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मुंबई की प्यास बुझाएगा समंदर! समुद्री जल को मीठा बनाने की योजना, पेयजल संकट से मिलेगा छुटकारा

समुद्र के पानी को मीठा कर उसे पीने योग्य बनाने के लिए बीएमसी मनोरी परियोजना पर लंबे समय से काम कर रही है।

Last Updated- March 18, 2025 | 8:48 PM IST
गेटवे ऑफ इंडिया मुंबई | फोटो क्रेडिट: Commons

समुद्र के पानी को मीठा कर उसे पीने योग्य बनाने वाली परियोजना पर बीएमसी लंबे समय से काम कर रही है। इस परियोजनाओं को अमलीजामा पहनाने के लिए वैश्विक टेंडर निकाले जाएंगे। महाराष्ट्र के उद्योग मंत्री उदय सामंत ने विधान परिषद को बताया कि मुंबई के लिए समुद्री जल विलवणीकरण परियोजना शुरू की गई है और इस परियोजना के लिए अंतरराष्ट्रीय बोली प्रक्रिया आयोजित की जाएगी।

उद्योग मंत्री ने कहा कि मुंबई में बढ़ती पानी की कमी को दूर करने के लिए राज्य सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। समुद्री जल को पेयजल में परिवर्तित करने की परियोजना के लिए तुरंत एक अंतर्राष्ट्रीय निविदा प्रक्रिया शुरू की जाएगी। मुंबई के नागरिक भी बड़े पैमाने पर पानी की कमी का सामना कर रहे हैं। इसलिए मुंबई नगर निगम को आधुनिक तकनीक का उपयोग करके जलापूर्ति में सुधार करने का निर्देश दिया जाएगा।

सामंत ने कहा कि 12 नवंबर 2013 को स्वीकृत गरगई परियोजना को पूरा होने में चार साल लगेंगे। इस परियोजना के पूरा होने के बाद मुंबई नगर निगम को 440 मिलियन लीटर अतिरिक्त पानी की आपूर्ति संभव हो सकेगी, जिससे मुंबई में पानी की कमी कुछ हद तक दूर हो सकेगी। जल आपूर्ति प्रणाली में लीकेज एवं अनाधिकृत कनेक्शन को रोकने के लिए अत्याधुनिक उपाय करने के निर्देश दिए गए हैं। एमआईडीसी की पाइपलाइन को ऐसी तकनीक से सुसज्जित किया जा रहा है जिससे नियंत्रण कक्ष से ही लीक और अनधिकृत कनेक्शनों का पता लगाया जा सकेगा।

मुंबई में समुद्र के पानी को मीठा करने की परिकल्पना वर्षों पुरानी है। समुद्र के पानी को मीठा कर उसे पीने योग्य बनाने के लिए बीएमसी मनोरी परियोजना पर लंबे समय से काम कर रही है। बीएमसी ने मई 2022 में इसके लिए टेंडर जारी करने की योजना बनाई थी, लेकिन कोरोना संकट और सर्वे का काम पूरा न होने की वजह से टेंडर नहीं जारी हो सका। मनोरी परियोजना से प्रतिदिन 200 एमएलडी पानी मुंबई को मिलने की उम्मीद है।

इस परियोजना में  कुल 8500 करोड़ रुपये खर्च होने की उम्मीद है। इसमें समुद्र के पानी को मीठा करने पर 3520 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। बाकी करीब 5000 करोड़ का खर्च रिन्यूवल एनर्जी के निर्माण और उसके 20 साल के रखरखाव पर खर्च होने की उम्मीद है।

First Published - March 18, 2025 | 8:45 PM IST

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