देश भर में मॉनसूनी बारिश कम होने से गर्मी इतनी बढ़ गई कि बिजली की मांग ने रिकॉर्ड तोड़ दिए। बुधवार यानी कल देश में 233 गीगावाट बिजली की मांग आई, जो इससे पहले कभी नहीं देखी गई थी। अलनीनो का असर बढ़ने से देश में बिजली की मांग अक्टूबर तक बढ़ी रहने का अनुमान है।
बिजली की मांग बढ़ने से देसी कोयले की आपूर्ति में दिक्कत आ सकती है क्योंकि अगस्त से अक्टूबर तक के महीने कोयला आपूर्ति श्रृंखला के लिए अहम होते हैं। आम तौर पर इन महीनों में बिजली की मांग घटने से कोयले की आपूर्ति भी कम हो जाती है। लेकिन मौसम का मिजाज बदलने और जलवायु परिवर्तन होने के कारण आने वाले महीने भी गर्म बने रह सकते हैं, जिससे कोयले की मांग बढ़ेगी।
ग्रिड इंडिया के आंकड़ों के अनुसार बुधवार को दिन में बिजली की अधिकतम मांग 233 गीगावाट रही, जिसमें सबसे ज्यादा 81 गीगावाट बिजली की जरूरत उत्तर भारत में हुई। पश्चिमी क्षेत्र में 67 गीगावाट की मांग रही। नैशनल पावर पोर्टल (NPP) के आंकड़ों के मुताबिक देश में बिजली की कुल मांग की करीब 80 फीसदी भरपाई ताप बिजली प्लांटों से की गई। 15 अगस्त को ताप बिजली प्लांटों के पास औसतन 11 दिन के लिए कोयले का भंडार पड़ा था।
रेटिंग एजेंसी इक्रा ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा था कि चालू वित्त वर्ष में बिजली की मांग 5.5 फीसदी तक बढ़ सकती है, जबकि पिछले वित्त वर्ष में मांग में 9 फीसदी इजाफा हुआ था। इक्रा ने यह भी कहा था कि अलनीनो की वजह से बिजली की मांग बढ़ सकती है।
कमजोर शुरुआत के बाद दक्षिण-पश्चिम मॉनसून ने जुलाई में अच्छी प्रगति की और इस दौरान देश भर में सामान्य से करीब 13 फीसदी ज्यादा बारिश हुई। मगर अगस्त से अलनीनो की दस्तक होने के कारण अधिकांश हिस्सों में बारिश थम गई। इस महीने अभी तक मॉनसून हिमालय की तलहटी और पूर्वोत्तर राज्यों में ही सिमटा रहा है।
1 अगस्त से 16 अगस्त के बीच देश में मॉनसूनी बारिश में करीब 38 फीसदी की कमी दर्ज की गई, जो पिछले कुछ साल में मॉनसून का सबसे खराब प्रदर्शन रहा है। बारिश थमने का सबसे बुरा असर पश्चिमोत्तर इलाकों में हुआ है, जहां बहुत अधिक उमस और गर्मी हो रही है।
अगस्त में उत्तर भारत के अधिकांश हिस्सों में अधिकतम तापमान 30 से 40 डिग्री सेल्सियस के बीच रहा, जैसा आम तौर पर इस महीने में नहीं होता है। 11 अगस्त तक उत्तर भारत में सामान्य से तकरीबन 38 फीसदी कम और प्रायद्वीपीय भारत में सामान्य से 72 फीसदी कम बारिश हुई। 1 जून से 16 अगस्त के बीच देश भर में कुल बारिश सामान्य से 6 फीसदी कम रही, जबकि जुलाई के अंत तक सामान्य से 5 फीसदी अधिक बारिश हुई थी।
चिंता की बात यह है कि अधिकतर मौसम विज्ञानियों को आगे बारिश की रफ्तार बढ़ने के आसार कम ही दिख रहे हैं। अभी 5 से 6 दिन तक बारिश रुकी रहेगी और सितंबर में ही पानी पड़ने का अनुमान है। सितंबर में आम तौर पर देश भर में कम बारिश होती है और पश्चिमी राजस्थान से मॉनसून लौटना शुरू कर देता है।
अगर सितंबर में सामान्य से ज्यादा बारिश होती भी है तो हालात ज्यादा नहीं बदलेंगे क्योंकि इस दौरान बारिश की मात्रा जुलाई से अगस्त के मुकाबले महज 18.3 फीसदी रहती है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि लंबे समय तक मौसम गर्म रहा तो बिजली की मांग बढ़ेगी। इससे कोयले की मांग में भी इजाफा होगा। देश में कोल इंडिया मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त कोयला उपलब्ध करा रही है। बारिश नहीं हुई तो कोल इंडिया की खदानों से कोयला निकलता रहेगा। रेल से मालढुलाई को भी इसी हिसाब से व्यवस्थित करने की जरूरत है। बिजली मंत्रालय ने सभी बिजली उत्पादकों को बढ़ी मांग और देसी कोयले की किल्लत पूरी करने के लिए अनिवार्य रूप से कोयले का आयात करने का निर्देश दिया था।