प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
मुंबई में हवा की गुणवत्ता लगातार खराब हो रही है। बृहन्नमुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) का कहना है कि वह धूल नियंत्रण के लिए गहन प्रयास कर रही है। हालांकि शहर के सबसे प्रदूषित इलाकों में शामिल अंधेरी ईस्ट और वेस्ट के जमीनी हालात देख कर पता चलता है कि बीएमसी के रिकॉर्ड हकीकत से मेल नहीं खाते।
अंधेरी ईस्ट के चकलाका वार्ड ऑफिस में पदस्थ बीएमसी अधिकारी के मुताबिक नगरीय निकाय हर सुबह करीब 7 बजे मशीनों से करीब 80 किलोमीटर इलाके में छिड़काव करता है। रोज करीब 10,000 लीटर पानी का इस्तेमाल धूल को रोकने के लिए किया जाता है। इसके लिए 5,000 लीटर के दो टैंकर प्रयोग किए जाते हैं। इसके अलावा पाइपलाइन से भी छिड़काव होता है। अधिकारी के मुताबिक यहां 1,200 सफाईकर्मी कार्यरत हैं जो दो पालियों में काम करते हैं। इनमें बीएमसी के 900 और अनुबंधित 165 कर्मचारी शामिल हैं। झाड़ू लगाने का काम सुबह 6.30 बजे से 1.30 बजे तक और दोपहर 2 बजे से 8 बजे तक किया जाता है। तीन-चार दिन पहले बीएमसी मुख्यालय से जारी सर्कुलर में सभी वार्डों को निर्देश दिया गया था कि वे धूल रोकने के प्रयास करें।
मौसम विभाग के आंकड़े बताते हैं कि मुंबई का वायु गुणवत्ता सूचकांक मंगलवार को 105 के करीब रहा जो खराब श्रेणी में है लेकिन बहुत गंभीर नहीं। वहां प्रदूषण का स्तर लंबे समय से संतोषजनक या अच्छा नहीं है।
जमीनी स्तर पर शहरवासी, कामगार और वेंडर कहीं अधिक गंभीर तस्वीर पेश करते हैं। ग्लोबल हॉस्पिटल ऐंड रिसर्च सेंटर के पास निर्माणाधीन जगह और बीएमसी कार्यालय से बाहर के इलाके में निर्माण गतिविधियों की धूल लगातार हवा में फैलती रहती है। एक सुरक्षा अधिकारी ने कहा कि अस्पताल ने औपचारिक रूप से नगरीय निकाय से इस धूल के बारे में शिकायत की थी, लेकिन स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ। निर्माण कार्य पूरा होने वाला है लेकिन वहां धूल रोकने के कोई उपाय नहीं हैं।
वहीं तैनात एक यातायात पुलिसकर्मी ने कहा कि उसने सड़क धुलने या पानी के छिड़काव जैसे धूल रोकने के तरीके आजमाए जाते नहीं देखते। उन्होंने कहा, ‘स्वीपर शाम को 4.30 से 5 बजे के बीच आते हैं और पौधों को पानी देते हैं। परंतु वाहनों के चलते धूल उड़ती रहती है।’ उसने यह भी कहा कि स्वास्थ्य कारणों से वह लंबे समय तक मास्क का इस्तेमाल नहीं कर सकते। इलाके के रेहड़ी-पटरी वाले भी इसी तरह की बात कहते हैं। दो दशक से अधिक समय से अंधेरी में नारियल बेच रहे एक व्यक्ति ने कहा कि कभी-कभी सुबह के समय पानी का छिड़काव होता है, लेकिन इससे बहुत कम राहत मिलती है क्योंकि धूल तुरंत वापस आ जाती है। उन्होंने कहा कि वह तीन सालों से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं लेकिन जिंदगी यूं ही चल रही है। अंधेरी स्टेशन पर फूल बेचने वाली 42 वर्षीय संजीवनी ने कहा कि सफाई व्यवस्था में कोई इजाफा नहीं हुआ। उन्होंने कहा, ‘हर जगह धूल और धुंआ है।’
वहीं अंधेरी ईस्ट के निवासी कहते हैं कि स्वास्थ्य समस्याएं आम होती जा रही हैं। पूनम नगर की 47 वर्षीय नर्स ध्वनि फेंडर (नाम बदला हुआ) ने कहा कि हाल के हफ्तों में उनकी एलर्जी की समस्या और गंभीर हो गई है। उन्होंने कहा,’हाथ से झाड़ू लगाई जा रही है लेकिन धूल का स्तर कम नहीं हो रहा।’
हालांकि बीएमसी का कहना है कि मशीनों से रोज हजारों लीटर पानी छिड़का जा रहा है और लगभग 14 घंटे तक झाड़ू लगाई जाती है, लेकिन निवासियों का कहना है कि प्रमुख चौराहों पर कुछ बदलाव नजर नहीं आता। पहले की तरह निर्माण स्थलों से उड़ती धूल परेशान कर रही है। मुंबई की धूल-नियंत्रण व्यवस्था कागज पर कारगर दिख सकती है। लेकिन अंधेरी के रहवासी कहते हैं कि वे अब भी रोज धूल को झेल रहे हैं।