प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) से यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) में जाने की आखिरी तारीख 30 नवंबर थी। हालांकि, इसके बाद कई कर्मचारी पूछ रहे हैं कि क्या इसकी डेडलाइन बढ़ेगी? क्या अब भी बदलाव हो सकता है?
लेकिन अभी तक सरकार की तरफ से कोई नोटिफिकेशन या सर्कुलर नहीं आया है कि डेडलाइन दोबारा खोली जाएगी।
इसका सीधा जवाब है नहीं। NPS से UPS में जाने का ऑप्शन सिर्फ एक निश्चित समय तक था, जो अब बीत चुका है। जिन कर्मचारियों ने समय पर अपना चुनाव नहीं दिया, उन्हें अपने आप NPS में ही जारी रखा हुआ मान लिया गया है। डेडलाइन के बाद देर से आवेदन या सुधार करने का कोई ऑप्शन नहीं दिया गया है।
UPS 1 अप्रैल 2025 से शुरू हो चुकी है। यह उन केंद्रीय कर्मचारियों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था है जो NPS के तहत भर्ती हुए थे। NPS में रिटर्न मार्केट पर निर्भर करता है, लेकिन UPS में रिटायरमेंट के बाद पक्की पेंशन मिलने की गारंटी है।
मुख्य बातें इस प्रकार हैं:
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अगर कर्मचारी ने कम से कम 25 साल की सर्विस पूरी की हो, तो उसे रिटायरमेंट से पहले के आखिरी 12 महीने के औसत बेसिक पे का 50 प्रतिशत हर महीने पेंशन मिलेगी।
अगर सर्विस 25 साल से कम हुई तो पेंशन भी उसी अनुपात में कम हो जाएगी। 10 साल या उससे ज्यादा सर्विस वाले कर्मचारी को न्यूनतम 10,000 रुपये महीने की गारंटी है, बशर्ते योगदान में कोई गैप न हो।
25 साल सर्विस के बाद स्वैच्छिक रिटायरमेंट लेने पर भी पेंशन उसी तारीख से शुरू होगी, जिस दिन वह सामान्य रूप से रिटायर होता।
गणना का फॉर्मूला: पक्की पेंशन = (बेसिक पे का आधा) × (कुल सर्विस के साल / 300)
UPS में कर्मचारी का अपना योगदान अभी भी NPS जैसा ही टैक्स ट्रीटमेंट पाता है। 80CCD(1) के तहत बेसिक + DA का 10 प्रतिशत तक का योगदान टैक्स-फ्री रहेगा, क्योंकि टैक्स के लिहाज से UPS को अभी भी NPS का ही हिस्सा माना जा रहा है।
जब तक सरकार नया आदेश नहीं जारी करती, माइग्रेशन का दरवाजा बंद है। जिन्होंने समय पर UPS नहीं चुना, वे डिफॉल्ट रूप से NPS में ही बने रहेंगे।