मध्य प्रदेश में सड़क परिवहन विभाग (एमपीआरटीसी) द्वारा संचालित सरकारी बस सेवाओं के बंद होने के दो दशक बाद प्रदेश सरकार एक नया पब्लिक ट्रांसपोर्ट मॉडल पेश करने जा रही है। नई व्यवस्था अगले एक महीने में शुरू की जा सकती है। निजी कंपनियों के माध्यम से चलने वाली इन सेवाओं के लिए सरकार एग्रीगेटर का काम करेगी।
मध्य प्रदेश के परिवहन विभाग के एक उच्च पदस्थ सूत्र ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर गुरुवार को बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘मुख्यमंत्री की इस परियोजना में विशेष रुचि है। इस विषय में मुख्य सचिव के समक्ष प्रस्तुति दी जा चुकी है और अगले एक महीने में यह सेवा शुरू हो सकती है। इसके तहत एक केंद्रीय कंपनी बनाई जाएगी और संभागीय स्तर पर अन्य कंपनियां बनाकर प्रदेशव्यापी स्तर पर बस सेवाएं संचालित की जाएंगी।’
इस सेवा में प्रदेश सरकार की भूमिका के बारे में अधिकारी ने कहा, ‘सरकार इसमें एग्रीगेटर, प्रमोटर और सब्सिडी प्रदान करने की भूमिका निभाएगी। बस कंपनियों के लिए मार्ग का निर्धारण करने और किराया आदि तय करने में भी सरकार की भूमिका होगी। किराया कम रहे तथा छात्रों और महिलाओं आदि को जरूरी रियायत मिल सके इसके लिए सरकार बस ऑपरेटर्स को रियायत भी देगी।’
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कुछ दिन पहले सरकारी बस सेवाओं को दोबारा शुरू करने की बात कही थी लेकिन उन्होंने इस विषय में विस्तृत ब्योरा नहीं मुहैया कराया था।
वर्ष 2005 में बाबूलाल गौर के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की तत्कालीन सरकार ने 756 करोड़ रुपये के घाटे का हवाला देते हुए राज्य परिवहन निगम को बंद करने की घोषणा की थी। निगम के संचालन में 29.5 फीसदी राशि केंद्र सरकार से मिलती थी जबकि 70.5 फीसदी हिस्सा प्रदेश सरकार का था।
विभागीय अधिकारियों के मुताबिक काननूी अड़चनों की वजह से राज्य सड़क परिवहन निगम द्वारा सीधे बसों का संचालन करना मुश्किल है। इसीलिए नया मॉडल अपनाया जा रहा है।
मप्र यात्री सेवा परिषद के अध्यक्ष श्याम सुंदर शर्मा ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘अगर सरकार सड़क परिवहन निगम को मूल रूप में शुरू करती है तो यह स्वागतयोग्य है। परंतु कंपनियों के माध्यम से बस चलाना कहीं से भी यात्रियों के हित में नहीं है।’