दिल्ली हवाई अड्डे पर पिछले साल 28 जून को भारी बारिश के बीच टर्मिनल 1 की छत ढहने के मामले की जांच करने वाली विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के अनुसार दोषपूर्ण डिजाइन, घटिया निर्माण कार्य, उचित रखरखाव नहीं होने तथा डिजाइन और निर्माण के बीच बड़ी विसंगतियां हादसे का प्रमुख कारण हो सकती हैं। इस घटना में ओला कैब के ड्राइवर रमेश कुमार की मौत हो गई थी और 8 लोग घायल हुए थे। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने मामले की जांच के लिए यह समिति गठित की थी।
हवाई अड्डे का संचालन करने वाली दिल्ली इंटरनैशनल एयरपोर्ट (डायल) ने रिपोर्ट को ‘गलत’ बताते हुए खारिज कर दिया और दावा किया कि इसमें अनुभवजन्य डेटा या पूर्ण दस्तावेजीकरण के बजाय ‘संभावना, परिकल्पना और अनुमान’ के आधार पर निष्कर्ष निकाला गया है। हालांकि डायल ने कहा कि उसने जांच के दौरान समिति को ‘सभी दस्तावेज’ उपलब्ध नहीं कराए थे।
डायल ने छत ढहने का एकमात्र कारण लगातार बारिश बताई थी। इस इलाके में 1936 के बाद उस दिन सबसे अधिक बारिश हुई थी। कंपनी का कहना था कि छत पर ज्यादा पानी जमा होने के कारण वह जिस ढांचे पर टिका था वह उतना वजन सह नहीं पाया और गिर गया।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली और आईआईटी जम्मू के सिविल इंजीनियरिंग में प्रोफेसर दीप्ति रंजन साहू, केएन झा और दीपक यादव की तीन सदस्यों वाली समिति ने 1 अक्टूबर, 2024 को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। इसके दो हफ्ते बाद भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) ने डायल को कारण बताओ नोटिस जारी किया था दो सप्ताह बाद एएआई ने ‘गंभीर और अपरिहार्य चूक’ का हवाला देते हुए डायल को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। डायल ने 10 दिसंबर, 2024 को इसका जवाब दिया था और 4 फरवरी, 2025 को इस बारे में और स्पष्टीकरण दिया। सूत्रों के अनुसार नागरिक उड्डयन मंत्रालय कं अंतर्गत आने वाले एएआई ने अभी तक इस मामले पर अंतिम निर्णय नहीं लिया है।
बिज़नेस स्टैंडर्ड ने इस मामले से संबंधित विभिन्न दस्तावेज देखे हैं। इस मामले में जानकारी के लिए डीजीसीए, आईआईटी दिल्ली और नागरिक उड्डयन मंत्रालय को ईमेल भेजा गया मगर जवाब नहीं आया।
विशेषज्ञ समिति ने डिजाइन में बड़ी त्रुटि की पहचान की। इसमें क्षैतिज बीम को फ्लेयर कॉलम के शीर्ष पर होना चाहिए था मगर इसे बीच में लगाया गया था, जिससे बल वितरण में परिवर्तन हुआ और वेल्डिंग किए गए जोड़ों पर दबाव पड़ा। इसके अलावा वेल्डिंग को 60 मिलीमीटर की गहराई तक होना चाहिए था जबकि इसे 40 मिलीमीटर तक ही किया गया था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि उपर्युक्त विश्लेषण से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि मुख्य रूप से कॉलम के क्षैतिज बीम के जोड़ की वेल्डिंग अच्छी तरह से नहीं की गई थी और छत ढहने का यह एक प्रमुख कारण हो सकता है। गिरे हुए छत की तस्वीरों को देखने से भी पता चलता है कि वेल्डिंग सही तरीके से नहीं की गई थी।
भारी बारिश और जल जमाव के कारण लोड और बढ़ गया, जिससे इसके गिरने की आशंका और बढ़ गई। हालांकि डायल ने 12 दिसंबर को दिए अपने जवाब में इन निष्कर्षों को खारिज करते हुए कहा था कि समिति ने गलत अनुमान लगाया कि ढांचे में निम्न श्रेणी के स्टील (एफई 410) का उपयोग किया गया था, वेल्डिंग साइट पर ही की गई थी और वेल्डिंग की गहराई केवल 40 मिलीमीटर थी। डायल ने दावा किया कि इसमें उच्च श्रेणी (एफई 490) के स्टील का उपयोग किया था और वेल्डिंग भी उचित तरीके से किया था और ढांचा ज्यादा भार सहने में सक्षम था।
ऑपरेटर ने दावा किया कि समिति के निष्कर्ष अविश्वसनीय हैं क्योंकि वे परीक्षण रिपोर्ट के बजाय दुर्घटना स्थल के मुआयना पर आधारित हैं। डायल ने राष्ट्रीय भवन संहिता के अनुपालन और नियमित मॉनसून पूर्व रखरखाव का हवाला देते हुए जलभराव से लोड प्रभावित होने के दावों को भी खारिज कर दिया। साक्ष्य के तौर पर उसने अप्रैल-जून 2024 के दौरान छत की सफाई की तस्वीरें भी मुहैया कराईं।
विशेषज्ञ समिति ने अपनी गणना में एफई 410 स्टील के उपयोग की बात कही है क्योंकि डायल पूरी डिजाइन की ड्राइंग उपलब्ध कराने में विफल रही। रिपोर्ट सौंपे जाने के दो महीने बाद डायल ने एएआई के समक्ष स्वीकार किया कि 2007 से 2009 के बीव डिजाइन में किए गए कुछ बदलाव सहित महत्त्वपूर्ण दस्तावेज जांच के दौरान समिति को उपलब्ध नहीं कराया जा सका था। डायल को बाद में वह दस्तावेज मिला जिससे पता चलता है कि इसमें एफई 490 स्टील का उपयोग किया गया था। डायल ने तर्क दिया कि अपूर्ण जानकारी के कारण समिति के निष्कर्ष त्रुटिपूर्ण थे। डायल ने दस्तावेज उपलब्ध नहीं होने का कारण निर्माण कार्य के लंबे समय को बताया।
उसने कहा कि 15 साल पुराने कुछ अभिलेख ‘आसानी से पता लगाने योग्य’ नहीं हैं। समिति ने रिपोर्ट में संरचना का विश्लेषण मॉडल (स्टैड मॉडल) और आर-वैल्यू की गणना संबंधी दस्तावेज जो भूकंप-रोधी डिजाइन के लिए आवश्यक होते हैं आदि के भी रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं होने की बात कही है। इन रिकार्ड के अभाव से यह चिंता पैदा हुई कि इसमें प्रमुख सुरक्षा कारकों पर विचार किया गया था या नहीं। स्टैड मॉडल के उपलब्ध नहीं होने के संबंध में बिज़नेस स्टैंडर्ड द्वारा पूछे जाने पर डायल के प्रवक्ता ने कहा कि समिति को समीक्षा के लिए 100 से ज्यादा ड्राइंग और डिजाइन रिपोर्ट मुहैया कराए गए थे। उन्होंने कहा कि स्टैड मॉडल गायब होने की बात ‘गलत’ है।
रिपोर्ट के अनुसार भारतीय मानक ब्यूरो ने वर्षा जल संचयन को भी ध्यान में रखने का आदेश दिया था लेकिन डिजाइन में इस महत्त्वपूर्ण भार कारक पर ध्यान नहीं दिया गया जिससे संरचना पर दबाव का संभावित रूप से कम आकलन किया गया। डायल ने इस दावे का खंडन करते हुए कहा कि भारतीय मानक ब्यूरो तिरछी छतों के लिए लाइव लोड रिडक्शन की अनुमति देता है। इसने दावा किया कि 0.75 केपीए पर भी संरचना दबाव झेलने में सक्षम थी।
समिति ने डिजाइन की ड्राइंग और वास्तविक निर्माण के बीच अन्य महत्त्वपूर्ण विसंगतियां पाईं। पर्लिन (छत को सहारा देने वाले बीम) को सीधे ट्रस के शीर्ष बार पर टिकाया जाना चाहिए था लेकिन उन्हें दो पतली वेल्ड किए गए प्लेटों द्वारा सहारा दिया गया था। इसमें पाया गया कि इन संशोधनों को न तो ‘निर्मित’ ड्राइंग में अद्यतन किया गया था और न ही संरचनात्मक विश्लेषण के माध्यम से इन्हें मान्य किया गया था। इसके अलावा खराब निर्माण, उच्च-तनाव बिंदुओं पर गलत तरीके से पर्लिन जोड़ आदि शामिल थे।
जब बिज़नेस स्टैंडर्ड ने इन निष्कर्षों के बारे में पूछा तो डायल ने कहा कि डिजाइन और वेल्डिंग का कार्य एक विशेषज्ञ स्टील एजेंसी, जियोडेसिक टेक्निक्स द्वारा किया गया था, जिसके पास आईएसओ 9001 प्रमाणन है। डायल ने यह भी बताया कि एनएबीएल-मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला परीक्षणों से पता चला है कि वेल्ड की गुणवत्ता संतोषजनक थी, जो विशेषज्ञ समिति के निष्कर्षों का खंडन करता है।
समिति ने ढहे ढांचे की तस्वीरों में जंग लगे वेल्ड को देखा, जिससे पता चला कि इसका सही तरीके से रखरखाव नहीं किया गया था। हालांकि डायल ने दावा किया कि मॉनसून से पहले रखरखाव-मरम्मत का काम किया गया था। समिति ने कहा कि ढहे हिस्से में अग्निरोधी पेंट और जंग रोधी उपाय नहीं किए गए थे। डायल ने कहा कि जो जंग दिख रही है, वह संभवतः केवल ‘सतही’ है जो ऑक्सीकरण की वजह से हुआ है।
उसने एनएबीएल-मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला द्वारा किए गए परीक्षणों का हवाला दिया, जिसमें किसी भी प्रकार की सामग्री कमजोर नहीं पाई गई। यह भी तर्क दिया गया कि राष्ट्रीय भवन संहिता और राष्ट्रीय अग्नि सुरक्षा एसोसिएशन के मानदंडों के अनुसार अग्नि सुरक्षा कोटिंग्स की आवश्यकता नहीं थी।
एएआई के 15 अक्टूबर के कारण बताओ नोटिस में डायल को ‘गंभीर और अपरिहार्य चूक’ के लिए जिम्मेदार ठहराया है, जिसमें कहा गया है कि यह घटना ‘बिना किसी संदेह के’ ऑपरेटर द्वारा अपने संचालन, प्रबंधन और विकास समझौते (ओएमडीए) का अनुपालन करने में विफलता को दर्शाता है। नोटिस में डायर के नेतृत्व के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी गई थी। डायल ने 12 दिसंबर को अपने जवाब में नोटिस को ‘अनुचित और गलत’ बताते हुए खारिज कर दिया और तर्क दिया कि विशेषज्ञ समिति ने कभी भी स्पष्ट रूप से ‘अपरिहार्य चूक’ का निष्कर्ष नहीं निकाला।
इसने आगे कहा कि ओएमडीए के प्रावधानों के तहत इसके वरिष्ठ प्रबंधन को उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता। अब इस मामले में एएआई को निर्णय करना है।