चित करने का श्रेय सीडीएस को दिया। उन्होंने कहा, ‘सीडीएस हम सभी के साथ मिलकर बेहतर तालमेल स्थापित कर रहे थे। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जो मामूली मुद्दे उभरे, उन्हें दूर करने के प्रयास किए जा रहे हैं। लिहाजा, मुझे लगता है कि शीर्ष स्तर पर संयुक्त योजना और समन्वय होना काफी आवश्यक है।’ उन्होंने कहा कि हमें फिलहाल थिएटर कमांड जैसी संरचना की जरूरत नहीं है। वायु सेना प्रमुख ने इस बात पर भी जोर दिया कि सेनाओं पर थिएटर कमांड जल्दबाजी में लागू करने का दबाव नहीं दिया जाना चाहिए।
भारत की मौजूदा रक्षा तैनाती संरचना में थल सेना, वायु सेना और नौसेना को एक ही ढांचे में एकीकृत करने के लिए थिएटर कमांड का प्रस्ताव दिया गया है। प्रस्तावित प्रत्येक थिएटर कमांड एक संचालन कमांडर के नेतृत्व में खास भौगोलिक क्षेत्र में सुरक्षा चुनौतियों का ध्यान रखेगा।