अगर आप कभी रेंट पर रहे हैं या फिर कभी घर बदला है तो आप भी कुछ चिंता से जरूर रुबरु होंगे। मोटी सिक्योरिटी डिपॉजिट, रजिस्टर्ड एग्रीमेंट का नामोनिशान नहीं और हर वक्त डर कि मकान मालिक ने अचानक घर खाली करा लिया तो कहां जाएंगे, ये चिंता हमेशा एक टेनेंट के मन में बनी रहती है। इनमें से ज्यादातर झगड़े का असली कारण बस एक ही है कि सही डॉक्यूमेंट नहीं होना और दोनों तरफ की अलग-अलग उम्मीदें।
लेकिन अब इन सब टेंशन से बचने का सबसे आसान तरीका है नए किराया कानून को अच्छे से समझ लेना। कौन रजिस्टर करेगा, डिपॉजिट कितना होगा, नोटिस कितने दिन पहले देना है और कुछ मिस हुआ तो क्या सजा मिलेगी, आपको सबकुछ साफ-साफ समझ लेना जरूरी है।
जून 2021 में केंद्र सरकार ने मॉडल टेनेंसी एक्ट (MTA) पास किया था। अभी तक उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु सहित 14 राज्य इसे लागू कर चुके हैं, बाकी राज्यों से भी जल्दी लागू करने को कहा गया है।
इस कानून की बड़ी बातें:
1 जुलाई से हुए दो बड़े बदलाव
इससे छोटे मकान मालिकों का टैक्स बोझ कम होगा, प्रॉपर्टी किराए पर चढ़ाना आसान होगा, जिससे किराया भी थोड़ा कम रहने की उम्मीद है।
दोनों (मकान मालिक + किराएदार) मिलकर। एग्रीमेंट साइन करने के 2 महीने के अंदर राज्य की रेंट अथॉरिटी को सूचना देनी होती है। ऑनलाइन (जैसे यूपी में IGRS पोर्टल) या ऑफलाइन दोनों तरीके हैं। इससे एक यूनिक आईडी बनती है और एग्रीमेंट कानूनी तौर पर मान्य हो जाता है।
रजिस्ट्रेशन नहीं कराया तो कोर्ट में कोई दावा नहीं चलेगा। आप न किराया वसूल सकते हो, न बेदखली का केस लड़ सकते हो।
जुलाई 2025 से पूरे देश में नया नियम लागू किया गया है। इसके तहत 2 महीने में रजिस्ट्रेशन नहीं कराया तो 5,000 रुपये का जुर्माना देना पड़ेगा। हाउसिंग मिनिस्ट्री के मुताबिक 70% किराया विवाद गैर-कानूनी एग्रीमेंट की वजह से ही होते हैं।
किराएदार के फायदे:
मकान मालिक के फायदे:
प्रैक्टिकल टिप्स
कुल मिलाकर ये नए नियम किराए के बाजार को पारदर्शी और किराएदारों के लिए ज्यादा सुरक्षित बना रहे हैं। बजट के अनुमान के अनुसार 2030 तक इससे 1.5 लाख करोड़ रुपये का फॉर्मल हाउसिंग स्टॉक खुलेगा। अपने राज्य की हाउसिंग विभाग की वेबसाइट पर जाकर तुरंत चेक कर लीजिए कि आपके यहां क्या-क्या नियम लागू हो चुके हैं।