भारत के मौसम विभाग (आईएमडी) ने साल 2024 के मॉनसून सत्र में 106 फीसदी दीर्घावधि औसत (एलपीए) यानी ‘सामान्य से अधिक’ बारिश होने का पूर्वानुमान जताया है। आईएमडी ने एक दशक बाद अप्रैल की शुरुआत में सामान्य से अधिक बारिश का अनुमान जताया है। इस मामले पर संजीब मुखर्जी ने टेलीफोन पर आईएमडी के महानिदेशक मृत्यंजय महापात्र का साक्षात्कार लिया। संपादित अंश:
मौसम विभाग ने 2024 में दक्षिण पश्चिम मॉनसून में 106 फीसदी एलपीए का अनुमान जताया है। क्या इस साल ज्यादा बारिश होने पर बाढ़ आने की आशंका अधिक है?
हां, असामान्य बारिश होने पर कोई भी बाढ़ की आशंका कर सकता है। हमें इस पर ध्यान देने की जरूरत है कि हम नदियों का जलस्तर बढ़ने की बात कर रहे हैं या शहरी बाढ़ की। अगर आप नदियों में बाढ़ की बात करते हैं तो पूर्वोत्तर की प्रमुख नदी ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियां हैं। लेकिन इस क्षेत्र में ‘सामान्य से कम बारिश’ का अनुमान है।
इस क्षेत्र में बाढ़ नियमित रूप से कम से कम नहीं आएगी। इसके बाद ओडिशा आता है। हमने इस क्षेत्र में भी ‘सामान्य से कम’ बारिश का अनुमान जताया है। लिहाजा महानदी की नदी प्रणाली में भी बाढ़ नहीं आएगी। इसके बाद पश्चिम हिमालय से निकलने वाली नदियां हैं।
इस क्रम में देखें तो जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में भी सामान्य से कम बारिश की उम्मीद है। हिमाचल व उत्तराखंड में ‘सामान्य से अधिक’ बारिश का अनुमान जताया गया है। वहां बाढ़ की आशंका हो सकती है लेकिन सभी नदियों में बाढ़ नहीं आएगी।
यानी संक्षेप में कहा जाए तो आप यह कह रहे हैं कि हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बाढ़ का खतरा अधिक है?
हां, आप कह सकते हैं और इस क्रम में गोदावरी नदी प्रणाली के बारे में भी कह सकते हैं। गोदावरी के क्षेत्र में सामान्य से अधिक बारिश की आशंका जताई गई है। कब बाढ़ आएगी या नहीं, इसके बारे में बताना मुश्किल है।
आईएमडी ने कहा कि पूर्व और पूर्वोत्तर भारत में ‘सामान्य से कम बारिश’ हो सकती है। क्या इसका अर्थ है?
हां, हमने कहा है कि ओडिशा और उससे सटे गंगा नदी के आसपास पश्चिम बंगाल और झारखंड के क्षेत्रों में ‘सामान्य से कम बारिश’ होने का अनुमान है। अगर आप अनुमान के मैप को करीब से देखते हैं तो ओडिशा, छत्तीसगढ़ और अन्य हिस्सों को सफेद से चिह्नित किया गया है। सफेद दिखाए गए स्थानों के बारे में कोई पूर्वानुमान नहीं जताया गया है, यह क्षेत्र ओडिशा और छत्तीसगढ़ में हैं। लिहाजा यहां अनुमान का मॉडल इस बारे में कोई संकेत देने में सक्षम नहीं है कि बारिश ‘सामान्य से कम’ या ‘सामान्य से अधिक’ या ‘सामान्य’ होगी।
सरकार की कैसी तैयारी होनी चाहिए?
मैं मौसम विभाग के अनुरूप सोचा हूं। खेती और पीने के पानी के लिए मॉनसून जरूरी है। लिहाजा यह यह अच्छी खबर है और भरोसा जगाती है। हालांकि किसी भी मॉनसून के लिए हमें सजग रहने की जरूरत है क्योंकि हर दिन बारिश में व्यापक अंतर होगा। अगर ‘मॉनसून सामान्य से अधिक’ रहता है तो कुछ क्षेत्रों में बाढ़ आ सकती है।