जब विंस्टन चर्चिल द्वितीय विश्व युद्ध में जर्मनी से लड़ने के लिए तैयार हुए, तो उन्हें बहुत सारे बिल चुकाने थे। उन्हें न केवल अपनी दर्जी का बल्कि अपनी घड़ियां बनाने वाले व्यक्ति का, उन्हें शराब बेचने वाले का और प्रिंटर का भी पैसा देना था।
ऐसे में उनकी वेतन के बजाय, उनकी किताबों की बिक्री और अमीर दोस्तों से मिली फाइनेंशियल मदद से उनका गुजारा चलता था, लेकिन इस बात का आरोप भी लगा कि वह बदले में उनका कोई उपकार करते थे।
इंटर-पार्लियामेंट्री यूनियन के डेटा का उपयोग करके बिजनेस स्टैंडर्ड द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, भारतीय संसद सदस्य (MP), जिनका जल्द ही नया सत्र शुरू होने वाला है, एडवांस और उभरते बाजार वाले देशों के सांसदों की तुलना में वेतन के रूप में कम कमाते हैं।
अध्ययन में सात सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं और ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) की जांच की गई। रिपोर्ट में वेतन राशि को “क्रय शक्ति समता (PPP)” के आधार पर बताया गया है, जिसका मतलब है कि यह आंकड़ा हर देश में रहने की लागत को ध्यान में रखते हुए एडजस्ट किया गया है।
ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका में सांसदों का बेसिक वेतन उनके भारतीय सांसदों से तीन गुना अधिक है। भारतीय सांसदों को बड़े देशों के सांसदों की तुलना में भी कम वेतन मिलता है।
दुनियाभर में सांसदों और जनसंख्या के बीच का अनुपात अलग-अलग है। फ्रांस में एक सांसद करीब 70,000 लोगों का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि अमेरिका में यह संख्या 6 लाख से भी ज्यादा हो जाती है। वहीं, चीन में हर सांसद 5 लाख से कम लोगों का प्रतिनिधित्व करता है।
भारत की बात करें तो, यहां एक सांसद करीब 18 लाख लोगों का प्रतिनिधित्व करता है। इसका मतलब है कि अन्य देशों के सांसदों की तुलना में भारत में प्रत्येक सांसद के जिम्मे कहीं ज्यादा जनसंख्या है।
कुछ शोध बताते हैं कि सांसदों को ज्यादा वेतन देने से राजनीति में प्रतिस्पर्धा बढ़ती है और उनकी कार्यशैली में भी सुधार होता है। साथ ही, ज्यादा वेतन मिलने से राजनीति में पढ़े-लिखे और पेशेवर लोग आने की संभावना भी बढ़ जाती है।
2009 के एक अध्ययन में पाया गया कि “अधिक वेतन मिलने से राजनेता अपना पद संभालने को ज्यादा गंभीरता से लेते हैं और बेहतर प्रदर्शन करते हैं।” इस अध्ययन के लेखक ब्राजील की पोंटिफिकल कैथोलिक यूनिवर्सिटी ऑफ रियो के क्लॉडियो फेर्राज़ और यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, लॉस एंजिल्स के फ्रेडरिको फिनन हैं।
अध्ययन के अलावा, भारत में हाल ही में 2024 के आंकड़ों से पता चलता है कि चुनाव दोबारा लड़ने वाले सांसदों की औसत संपत्ति में 43% की वृद्धि हुई है, जो अब 21.55 करोड़ रुपये हो गई है। 18वीं लोकसभा के 543 में से 500 से अधिक सांसदों के पास कम से कम 1 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति है।
युद्ध के दौरान विंस्टन चर्चिल को सालाना लगभग £10,000 वेतन मिलता था। वहीं, ब्रिटिश सांसदों के वेतन में अप्रैल 2024 से 5.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जिसके बाद अब उनका वेतन £91,346 हो गया है।