प्रदेश की वाणिज्यिक राजधानी कहे जाने वाले इंदौर शहर में वैश्विक निवेशक सम्मेलन समाप्त होने के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने निवेशकों और उद्योगपतियों को आश्वस्त करने की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए एक अध्यादेश पारित किया है।
‘मध्य प्रदेश उद्योगों की स्थापना एवं परिचालन का सरलीकरण अध्यादेश’ का लक्ष्य है प्रदेश में उद्योग स्थापित करने की प्रक्रिया को सरल बनाना ताकि अधिक से अधिक संख्या में निवेशक प्रदेश में अपने संयंत्र स्थापित कर सकें। माना जा रहा है कि राज्य सरकार इस अध्यादेश को विधान सभा के बजट सत्र में पारित करवा लेगी।
यह अध्यादेश प्रदेश के औद्योगिक इलाकों, एमएसएमई और आईटी क्लस्टर में लागू होगा। अध्यादेश के प्रावधानों के मुताबिक निवेशकों को स्वयं को राज्य की एकल विंडो प्रणाली वाले इन्वेस्ट पोर्टल पर पंजीकृत करना होगा। पंजीयन के उपरांत आवेदक को ‘इंटेंशन टु इन्वेस्ट’ फॉर्म भरना होगा।
इसके पश्चात उसके पास यह विकल्प होगा कि वह तीन वर्ष की अवधि तक मंजूरियों और निगरानी से रियायत का चयन कर सके। इसके पश्चात निवेशक अपनी इकाई का निर्माण आरंभ कर सकता है। उसे किसी प्रकार की मंजूरी की जरूरत नहीं होगी। इतना ही नहीं सक्षम अधिकारी तय अवधि तक किसी प्रकार की जांच करने भी वहां नहीं जाएंगे।
राज्य सरकार के अधिकारियों के मुताबिक निवेशकों के अनुकूल इस व्यवस्था के लागू होने के बाद निवेशक कम समय में संयंत्र स्थापित करके काम शुरू कर सकेंगे।
प्रदेश का उद्योग विभाग भी एमएसएमई विभाग के साथ मिलकर इस नई पहल के बारे में जागरूकता बढ़ाने और निवेशकों तक पहुंच बनाने का काम करेगा ताकि उन्हें इस अध्यादेश की विशेषताओं से अवगत कराया जा सके।
प्रदेश सरकार ने विगत 11 और 12 जनवरी को इंदौर में वैश्विक निवेशक सम्मेलन का आयोजन किया था जहां निवेशकों ने 15.42 लाख करोड़ रुपये का निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई थी।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उसी वक्त कहा था कि चिह्नित क्षेत्रों में निवेशकों को तीन वर्ष के लिए खास रियायत दी जाएंगी। यह अध्यादेश उसी दिशा में बढ़ाया गया एक कदम है।