वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को चालू वित्त वर्ष 2026 में 41,455 करोड़ रुपये अतिरिक्त व्यय के लिए संसद से मंजूरी मांगी है। इसमें 28,000 करोड़ रुपये उर्वरक और पेट्रोलियम सब्सिडी के लिए है। लोकसभा में अनुदान के लिए पेश पहली पूरक मांग में 1.32 करोड़ रुपये सकल अतिरिक्त व्यय की मांग रखी गई है, जिसमें से 90,812 करोड़ रुपये की भरपाई विभिन्न मंत्रालयों और विभागों की बचत से की जाएगी।
इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि अनुदान के लिए पहली पूरक मांग में नकदी की शुद्ध जरूरत तुलनात्मक रूप से कम है और इसकी व्यवस्था अन्य मदों की बचत से हो सकती है। उन्होंने कहा, ‘हमारा मानना है कि वित्त वर्ष 2026 के बजट अनुमान की तुलना में कर संग्रह थोड़ा कम रहेगा, लेकिन गैर कर राजस्व बजट अनुमान की तुलना में अधिक रहने से इस कमी की आंशिक भरपाई हो जाएगी। कुल मिलाकर हमें नहीं लगता कि मौजूदा हालत में कोई राजकोषीय चूक होगी।’
उर्वरक सब्सिडी पर भारत का व्यय (यूरिया और गैर यूरिया दोनों में) वित्त वर्ष 2026 की पहली छमाही में पिछले साल के स्तर से अधिक हो गया है, क्योंकि भारत में बड़ी मात्रा में यूरिया, डीएपी और एनपीकेएस का आयात हुआ है।
वित्त वर्ष2025 की पहली छमाही में जहां 89,460.65 करोड़ रुपये का आयात हुआ था, वहीं वित्त वर्ष 2026 में पहले ही 1.07 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। वित्त वर्ष 2026 में यूरिया और गैर यूरिया उर्वरक पर करीब 1.68 लाख करोड़ रुपये सब्सिडी का बजट अनुमान लगाया गया था। विशेषज्ञों का कहना है कि यूरिया और तैयार डीएपी और यहां तक कि एनपीकेएस की कीमत भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पिछले साल की तुलना में अधिक है। ऐसे में कुल मिलाकर उर्वरक सब्सिडी 1.9 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो सकती है।
यारा साउथ एशिया के प्रबंध निदेशक संजीव कंवर ने कहा कि मेरा अनुमान है कि उर्वरक सब्सिडी 15 प्रतिशत और बढ़ेगी, यह मेरा व्यक्तिगत अनुमान है।