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केंद्र को अहितकर वस्तुओं से रेवेन्यू जुटाने का मिलेगा अ​धिकार, वित्त मंत्री ने लोक सभा में पेश किए दो टैक्सेशन बिल

केंद्र जुलाई 2017 से ऐसे उत्पादों पर उपकर लगा रहा था और माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने से राजस्व नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिए इसे राज्यों के साथ साझा किया जाता था

Last Updated- December 01, 2025 | 10:55 PM IST
Nirmala Sitharaman

तंबाकू उत्पादों पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क को और बढ़ाने तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित व्यय के लिए पान मसाले पर उपकर लगाने के मकसद से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज लोक सभा में दो प्रमुख कराधान विधेयक पेश किए। इससे केंद्र को अहितकर वस्तुओं से अतिरिक्त राजस्व एकत्र करने का अ​धिकार मिलेगा।

केंद्र जुलाई 2017 से ऐसे उत्पादों पर उपकर लगा रहा था और माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने से राजस्व नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिए इसे राज्यों के साथ साझा किया जाता था। हालांकि केंद्र ने 2022 तक वादा किए गए 5 वर्षों की अवधि के बाद राज्यों को मुआवजा देना बंद कर दिया मगर कोविड के दौरान अतिरिक्त उधार चुकाने के लिए मुआवजा उपकर जारी रहा। किंतु नए कदम के तहत अब केंद्र इससे जुटाए गए अतिरिक्त राजस्व को राज्यों के साथ साझा नहीं करेगा।

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ईवाई इंडिया में मुख्य नीति सलाहकार डीके श्रीवास्तव का मानना है कि इसके पीछे जीएसटी सुधारों के कारण होने वाले कुछ राजस्व नुकसान की भरपाई करने का विचार है।

उन्होंने कहा, ‘नवंबर के आंकड़े बताते हैं कि जीएसटी संग्रह में तेजी घट गई है। उपकर की पिछली व्यवस्था राज्यों को क्षतिपूर्ति और ऋण चुकाने के लिए थी। राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य पूरे देश के उद्देश्य को पूरा करते हैं न कि केवल केंद्र सरकार के। हालांकि श​क्ति केंद्र सरकार के पास होगी।’

तृणमूल कांग्रेस से सांसद सौगत राय ने लोक सभा में दोनों विधेयकों का कड़ा विरोध किया। उन्होंने तर्क दिया कि सरकार तंबाकू उत्पादों से राजस्व चाहती है, जबकि विधेयक पैकेटों पर तंबाकू के खतरों का उल्लेख नहीं करता है और सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा को आगे नहीं बढ़ाता है। उन्होंने केंद्र की ऐसे उत्पादों से केवल उत्पाद शुल्क आकर्षित करने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए आलोचना की।

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वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी की शुरुआत के बाद तंबाकू पर उत्पाद शुल्क में तेजी से कमी की गई थी ताकि मुआवजा उपकर के लिए जगह बनाई जा सके और नवीनतम संशोधनों का उद्देश्य फिर से वित्तीय गुंजाइश बनाना है क्योंकि उपकर को चरणबद्ध तरीके से समाप्त किया जा रहा है।

First Published - December 1, 2025 | 10:50 PM IST

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