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‘संचार साथी’ पर सरकार का नया स्पष्टीकरण: ऐप हटाने की आजादी, निगरानी न होने का दावा

सरकार ने किया स्पष्ट, इस ऐप के जरिये उपयोगकर्ताओं के डेटा पर नहीं रखी जाएगी नजर

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गुलवीन औलख   
आशीष आर्यन   
Last Updated- December 02, 2025 | 11:14 PM IST

संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिं​धिया ने आज स्पष्ट किया कि उपयोगकर्ता अपने फोन से संचार साथी ऐप को हटाने में सक्षम होंगे। उन्होंने आश्वस्त किया कि उपयोगकर्ताओं के हैंडसेट पर कोई नजर नहीं रखी जाएगी और न ही उसकी कोई कोई निगरानी की जाएगी। ऐपल और सैमसंग जैसी प्रमुख वैश्विक कंपनियां सरकार के बदले रुख के बावजूद निर्देश को लागू नहीं करेंगी।

सिं​धिया ने एक बयान में कहा, ‘संचार साथी कोई निगरानी नहीं ब​ल्कि जन भागीदारी पर आधारित नागरिकों के लिए एक सुरक्षा टूल है।’ उन्होंने कहा कि सभी नागरिकों की डिजिटल सुरक्षा सुनि​श्चित करना सरकार की पहली प्राथमिकता है। उन्होंने कहा, ‘संचार साथी स्वैच्छिक और पारदर्शी है। साथ ही इसे केवल भारत के मोबाइल उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा और देश की साइबर सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है।

उपयोगकर्ताओं को किसी भी समय इस ऐप को सक्रिय करने अथवा हटाने की पूरी आजादी होगी। इससे गोपनीयता से कोई समझौता किए बिना सुरक्षा सुनिश्चित होती है।’ उन्होंने कहा कि यह ऐप उपयोगकर्ता के पंजीकरण के बाद ही सक्रिय होता है और जिसे वे निष्क्रिय भी कर सकते हैं।

यह स्पष्टीकरण दूरसंचार विभाग की एआई एवं खुफिया इकाई द्वारा सार्वजनिक निर्देश जारी किए जाने के एक दिन बाद आया है। उसमें ऐपल, सैमसंग, श्याओमी, ओपो, वीवो एवं अन्य स्मार्टफोन विनिर्माताओं के लिए स्मार्टफोन की बिक्री से पहले उसमें संचार साथी ऐप को अपलोड करना अनिवार्य किया गया है। निर्देश में कहा गया है कि पहले से विनिर्मित एवं बिक्री चैनल में मौजूद स्मार्टफोन में सॉफ्टवेयर अपडेट के जरिये इस ऐप को अपलोड करने का प्रयास करना चाहिए।

दूरसंचार साइबर सुरक्षा नियम, 2024 के तहत सोमवार को और इससे पहले 28 नवंबर को जारी निर्देश में यह भी अनिवार्य किया गया था कि पहले से अपलोड किए गए ऐप को डिवाइस से हटाया नहीं जाना चाहिए। विभाग ने एक्स पर स्पष्ट किया कि ‘संचार साथी ऐप प्री-इंस्टॉल आएगा। मगर इसका मतलब यह नहीं है कि वह आप पर नजर रख रहा है। यह निगरानी टूल के रूप में काम नहीं करेगा और आपके किसी भी डेटा पर नजर नहीं रखेगा। इसका एकमात्र काम आपकी व्यक्तिगत जानकारी तक पहुंचे बिना आपकी मोबाइल पहचान की रक्षा करना होगा।’

सूत्रों ने बताया कि ऐपल, सैमसंग एवं अन्य स्मार्टफोन विनिर्माताओं ने अनौपचारिक तौर पर सरकार को बता दिया है कि वे इस निर्देश का पालन नहीं कर सकेंगे क्योंकि इसके लिए फर्मवेयर और ऑपरेटिंग सिस्टम में काफी बदलाव करने की जरूरत होगी और उसे केवल भारत के लिए लागू करना मुश्किल होगा।

एक अन्य सूत्र ने कहा कि कुछ भारतीय निर्माता निर्देशों का पालन कर सकते हैं, लेकिन वैश्विक विनिर्माताओं के अनुपालन करने की संभावना नहीं है। स्मार्टफोन बनाने वाली घरेलू कंपनी लावा इंटरनैशनल ने कहा कि वह निर्देश का पालन करेगी। इस निर्देश के कारण आज संसद और यहां तक कि सोशल मीडिया पर भी काफी हंगामा हुआ। कानून और नीतियों के जानकारों ने इसे भारतीयों द्वारा उपयोग किए जा रहे 70 करोड़ से अधिक स्मार्टफोन तक पहुंच हासिल करने का एक तरीका बताया। उन्होंने इस कदम की आलोचना की और कहा कि इससे डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण कानूनों का उल्लंघन होगा।

First Published : December 2, 2025 | 10:56 PM IST