प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) और उसके साझेदारों ब्रिटेन की बीपी एक्सप्लोरेशन (अल्फा) लिमिटेड और कनाडा की निको लिमिटेड द्वारा कृष्णा-गोदावरी (केजी)-डी6 गैस माइग्रेशन विवाद में दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर अगले साल 25 और 26 फरवरी को सुनवाई करेगा।
आरआईएल ने दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी जिसने केंद्र के इस दावे को बरकरार रखा कि मुकेश अंबानी की कंपनी और उसके भागीदारों ने आंध्र प्रदेश के तट से दूर कृष्णा-गोदावरी बेसिन में ओएनजीसी ब्लॉक के भंडार से गैस निकाली थी। आरआईएल को आवंटित गैस ब्लॉक ओएनजीसी द्वारा संचालित ब्लॉक के बगल में था। दिल्ली उच्च न्यायालय के खंडपीठ ने इस वर्ष की शुरुआत में एकल न्यायाधीश के पीठ के 2023 के आदेश को पलट दिया था, जिसमें 2018 में आरआईएल के पक्ष में मध्यस्थता न्यायाधिकरण के फैसले को बरकरार रखा गया था।
सूत्रों ने कहा कि आरआईएल ने अपनी याचिका में तर्क दिया है कि दिल्ली उच्च न्यायालय के खंडपीठ को मामले के गुण-दोष पर विचार नहीं करना चाहिए था, क्योंकि इस मामले की सुनवाई और निर्णय सिंगापुर की मध्यस्थ लॉरेंस बू की अध्यक्षता वाले तीन सदस्यीय न्यायाधिकरण द्वारा किया गया था।