धान के प्रमुख उत्पादक इलाकों बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के गंगा मैदान को छोड़ दें तो जुलाई के दौरान दक्षिण-पश्चिम मॉनसून में देश के लगभग सभी हिस्सों में सामान्य से ज्यादा बारिश हुई है।
वैज्ञानिकों और मौसम विज्ञानियों ने कहा कि बंगाल की खाड़ी में एक के बाद एक कम दबाव वाला क्षेत्र बनने और उसके पश्चिम दिशा से मध्य और उत्तर भारत की ओर बढ़ने के साथ ही अरब सागर के ऊपर चक्रवात बनने से मॉनसून के लिए अनुकूल स्थिति बनी। इस कारण जुलाई में देश के अधिकांश हिस्सों में अच्छी बारिश हुई।
इस दौरान अलनीनो का असर भी कुछ कम रहा। कुल मिलाकर 1 जून से 30 जुलाई तक देश भर में 463.3 मिलीमीटर बारिश हुई, जो सामान्य से 6 फीसदी अधिक है। मगर बारिश की वजहों में से कुछ का असर आगे जाकर कम होगा, जिससे अलनीनो का नकारात्मक प्रभाव बढ़ सकता है। अभी तक अलनीनो बेअसर ही रहा है।
जुलाई और अगस्त के महीने खरीफ फसलों की बोआई और बढ़त के लिए अहम होते हैं क्योंकि जून से लेकर सितंबर तक होने वाली मॉनसूनी बारिश की तकरीबन 60 फीसदी बारिश इन्हीं दो महीनों में होती है।
Also read: सोयाबीन व धान का रकबा बढ़ा, अरहर, मूंगफली और कपास का घटा
इस अवधि में बारिश में किसी भी बड़ी कमी का असर मुख्य रूप से खरीफ की पैदावार पर पड़ सकता है क्योंकि इसकी बोआई पहले ही पिछड़ चुकी है। पिछले हफ्ते तक 8.30 करोड़ हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बोआई हुई थी, जिनका रकबा पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 0.16 फीसदी कम है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव माधवन राजीवन ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘अगस्त में मेडेन जूलियन ऑसिलेशन का असर खत्म हो जाएगा और अलनीनो का प्रभाव बढ़ सकता है, जिससे मॉनसूनी बारिश पर असर पड़ सकता है।’ राजीवन ने कहा कि जुलाई में एमजेओ सक्रिय चरण में था लेकिन अगस्त में यह कमजोर पड़ सकता है। भारतीय मॉनसून पर अलनीनो के कारण आम तौर पर बारिश में लंबी बाधा आ जाती है, जिसके अगस्त के दूसरे हफ्ते में सक्रिय होने की आशंका है।
वैज्ञानिकों और मौसम विज्ञानियों ने कहा कि मॉनसून में रुकावट आई तो मॉनसून की बरिश हिमालय की तलहटी और तमिलनाडु जैसे सुदूर दक्षिण भारत तक सीमित रह सकती है और बाकी हिस्से सूखे रह सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘अगर बारिश दो हफ्ते से ज्यादा समय तक ठप रहती है तो चिंता की बात होगी. सरकार तथा अन्य को इसके लिए तैयार रहना चाहिए।’
Also read: Magicpin बेच रहा 70 रुपये में टमाटर, जानें और किस ऐप से कर सकते हैं फायदे में ऑर्डर
मौसम विभाग अगस्त में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की प्रगति का विस्तृत अनुमान अगले कुछ दिनों में जारी कर सकता है, जिससे स्थिति ज्यादा स्पष्ट होगी।
मौसम का अनुमान लगाने वाली निजी संस्था स्काईमेट में मौसम और जलवायु परिवर्तन के उपाध्यक्ष महेश पलावत ने कहा कि अगले कुछ दिनों में मॉनसून हिमालय की तहलटी की ओर जा सकता है, जिससे पूर्वी भारत मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल का गंगा का मैदान में अच्छी बारिश हो सकती है, जहां अभी तक कम बारिश हुई है।
इस बीच मौसम और जलवायु अनुमान की दुनिया से इतर ज्योतिष और हिंदू पंचांग को मानने वालों का कहना है कि तमाम प्रतिकूल अनुमानों के बावजूद इस साल मॉनसून में अच्छी बारिश होगी क्योंकि इस साल कई दशक में पहली बार श्रावण महीने में अधिमास लग रहा है और सावन महीना अच्छी बारिश के लिए जाना जाता है।