प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
अमेरिकी दवाब के बाद भारत ने रूस से तेल आयात कम कर दिया है। लेकिन इस बीच क्रेमलिन के प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव ने मंगलवार को भारतीय पत्रकारों से कहा कि आयात में यह गिरावट बहुत कम समय के लिए है। रूस जल्द ही भारत को पहले से ज्यादा तेल भेजने की तैयारी कर रहा है। उन्होंने साफ कहा कि रूस भारत का अहम ऊर्जा सप्लायर बना रहेगा और दोनों देशों के बीच ऐसा व्यापार तंत्र बनाया जाएगा जिस पर कोई तीसरा देश असर न डाल सके।
पेस्कोव ने अमेरिका द्वारा लगाए गए 50 फीसदी भारी-भरकम टैरिफ और रोसनेफ्ट-लुकोइल जैसी रूसी कंपनियों पर प्रतिबंधों को पूरी तरह गैर-कानूनी बताया। उन्होंने कहा, “हमारे पास गैर-कानूनी प्रतिबंधों के बीच भी काम करने का लंबा अनुभव है। हमारे पास खुद की तकनीकें हैं। हम इन पाबंदियों को मानते ही नहीं और हर हाल में अपना व्यापार जारी रखेंगे। अभी तक हम इसमें काफी कामयाब भी रहे हैं।”
दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक भारत लंबे समय से रूस से सबसे ज्यादा कच्चा तेल खरीदता रहा है। लेकिन नवंबर के आखिर में अमेरिकी प्रतिबंध सख्त होने के बाद हालात बदल गए हैं। केप्लर के ताजा आंकड़ों के मुताबिक नवंबर में रूस से तेल आयात करीब एक-तिहाई तक गिर गया। अक्टूबर में जहां रोजाना 15-16 लाख बैरल आ रहा था, नवंबर में यह औसतन 18 लाख बैरल तक पहुंचा था क्योंकि रिफाइनरियों ने 21 नवंबर की डेडलाइन से पहले जमकर खरीदारी की। लेकिन उसके बाद यह घटकर सिर्फ 12.7 लाख बैरल रोज रह गया।
भारत की सबसे बड़ी खरीदार रिलायंस इंडस्ट्रीज ने रूसी तेल लेना पूरी तरह बंद कर दिया है। मंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स, हिंदुस्तान पेट्रोलियम और एचपीसीएल-मित्तल एनर्जी ने भी रूसी तेल की खरीद रोक दी है। इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन ने गैर-प्रतिबंधित सप्लायरों से ऑर्डर दे दिए हैं, जबकि भारत पेट्रोलियम जल्द ही नए सौदे फाइनल करने की कगार पर है।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि दिसंबर में यह गिरावट और गहरी हो सकती है। नवंबर में भी रूसी तेल कुल आयात का 35 फीसदी से थोड़ा ज्यादा था, जो पहले के महीनों से कम है।
Also Read: रूसी तेल से दूरी: भारतीय रिफाइनरियों ने बदला रुख, दिसंबर में आयात में भारी गिरावट की आशंका
4 और 5 दिसंबर को राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतीन दो दिन की राजकीय यात्रा पर भारत आ रहे हैं। यह 23वां भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन होगा। पुतिन के आने के बाद रूसी तेल के अलावा रक्षा सौदे भी इस हफ्ते सुर्खियों में रहने वाले हैं। पेस्कोव ने बताया कि इस दौरान दुनिया का सबसे बेहतरीन लड़ाकू विमान सु-57 और एस-400 मिसाइल सिस्टम मुख्य एजेंडे में होंगे।
उन्होंने सु-57 को “दुनिया का सबसे अच्छा लड़ाकू विमान” बताया और कहा कि यह मुद्दा जरूर चर्चा में आएगा। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार भारत कम से कम दो स्क्वाड्रन (लगभग 36-40 विमान) खरीदने पर विचार कर रहा है। एस-400 को लेकर भी बात होगी। भारत ने 2018 में पांच यूनिट का सौदा किया था, जिसमें से तीन मिल चुकी हैं, बाकी दो अभी बाकी हैं।
तेल और हथियारों के अलावा दोनों देशों के बीच व्यापार में भारी असंतुलन भी चर्चा का विषय बना हुआ है। 2023-24 में द्विपक्षीय व्यापार 65.7 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जिसमें भारत का निर्यात सिर्फ 4.26 अरब डॉलर था, जबकि आयात 61.44 अरब डॉलर। पेस्कोव ने माना कि यह असंतुलन बहुत ज्यादा है और रूस भारत से ज्यादा सामान खरीदना चाहता है।
उन्होंने कहा, “हम इस गैप को जानते हैं। हमारे भारतीय दोस्त भी चिंतित हैं। हम मिलकर भारत से ज्यादा आयात बढ़ाने के रास्ते तलाश रहे हैं। हम भारत से और ज्यादा खरीदना चाहते हैं।”
पिछले महीने ही पुतीन ने कहा था कि बेलारूस (जनसंख्या सिर्फ 1 करोड़) के साथ रूस का व्यापार 50 अरब डॉलर है, जबकि 150 करोड़ की आबादी वाले भारत के साथ सिर्फ 63 अरब डॉलर। उन्होंने इसे संभावनाओं से बहुत कम बताया था।