सोना तप रहा है और चांदी दहक रही है। दोनों के भाव रोज चढ़ते जा रहे हैं और आम खरीदारों को बाजार से दूर कर रहे हैं। उधर अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप का शुल्क भारतीय आभूषण उद्योग को तगड़ी चोट दे रहा है। ऐसे माहौल में भी सोने-चांदी की सबसे बड़ी एशियाई मंडी जवेरी बाजार दुल्हन की तरह सजी है। जिन गलियों में चलना मुश्किल होता है वहां ग्राहकों के स्वागत के लिए कालीन बिछे हैं। हर गली-चौराहे और नुक्कड़ पर खूबसूरत प्रवेश द्वार लोगों को इस बाजार की अहमियत याद दिला रहे हैं।
यह सजधज जवेरी बाजार जेम्स ऐंड ज्वैलरी फेस्टिवल 2025 की वजह से है, जिसे जवेरी बाजार वेलफेयर एसोसिएशन पहली बार आयोजित कर रहा है। यह फेस्टिवल 26 अक्टूबर तक चलेगा और इसका मकसद यह बताना है कि भारतीय आभूषण उद्योग अमेरिकी बाजार पर ही निर्भर नहीं है और घरेलू तथा दूसरे बाजारों के बल पर वह पहले की तरह चलता रहेगा।
करीब साढ़े चार किलोमीटर में फैले जवेरी बाजार में 5,000 से ज्यादा सराफ काम कर रहे हैं, जिन्हें महंगाई के बाद भी इस त्योहारी सीजन में 30-40 फीसदी ज्यादा कारोबार होने की उम्मीद है। इस बार में रोजाना 200 करोड़ रुपये से ज्यादा के सोने-चांदी का कारोबार होता है और देश में 60 फीसदी से ज्यादा रत्नाभूषण सौदे भी यहीं होते हैं।
जवेरी बाजार वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष हितेश जैन ने बताया कि बाजार की सजावट में लोकमान्य तिलक, सावित्रीबाई फुले, गेटवे ऑफ इंडिया, एपीजे अब्दुल कलाम, महालक्ष्मी और दूसरी देवियों के नाम वाले प्रवेश द्वार बनाए गए हैं और राम मंदिर की भव्य प्रतिकृति भी लगाई गई है। इसके जरिये दुनिया को कारोबारी हुनर के साथ अपनी समृद्ध विरासत दिखाना भी है।
ज्वैल ट्रेंड्स के नाम से कारोबार करने वाले गोविंद वर्मा ने बताया कि रत्नाभूषण कारोबार करने वाले 11 प्रमुख देशों के लोग इस फेस्ट में बुलाए गए हैं और 150 से ज्यादा ज्वैलरी कंपनियां भी इसमें शामिल हुई हैं। उद्योग से जुड़े लोग अहसास करा रहे हैं कि अमेरिका जैसा बड़ा बाजार बंद होने पर भारत का हुनर दुनिया के दूसरे बाजारों पर कब्जा कर सकता है।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस महोत्सव का स्वागत करते हुए कहा है कि जवेरी बाजार देश के रत्न और आभूषण उद्योग की रीढ़ है, जिसका देश के निर्यात क्षेत्र में अच्छा खासा योगदान है। उन्होंने कहा कि व्यापारी अपनी क्षमता बढ़ाएं तो अर्थव्यवस्था में इस उद्योग का योगदान भी बढ़ता रहेगा।
सरकार ने महाराष्ट्र को इस उद्योग का प्रमुख केंद्र बनाने के लिए राज्य की रत्न एवं आभूषण नीति को भी मंजूरी दी है, जिसके तहत बुनियादी ढांचे और कौशल विकास पर 1 लाख करोड़ रुपये का निवेश आने का अनुमान है।
2025 से 2030 तक लागू रहने वाली इस नीति से राज्य में रोजगार के 5 लाख नए मौके भी तैयार हो सकेंगे। नीति के तहत उद्योग समूहों को ब्याज अनुदान, ज्यादा निवेश के लिए प्रोत्साहन, मुद्रांक शुल्क में रियायत, बिजली की दरों में कमी, कौशल्य विकास सहायता, एकल खिड़की योजना, बिजली-पानी की अबाध आपूर्ति और अतिरिक्त एफएसआई जैसी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।