बाजार में आम की बहुत सारी किस्में देखकर अनुमान लगाया जा सकता है कि आम का सीजन शुरू हो गया है। मौसम में बदलाव के कारण इस साल मार्च महीने में कृषि उपज बाजार समिति (APMC) में पिछले मार्च की तुलना में तीन गुना से ज्यादा आमों की आपूर्ति और कारोबार हुआ। जिसका असर कीमत और निर्यात पर भी पड़ा है। हालांकि अप्रैल में आमों की आपूर्ति कम होने की आशंका जताई जा रही है।
नवी मुंबई APMC में इस समय हर दिन औसतन 70 हजार आम की पेटियां (एक पेटी में चार दर्जन) आ रही है जो अब तक का रिकॉर्ड है। इनमें से 80 फीसदी अल्फांसो आम है। थोक बाजार में इस समय अल्फांसो (हापुस) का दाम 1,500 से चार हजार रुपये प्रति पेटी चल रहा है जबकि क्विंटल में 14,000 से 30,000 रुपये बिक रहा है।
इसके अलावा कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश से भी आम की खेप आ रही है। बादामी, लालबाग और तोतापुरी आम की भी हर दिन करीब 14 हजार पेटियों की आवक हो रही है।
मुंबई APMC के फल बाज़ार के निदेशक संजय पंसारे ने बताया कि मार्च में इतना बंपर उत्पादन हाल के दिनों में नहीं देखा गया है। आमतौर पर आम का सीजन अप्रैल में शुरू होता है, लेकिन इस बार यह अभूतपूर्व है। यह अक्टूबर-नवंबर में लगने वाले फूल का फल है। यह पिछले पांच वर्षों में APMC द्वारा देखी गई सबसे अधिक आपूर्ति है। ग्राहकों के बीच मांग अच्छी होने से कारोबारी खुश है। हालांकि पिछले एक सप्ताह में कीमतें करीब 25 फीसदी कम हुई है।
बाजार में आम की आपूर्ति बढ़ने के कारण निर्यात में भी तेजी आई है। मुंबई से खाड़ी देशों में आमों का निर्यात करने वाले साजिद बागवान कहते हैं कि उनकी कंपनी आमतौर पर हर मौसम में खाड़ी में 500 कंटेनर निर्यात करती है, जिनमें से प्रत्येक में 700-800 पेटियां होती हैं। हम अभी तक अपने कोटे का 70 फीसदी निर्यात कर चुके हैं जबकि आमतौर पर इस समय तक करीब 30 फीसदी ही निर्यात होता था।
हालांकि जानकारों का कहना है कि बारिश और मौसम में बदलाव के कारण अप्रैल महीने में आम की आवक मार्च महीने की अपेक्षा कमजोर रहने वाली है, लेकिन मई में फिर से आपूर्ति में तेजी आने की उम्मीद है।
दिसंबर में ज्यादा ठंड नहीं होने की वजह से सर्दी के फूल प्रभावित हुए हैं, जिससे अप्रैल में आपूर्ति कम हो सकती है। मई में आपूर्ति फिर से बढ़ने की उम्मीद की जा रही थी। हाल ही में हुई बारिश के कारण मई आम की फसल प्रभावित हुई है। हालांकि अभी नुकसान कितना हुआ है इसका आकलन होना बाकी है।
गुणवत्ता और पहचान पर खास ध्यान
अल्फांसो आम, जो महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र के रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग की ओर से आते हैं, जिसे आमों का राजा कहा जाता है। इसकी गुणवत्ता को पहचाने के लिए GI टैग लगाया गया है। गौरतलब है कि 2018 में अल्फांसो आमों को GI (भौगोलिक संकेत) टैग मिला, जिससे उपभोक्ताओं को गुणवत्ता और प्रामाणिकता का आश्वासन मिला।
आम के व्यापारियों का कहना है कि महाराष्ट्र और कर्नाटक के आम दिखने में एक जैसे हैं लेकिन स्वाद में अलग होते हैं। GI टैग से यह सुनिश्चित होता है कि उत्पाद किस क्षेत्र का है। APMC बाजार में आमों की बिक्री GI टैग के साथ की जा रही है।
सरकार की सख्ती के कारण रासायनिक रूप से आमों के पकाने का काम बंद हो चुका है। बाजार समिति दावा कर रही है कि पिछले पांच-विषम वर्षों में रसायनों का उपयोग करके आमों को पकाना बंद हो गया है।