ऐपल इंक भारत में अपने विनिर्माण का दायरा लगातार बढ़ा रही है। कंपनी ने इसकी शुरुआत कर्नाटक और तमिलनाडु में दो आईफोन कारखाने से की थी। मगर अब उसके विनिर्माण का दायरा 8 राज्यों और 40 से अधिक आपूर्तिकर्ताओं तक फैल चुका है। उसके आपूर्तिकर्ताओं में कई सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई) भी शामिल हैं।
कंपनी ने सबसे पहले दो राज्यों में आईफोन कारखाने स्थापित किए थे। मगर अब वह देश भर के आपूर्तिकर्ताओं को अपनी वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में शामिल कर रही है। मामले से अवगत लोगों के मुताबिक, कंपनियां अपना परिचालन गुजरात, केरल, हरियाणा, तेलंगाना, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में स्थपित कर रही हैं।
ऐपल के आपूर्तिकर्ताओं को मोटे तौर पर तीन श्रेणियों में रखा जा सकता है। पहली श्रेणी में उन कंपनियों को शामिल किया जा सकता है जो फॉक्सकॉन और टाटा इलेकट्रॉनिक्स द्वारा संचालित 5 आईफोन कारखानों को पुर्जों की आपूर्ति करती हैं। दूसरी श्रेणी में उन कंपनियों को रखा जा सकता है जो भारत के बाहर ऐपल की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में निर्यात के लिए पुर्जों का उत्पादन करती हैं। तीसरी श्रेणी की कंपनियां भारत में नई आईफोन उत्पाद लाइन में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों के लिए कलपुर्जा बनाती हैं। इसमें गियर जैसे उपकरण भी शामिल हैं जिनका हाल तक चीन से आयात किया जाता था।
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पिछले 8 से 12 महीनों के दौरान आपूर्तिकर्ताओं की नई लहर पैदा हुई है। गुजरात में हिंडाल्को, महाराष्ट्र में स्वचालन में विशेषज्ञता रखने वाली कंपनी विप्रो पीएआरआई, जैबिल एवं भारत फोर्ज, केरल में एसएफओ टेक्नॉलजीज और हरियाणा में मूल उपकरण विनिर्माताओं (ओईएम) के लिए डिजाइन, विकास एवं विनिर्माण सेवा प्रदाता वीवीडीएन टेक्नॉलजीज शामिल हैं। नए आपूर्तिकर्ताओं में कर्नाटक से जेएलके टेक्नॉलजीज और ऐक्वस शामिल हैं।
ऐपल ने तेलंगाना में एक एयरपॉड्स कारखाना भी लगाया है जो पहले से ही परिचालन में है। पिछली गणना के अनुसार, भारत में ऐपल ने 40 फर्मों का नेटवर्क तैयार किया है जो पिछले 24 महीनों के दौरान पूरी तरह तैयार हुई हैं। इनमें से कुछ फर्म संयुक्त उद्यम के रूप में काम करती हैं, जबकि कई अन्य कंपनियां इनहाउस प्रौद्योगिकी विकसित कर रही हैं।
कई कंपनियां तो हाल में शुरू की गई सरकार की इलेक्ट्रॉनिक पुर्जा विनिर्माण योजना (ईसीएमएस) में भी हिस्सा ले रही हैं। इनमें ऐक्वस भी शामिल है। वह ऐपल मैकबुक और ऐपल वॉच के लिए पुर्जे बनाती है और सौ फीसदी निर्यात केंद्रित इकाई चलाती है। वह पिछले महीने ईसीएमएस के तहत मंजूरी हासिल करने वाली पहली कंपनियों में शामिल थी।
सरकारी अनुमानों के अनुसार, पिछले चार वर्षों के दौरान मोबाइल फोन विनिर्माण में मूल्यवर्धन 18 फीसदी से अधिक हो चुका है। यह 2000 के दशक के मध्य के बाद पिछले दो दशक में हासिल चीन के 38 से 40 फीसदी मूल्यवर्धन के मुकाबले काफी बेहतर है। मगर इसके बावजूद मौजूदा आंकड़ा वित्त वर्ष 2026 तक सरकार के 35 फीसदी घरेलू मूल्यवर्धन के बुनियादी पीएलआई लक्ष्य से कम है।
ऐपल ने वित्त वर्ष 2025 के दौरान भारत में 22 अरब डॉलर की एफओबी (फ्री ऑन बोर्ड) मूल्य के आईफोन बनाए और उसमें से 80 फीसदी (लगभग 17.5 अरब डॉलर) का निर्यात किया। इस वित्त वर्ष में उत्पादन 25 अरब डॉलर और निर्यात 20 अरब डॉलर से अधिक होने की उम्मीद है।