कोर्ट में जजों की नियुक्ति को लेकर केंद्र सरकार और कॉलेजियम एक बार फिर आमने सामने है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम और केंद्र सरकार के बीच में तकरार बढ़ती जा रही है। ताजा विवाद जज सौरभ कृपाल की न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति को लेकर है।
बता दें कि सौरभ कृपाल एलजीबीटी समुदाय से आते हैं और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस बीएन कृपाल के पुत्र हैं।
चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने सीनियर वकील सौरभ कृपाल को दिल्ली हाई कोर्ट का जज नियुक्त करने की 11 नवंबर, 2021 की अपनी सिफारिश को दोहराया है।
सौरभ कृपाल की नियुक्ति का प्रस्ताव पांच साल से अधिक समय से लंबित
कॉलेजियम ने कहा कि हाई कोर्ट के जज के रूप में सौरभ कृपाल की नियुक्ति का प्रस्ताव पांच साल से अधिक समय से लंबित है, जिस पर तेजी से निर्णय लेने की आवश्यकता है।
सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर जारी एक बयान में कहा गया, ‘‘इस पृष्ठभूमि में, कॉलेजियम ने दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में सौरभ कृपाल की नियुक्ति के लिए 11 नवंबर, 2021 की अपनी सिफारिश को दोहराया है, जिस पर तेजी से निर्णय लेने की आवश्यकता है।’’
इसमें कहा गया, ‘‘13 अक्टूबर, 2017 को दिल्ली उच्च न्यायालय के कॉलेजियम द्वारा सर्वसम्मति से की गई सिफारिश और 11 नवंबर, 2021 को उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम द्वारा अनुमोदित इस सिफारिश को पुनर्विचार के लिए 25 नवंबर, 2022 को हमारे पास वापस भेज दिया गया।’’
बयान में कहा गया कि सौरभ कृपाल के पास ‘‘क्षमता, सत्यनिष्ठा और मेधा’’ है और उनकी नियुक्ति से उच्च न्यायालय की पीठ में विविधता आएगी। सौरभ, देश के पूर्व प्रधान न्यायाधीश बी. एन. कृपाल के बेटे हैं।
(पीटीआई के इनपुट के साथ)