एक फरवरी को पेश किये गए सेंट्रल बजट से महाराष्ट्र को क्या मिला। इस पर सत्ता और विपक्ष की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं मिली।
मुख्यमंत्री दावा कर रहे हैं कि केन्द्रीय बजट महाराष्ट्र की इकॉनमी को एक ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी बनने के प्रयासों में मदद करेगा। जबकि विपक्ष इसे मूल सवालों को नजरअंदाज करने वाला और चुनावी जुमलेबाजी वाला बजट बता रहा है।
विपक्षी दल कह रहे हैं कि राष्ट्रीय बजट में महाराष्ट्र को कुछ नहीं मिला, मुंबई का जिक्र तक नहीं हुआ। महाराष्ट्र के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम किया गया।
इसके जवाब में सत्ता पक्ष कह रहा है कि महाराष्ट्र की लगभग सभी मांगे बजट में पूरी की गई। सुगर इंडस्ट्री, सहकारिता और इंफ्रा व उद्योग की जो मांग राज्य सरकार ने की थी वह सभी बजट में दी गई।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि यह गरीबों को आधार , मध्यमवर्ग को राहत, उद्योगों को उभार, बुनियादी सुविधाओं में सुधार और युवाओं को रोजगार देने वाला बजट है। यह शहरी और ग्रामीण के बीच संतुलन बनाने वाला बजट है। दुनिया में हो रहे नये बदलावों और उनकी चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए दूरदर्शी बजट पेश किया गया।
शिंदे ने कहा, “आधारभूत सुविधाओं के लिए 10 लाख करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं। इससे महाराष्ट्र में विभिन्न परियोजनाओं को लाभ होगा और निश्चित रूप से सकारात्मक परिणाम महाराष्ट्र में भी देखने को मिलेगा। पिछले तीन साल कोविड संकट के थे। उससे बाहर निकलने के लिए यह नया कर ढांचा फायदेमंद होगा। कुछ निर्णय महाराष्ट्र में लागू की गयी योजनाओं, परियोजनाओं, अवधारणाओं के अनुरूप हैं। इंडिया एट 100 (India@100) रणनीति चार क्षेत्रों पर केंद्रित है। इनमें महिला सशक्तिकरण, पीएम विकास अर्थात पारंपरिक कारीगरों का सम्मान, पर्यटन और हरित विकास शामिल हैं। इन चारों क्षेत्रों में महाराष्ट्र में पहले ही काम शुरु हो चुका है।”
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के लघु उद्योगों को देश भर में सबसे कुशल माना जाता है। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों के लिए क्रेडिट गारंटी योजना में प्रस्तावित संशोधन इन छोटे उद्योगों को और अधिक उत्पादन सक्षम बनायेंगे। महाराष्ट्र में एक दिन पहले ही पौष्टिक अनाज वर्ष का शुभारंभ किया गया। जब हम अनाज वर्ष का जश्न मना रहे हैं, ऐसे में बजट में इसका प्रावधान होना निश्चित रूप से स्वागत योग्य है। अनाज वर्ष निश्चित रूप से महाराष्ट्र के समग्र बाजार के लिए फायदेमंद होगा।
बजट में कृषि और सहकारिता क्षेत्र को बहुत प्राथमिकता दी गयी है। सहकारिता ही महाराष्ट्र की ताकत है। पिछले सप्ताह सहकारी चीनी मिलों की विभिन्न मांगों को लेकर दिल्ली में एक बैठक हुई थी जिसमें सहकारी चीनी मिलों के आयकर से संबंधित मुद्दे पर चर्चा हुई थी। केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने इस संबंध में समाधान निकालने का आश्वासन दिया था।
बजट में घोषणा की गयी है कि जिन सहकारी चीनी कारखानों पर देनदारी थी उस में करीब दस हजार करोड़ रुपये की राहत सहकारी चीनी कारखानों को मिलेगी।
कृषि उपज के भंडारण के लिए बड़े पैमाने पर विकेंद्रीकृत व्यवस्था स्थापित की जायेगी। इसके लिए विभिन्न कार्यकारी सोसायटियों, मत्स्य पालन और डेयरी विकास संगठनों की मदद की जाएगी, जिससे किसानों को सही समय पर अपना माल बाजार तक लाने में सुविधा होगी।