राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) विधायकों की अयोग्यता के मामले शरद पवार गुट को करारा झटका लगा है। महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने अजित गुट के सभी विधायकों की अयोग्यता को चुनौती को खारिज कर दिया। साथ ही अपने फैसले में नार्वेकर ने कहा कि शरद पवार गुट को अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता है।
महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने गुरुवार को कहा कि अजित पवार की अगुवाई वाला समूह उस समय असली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनपीसी ) था, जब पार्टी में जुलाई 2023 में दो गुट उभरे थे। विधायकों की अयोग्यता का अनुरोध करने वाली सभी याचिकाएं खारिज की जाती हैं।
नार्वेकर ने पवार गुट की तरफ से दाखिल की गई याचिकाएं रद्द करते हुए कहा कि संख्याबल के हिसाब से अजित पवार की अगुवाई वाला गुट की असली एनसीपी है। नार्वेकर ने कहा कि 29 जून तक शरद पवार के नेतृत्व पर कोई सवाल नहीं था। उन्होंने कहा कि पार्टी 30 जून 2023 विभाजित हुई थी। नार्वेकर ने कहा कि अजित गुट के सभी विधायक योग्य हैं। कोई भी विधायक अयोग्य नहीं है।
नार्वेकर ने कहा कि पार्टी नेतृत्व अयोग्य घोषित करने की धमकी देकर बड़ी संख्या में सदस्यों की असहमति को दबाने के लिए 10वीं अनुसूची का इस्तेमाल नहीं कर सकता है। शरद पवार के फैसले पर सवाल उठाना या उनकी इच्छा की अनदेखी करना दल-बदल नहीं है ।
नार्वेकर ने एनसीपी विधायकों की अयोग्यता का फैसला शिवसेना की तर्ज पर ही सुनाया। राहुल नार्वेकर ने फैसला सुनाने से पहले कहा कि पहले हमें यह तय करना होगा कि मूल पार्टी कौन है। इसके बाद नार्वेकर ने सबसे पहले पार्टी का फैसला पढ़ा। इसमें उन्होने कई मुद्दे उठाए।
राहुल नार्वेकर ने कहा कि शिवसेना को लेकर मैंने जो फैसला लिया था उसका आधार यहां लेना होगा। दोनों गुट पार्टी में अध्यक्ष पद को लेकर दावा कर रहे हैं। दोनों ही गुट दावा कर रहे हैं कि अध्यक्ष का चुनाव पार्टी के संविधान के मुताबिक नहीं हुआ है।
नार्वेकर ने कहा कि पार्टी में दो समानांतर नेतृत्व खड़े हो गए हैं। दोनों समूहों द्वारा अयोग्यता याचिकाएं भी दायर की गई हैं। एनसीपी के संविधान के अनुसार एनसीपी वर्किंग कमेटी सर्वोच्च संस्था है। इसमें 16 स्थायी सदस्य हैं, लेकिन पार्टी का संविधान स्थायी सदस्यों को इजाजत नहीं देता। ऐसे में हमें नेतृत्व संरचना, पार्टी संविधान और संख्या बल के आधार पर तय करना होगा कि पार्टी किसकी है। नार्वेकर ने कहा कि पार्टी संविधान और नेतृत्व संरचना में कोई स्पष्टता नहीं है।