प्राकृतिक रेत (नदी रेत) पर निर्भरता कम करने के लिए कृत्रिम रेत (एम सैंड) नीति को राज्य मंत्रिमंडल के समक्ष पेश किया गया। राज्य में कृत्रिम रेत के उत्पादन और उपयोग के लिए तैयार की गई नीति को राज्य मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी, ताकि प्राकृतिक रेत के अत्यधिक दोहन से उत्पन्न पर्यावरणीय संकट को रोका जा सके और निर्माण क्षेत्र को एक वैकल्पिक और टिकाऊ संसाधन उपलब्ध कराया जा सके। इस नीति के अनुसार सार्वजनिक निर्माण में कृत्रिम रेत के उपयोग को प्रोत्साहित किया जाएगा।
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कृत्रिम रेत के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार रॉयल्टी शुल्क में रियायत देगी। रेत उत्पादन में प्रति ब्रास 200 रुपये रॉयल्टी देने को मंजूरी दी गई है। अभी प्रति ब्रास 600 रुपये रॉयल्टी होती है। एम सैंड नीति की मंजूरी के साथ नई दर पर रॉयल्टी वसूलने को कहा गया है। एम सैंड नीति में कहा गया कि खदानों से निकले कचरे और पहाड़ों की खुदाई से प्राप्त पत्थरों से क्रशर की मदद से तैयार की गई यह कृत्रिम रेत प्राकृतिक रेत का विकल्प हो सकती है । इस नीति के अनुसार , जिला प्रशासन और वन विभाग से अनुमति प्राप्त करने के बाद एम-सैंड इकाइयां स्थापित करने की अनुमति दी जाएगी और पर्यावरण नियमों का अनुपालन करना आवश्यक होगा।
सरकार ने राज्य के सभी सरकारी, अर्ध-सरकारी और सार्वजनिक संस्थानों को निर्देश दिया है कि वे अपनी निर्माण परियोजनाओं में प्राथमिकता के आधार पर एम-सैंड का उपयोग करें। इसके अलावा, यह स्पष्ट किया गया है कि भारतीय मानक ब्यूरो (आईएस 383:2016) के मानदंडों के अनुसार केवल गुणवत्ता वाले एम-रेत का उपयोग किया जाना चाहिए। इस निर्णय से राज्य के निर्माण क्षेत्र में बड़ा बदलाव आने की संभावना है। सरकार के इस कदम से पर्यावरण संरक्षण, सतत विकास और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। सरकार की तरफ से कहा गया कि एम सैंड निवेश के लिए प्रोत्साहन प्रदान किए जाएंगे, जिनमें औद्योगिक प्रोत्साहन अनुदान, ब्याज सब्सिडी, बिजली शुल्क से छूट, स्टांप शुल्क माफी और बिजली दरों पर सब्सिडी शामिल हैं।
कृत्रिम रेत (एम-सैंड) नीति के मुताबिक उद्योग विभाग प्रत्येक जिले में 50 व्यक्तियों/संगठनों को एम-सैंड इकाइयां स्थापित करने के लिए रियायत प्रदान करेगा। इसके अलावा एम-सैंड उत्पादक इकाइयों को प्रति ब्रास 200 रुपये की छूट दी जाएगी। सरकार का मानना है कि एम-सैंड इकाइयां स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ाएंगी, प्राकृतिक रेत पर निर्भरता कम करेंगी और पर्यावरण संरक्षण में योगदान देंगी । इसके लिए जिला स्तरीय समितियां गठित की जाएगी तथा नीति को सख्ती से लागू करने के लिए अलग से निगरानी तंत्र बनाया जाएगा।
गौरतलब है महाराष्ट्र सरकार ने पिछले महीने राज्य की नयी रेत उत्खनन नीति को मंजूरी दी है। नई रेत उत्खनन नीति में कहा गया है कि राज्य सरकार ने विभिन्न आवास परियोजनाओं के लाभार्थियों को पांच ब्रास तक मुफ्त रेत देने की अनुमति दी है। पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए कृत्रिम रेत के उपयोग को बढ़ावा दिया जाएगा तथा शुरुआत में सरकारी और अर्ध-सरकारी निर्माणों में इसे 20 प्रतिशत उपयोग अनिवार्य किया जाएगा।