Gold Monetisation Scheme: वित्त मंत्रालय ने मंगलवार (25 मार्च) को गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम (GMS) के तहत मीडियम और लॉन्ग टर्म गवर्नमेंट डिपॉजिट (MLTGD) घटकों को 26 मार्च से बंद करने की घोषणा की। वित्त मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, यह फैसला स्कीम के प्रदर्शन और बदलते बाजार हालात की व्यापक समीक्षा के बाद लिया गया है।
गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम (GMS) की शुरुआत 15 सितंबर 2015 को की गई थी, जिसका उद्देश्य देश की सोने के आयात (gold imports) पर निर्भरता को कम करना और घरों व संस्थानों के पास मौजूद बड़े पैमाने पर सोने को उत्पादक कार्यों (productive use) में इस्तेमाल के लिए जुटाना था। इस स्कीम में शुरुआत में तीन घटक शामिल थे — शॉर्ट टर्म बैंक डिपॉजिट (1-3 साल), मीडियम टर्म गवर्नमेंट डिपॉजिट (5-7 साल) और लॉन्ग टर्म गवर्नमेंट डिपॉजिट (12-15 साल)।
रिवाइज फ्रेमवर्क के तहत, मीडियम टर्म और लॉन्ग टर्म गवर्नमेंट डिपॉजिट के अंतर्गत अब 26 मार्च से किसी भी अधिकृत कलेक्शन एंड प्योरिटी टेस्टिंग सेंटर (CPTC), गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम कलेक्शन एंड टेस्टिंग एजेंट (GMCTA), या बैंक शाखाओं में डिपॉजिट स्वीकार नहीं किए जाएंगे।
हालांकि, इन दोनों घटकों के तहत पहले से किए गए डिपॉजिट मौजूदा दिशा-निर्देशों और रिजर्व बैंक (RBI) के मास्टर डाइरेक्शन के अनुसार रिडेम्प्शन तक जारी रहेंगे।
वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “हालांकि MLTGD घटकों को बंद किया जा रहा है, लेकिन शॉर्ट टर्म बैंक डिपॉजिट (STBD) विकल्प उपलब्ध रहेगा। हालांकि, इसकी उपलब्धता संबंधित बैंक की व्यावसायिक संभावनाओं के आकलन पर निर्भर करेगी। इस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश जल्द ही RBI द्वारा जारी किए जाने की उम्मीद है।”
यह नीति बदलाव सरकार की उस लगातार कोशिश को दिखाता है, जिसके तहत वह गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम (GMS) को और बेहतर बनाना चाहती है। सरकार इसका ढांचा बदलते हुए मौजूदा वित्तीय हालात के अनुसार ढालने की कोशिश कर रही है। इसके साथ ही, वह अर्थव्यवस्था में सोने की भूमिका पर भी ध्यान बनाए हुए है।