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रेंट पर घर ढूंढ रहे हैं? वहां जाने से पहले किराये के नियमों को जान लें, नहीं तो हो सकता है बड़ा नुकसान

नए किराया कानून में रजिस्ट्रेशन, डिजिटल ई-स्टैंपिंग और नोटिस नियम लागू किए गए हैं जिससे किराएदार और मकान मालिक दोनों के अधिकार सुरक्षित किए गए हैं

Last Updated- December 01, 2025 | 6:23 PM IST
rental house
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

अगर आप कभी रेंट पर रहे हैं या फिर कभी घर बदला है तो आप भी कुछ चिंता से जरूर रुबरु होंगे। मोटी सिक्योरिटी डिपॉजिट, रजिस्टर्ड एग्रीमेंट का नामोनिशान नहीं और हर वक्त डर कि मकान मालिक ने अचानक घर खाली करा लिया तो कहां जाएंगे, ये चिंता हमेशा एक टेनेंट के मन में बनी रहती है। इनमें से ज्यादातर झगड़े का असली कारण बस एक ही है कि सही डॉक्यूमेंट नहीं होना और दोनों तरफ की अलग-अलग उम्मीदें।

लेकिन अब इन सब टेंशन से बचने का सबसे आसान तरीका है नए किराया कानून को अच्छे से समझ लेना। कौन रजिस्टर करेगा, डिपॉजिट कितना होगा, नोटिस कितने दिन पहले देना है और कुछ मिस हुआ तो क्या सजा मिलेगी, आपको सबकुछ साफ-साफ समझ लेना जरूरी है।

मॉडल टेनेंसी एक्ट: देशभर में एक जैसा किराया कानून

जून 2021 में केंद्र सरकार ने मॉडल टेनेंसी एक्ट (MTA) पास किया था। अभी तक उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु सहित 14 राज्य इसे लागू कर चुके हैं, बाकी राज्यों से भी जल्दी लागू करने को कहा गया है।

इस कानून की बड़ी बातें:

  • घर के लिए सिक्योरिटी डिपॉजिट सिर्फ 2 महीने का, दुकान-ऑफिस के लिए अधिकतम 6 महीने
  • बिना ठोस वजह के अचानक बेदखली नहीं हो सकती
  • झगड़े निपटाने के लिए अलग रेंट कोर्ट, 60 दिन में फैसला का वादा

1 जुलाई से हुए दो बड़े बदलाव

  1. हर किराया एग्रीमेंट के लिए डिजिटल ई-स्टैंपिंग अनिवार्य
  2. किराए की सालाना कमाई पर TDS छूट 2.4 लाख से बढ़ाकर 6 लाख रुपये कर दी गई

इससे छोटे मकान मालिकों का टैक्स बोझ कम होगा, प्रॉपर्टी किराए पर चढ़ाना आसान होगा, जिससे किराया भी थोड़ा कम रहने की उम्मीद है।

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रजिस्ट्रेशन कौन करेगा?

दोनों (मकान मालिक + किराएदार) मिलकर। एग्रीमेंट साइन करने के 2 महीने के अंदर राज्य की रेंट अथॉरिटी को सूचना देनी होती है। ऑनलाइन (जैसे यूपी में IGRS पोर्टल) या ऑफलाइन दोनों तरीके हैं। इससे एक यूनिक आईडी बनती है और एग्रीमेंट कानूनी तौर पर मान्य हो जाता है।

रजिस्ट्रेशन नहीं कराया तो कोर्ट में कोई दावा नहीं चलेगा। आप न किराया वसूल सकते हो, न बेदखली का केस लड़ सकते हो।

देर की तो लगेगा जुर्माना!

जुलाई 2025 से पूरे देश में नया नियम लागू किया गया है। इसके तहत 2 महीने में रजिस्ट्रेशन नहीं कराया तो 5,000 रुपये का जुर्माना देना पड़ेगा। हाउसिंग मिनिस्ट्री के मुताबिक 70% किराया विवाद गैर-कानूनी एग्रीमेंट की वजह से ही होते हैं।

आपकी जेब पर सीधा असर

किराएदार के फायदे:

  • 3-6 महीने की मोटी डिपॉजिट खत्म, सिर्फ 2 महीने
  • किराया बढ़ाने से पहले 15 दिन का नोटिस और आपकी सहमति जरूरी है

मकान मालिक के फायदे:

  • 6 लाख तक किराए की कमाई पर कोई TDS नहीं
  • अच्छे किराएदार आसानी से मिलेंगे, रिपेयर पर टैक्स छूट भी ले सकेंगे

प्रैक्टिकल टिप्स

  • किराएदार: ई-स्टैंप का खर्च 500-1,000 रुपये रखें, अपने राज्य के पोर्टल पर सब्सिडी चेक कर लें
  • मकान मालिक: फटाफट रजिस्ट्रेशन कराएं, कानूनी झंझट से बचें और बेहतर टेनेंट भी मिलेंगे

कुल मिलाकर ये नए नियम किराए के बाजार को पारदर्शी और किराएदारों के लिए ज्यादा सुरक्षित बना रहे हैं। बजट के अनुमान के अनुसार 2030 तक इससे 1.5 लाख करोड़ रुपये का फॉर्मल हाउसिंग स्टॉक खुलेगा। अपने राज्य की हाउसिंग विभाग की वेबसाइट पर जाकर तुरंत चेक कर लीजिए कि आपके यहां क्या-क्या नियम लागू हो चुके हैं।

First Published - December 1, 2025 | 6:23 PM IST

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