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Lok Sabha Election 2024: बता रही रेल की रफ्तार, बने किसकी सरकार

अंडमान एक्सप्रेस में सफर कर शुभायन चक्रवर्ती ने जानना चाहा चुनावी माहौल में देश का मिजाज। लगभग 3,000 km के सफर में मोदी सरकार के ट्रैक रिकॉर्ड से प्रभावित दिखे अधिकांश यात्री।

Last Updated- April 21, 2024 | 10:40 PM IST
बता रही रेल की रफ्तार, बने किसकी सरकार, From Katra to Chennai, full steam ahead on the development express

आधी रात होने को आई, फिर भी उधमपुर रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की खूब हलचल है। यात्रियों के कोलाहल के बीच निर्माण श्रमिक अलग ही शोर-शराबा कर रहे हैं, जो यहां स्टेशन के मुख्य द्वार पर धातु की छत या सायबान डाल रहे हैं। जम्मू से लगभग 70 किलोमीटर दूर भारतीय सेना की उत्तरी कमान के मुख्यालय उधमपुर में कुछ अव्यवस्था दिखाई देती है। टूटी सड़कें और खुले सीवर आम बात हैं। सेना के लिए बड़े आपूर्ति डिपो उधमपुर स्टेशन पर आजकल पुनर्निर्माण कार्य चल रहा है।

यहां अपने परिवार के साथ अंडमान एक्सप्रेस में सवार होने के लिए इंतजार कर रहे 36 वर्षीय राकेश महाजन कहते हैं कि हर तरफ तरक्की देख वह काफी खुश है। मथुरा में कपड़े की छोटी सी दुकान चलाने वाले महाजन कहते हैं, ‘पिछली सरकारों में कुछ भी काम नहीं हुआ। अब आप कहीं भी चले जाइए, लगता है कि विकास कार्य हो रहे हैं।’

महाजन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर में किए गए कार्यों से तो काफी खुश और संतुष्ट नजर आते हैं, परंतु अपने शहर और लोक सभा क्षेत्र मथुरा को लेकर थोड़े निराश दिखते हैं। वह कहते हैं पार्टी ने फिर वहां से बॉलीवुड अभिनेत्री हेमा मालिनी को मैदान में उतारा है। वह वहां से दो बार सांसद रह चुकी हैं। अब वह जहां भी जाती हैं, उन्हें विरोध का सामना करना पड़ता है।

अंडमान एक्सप्रेस ट्रेन जम्मू के कटरा से चलती है और पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश होती हुई दो दिन में 2,876 किलोमीटर दूरी तय कर तमिलनाडु के चेन्नई पहुंचती है। सफर के दौरान यात्रियों के बीच सामान्य परिचय-हालचाल के बाद अमूमन बातचीत राजनीति पर आ ही जाती है। चुनाव का दौर है तो अधिकांश चर्चा इसी मौजूं के इर्द-गिर्द रहती है कि किसकी सरकार बननी चाहिए और कौन सत्ता में नहीं आना चाहिए।

इंजीनियरिंग के तीसरे साल के छात्र जितेंद्र सांब्याल जम्मू से ट्रेन में चढ़ते हैं। वह अपनी दादी का हालचाल लेने लुधियाना जा रहे हैं। बातचीत के दौरान उनकी यह बताने के लिए ज्यादा खुशामद नहीं पड़ी कि वह किसे वोट देंगे। वह साफ तौर पर कहते हैं, ‘मैं इस बार पहली बार वोट डालूंगा। मेरा वोट नरेंद्र मोदी को जाएगा। देखिए उन्होंने कितनी वंदे भारत ट्रेन शुरू कर दी हैं। इसके उलट इस ट्रेन को देख लीजिए, कितनी पुरानी लग रही है।’

पंजाब में एक छोटे से हॉल्ट पर कुछ समय के लिए ट्रेन रुकती है, चमकौर सिंह पानी की बोतल भर कर फिर जनरल कोच में सरक जाते हैं। सिख लाइट इन्फैंट्री में जवान सिंह दिल्ली जा रहे हैं, जहां से उन्हें नई पोस्टिंग के लिए असम जाना है। एक साल से भी कम की नौकरी में वह देश के पूर्वी हिस्से को देखने के लिए बहुत उत्सुक हैं, लेकिन वह केंद्र में भाजपा सरकार को लेकर बहुत उत्साहित नहीं हैं।

भीड़ भरे कोच में अपने लिए जगह बनाने के लिए जद्दोजहद करते हुए सिंह कहते हैं, ‘पहले की सरकारें घर से ड्यूटी पर जाने वाले जवानों के लिए ट्रेन में बैठने की व्यवस्था करती थीं, लेकिन अब ऐसा नहीं है। जवानों को अपनी व्यवस्था स्वयं करनी पड़ती है।’ चमकौर सिंह हाल ही में शुरू की गई अग्निवीर योजना को लेकर सरकार से अधिक नाराज दिखते हैं।

वह कहते हैं, ‘चार साल के लिए कौन सेना में जाना चाहेगा? जब वह सेवानिवृत्त होगा तो उसके परिवार की वित्तीय सुरक्षा की गारंटी कौन लेगा? वह कहते हैं कि आप अपनी नौकरी जारी रखने के लिए दोबारा आवेदन कर सकते हैं, परंतु हकीकत यह है कि अधिकांश को नौकरी छोड़ने के लिए कहा जाएगा। इस योजना ने मेरे गांव के अनेक युवाओं के सपने को चकनाचूर कर दिया है।’

अंडमान एक्सप्रेस में पांच जनरल कोच लगे हैं। इनमें से एक कोच में दिल्ली से चार नेपाली युवाओं का समूह चढ़ता है। ये लड़के बंगाल-सिक्किम सीमा के पास के गांव के रहने वाले हैं और चेन्नई जा रहे हैं। जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने चेन्नई जाने के लिए यह घूमकर जाने वाली ट्रेन क्यों पकड़ी, वहीं से किसी सीधी दक्षिण का रुख करने वाली ट्रेन में क्यों नहीं बैठे, तो उन्होंने बताया कि बंगाल से दक्षिण के लिए चलने वाली किसी भी ट्रेन के अनारक्षित डिब्बे में चढ़ना लगभग असंभव होता है।

समूह में शामिल युवा शेरिंग शेरपा ने कहा, ‘आजकल दिल्ली या उत्तर प्रदेश में कोई भी काम नहीं करना चाहता। इन जगहों पर लोग उत्तर-पूर्व के लोगों को सम्मानजनक भाव से नहीं देखते। हमारे कुछ दोस्तों को यहां पीटा भी गया है। दक्षिण के बेंगलूरु या चेन्नई में इस प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाता और दिल्ली-उत्तर प्रदेश के मुकाबले वहां ठेकेदार उन्हें बेहतर मेहनताना भी देता है।’

अगली सुबह जब ट्रेन नागपुर के बाहरी इलाकों से गुजरती है तो एक सेवानिवृत्त बैंक अधिकारी विवेक देवघरे ट्रेन की खिड़की से इशारा करते हुए हाल ही में बने एक फ्लाईओवर के बारे में बताते हैं। वह कहते हैं, ‘आप भारत में कहीं भी चले जाइए, लोग इस बात को खुलकर कहते हैं कि भाजपा सरकार में सड़कें पहले से बेहतर हुई हैं। मुझे यह बताते हुए गर्व महसूस होता है कि मैं केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के लोक सभा क्षेत्र नागपुर का वासी हूं।’

देवघरे 35 लोगों के समूह में वैष्णो देवी के दर्शन करके अपने प्रदेश महाराष्ट्र लौट रहे थे। उन्होंने पूरे आत्मविश्वास से कहा, ‘उनके स्लीपर कोच में प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ एक शब्द सुनने को नहीं मिला।’ उन्होंने अपनी बात जल्दी से पूरी करते हुए कहा, ‘हमें ऐसे लोगों का विरोध करना चाहिए, जो सरकार के बारे में झूठ फैलाते हैं।’

उनकी पत्नी चंद्राबाई महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में बड़ी संख्या में किसानों के आत्महत्या करने के मामलों को गलत बताती हैं। वह फुसफुसाते हुए कहती हैं, ‘आत्महत्या के अधिकांश मामले झूठे होते हैं। जब भी किसी बुजुर्ग की मौत होती है तो परिवार के लोग धीरे से उसकी जेब में सुसाइड नोट डाल देते हैं और पुलिस को फोन कर देते हैं। इस तथ्य को इलाके में सब जानते हैं।’

ट्रेन महाराष्ट्र के सबसे बड़े हाल्ट चंद्रपुर पहुंचती है, तो सोयाबीन पकौड़ा बेचने वाले हॉकर जल्दी-जल्दी डिब्बे में चढ़ते हैं। यहां 26 वर्षीय प्रकाश कुंबी कहते हैं, ‘जब दूसरी रेल लाइन भी तैयार हो जाएगी तो अपनी उपज को शहर लाना काफी सस्ता और आसान हो जाएगा। पिछले कुछ वर्षों से सोयाबीन के किसान बहुत परेशान हैं, क्योंकि हर साल बारिश उनकी फसल बरबाद कर देती है।’ कुंबी का परिवार अपनी थोड़ी सी कृषि भूमि पर फली उगाता है। वह बताते हैं कि इस भूमि पर मेरे परिवार ने लोन ले रखा है।

बातों-बातों में तेलंगाना आ जाता है। मिट्टी अपना रंग बदलने लगती है और आदिलाबाद के खूबसूरत पहाड़ी जंगल दिखाई देने लगते हैं। वर्ष 2016 में यह जिला चार भागों में बंट गया। बड़ा हिस्सा कुमराम भीम जिले में आता है, जिसका नाम उन गोंड क्रांतिकारी पर था, जिन्होंने 1940 में हैदराबाद के निजाम के खिलाफ विद्रोह किया था।

करीमनगर जा रहे स्थानीय स्कूल शिक्षक सुरेश व्याम गोंडा बताते हैं, ‘पिछले 75 वर्षों में सरकारों से आदिवासियों को अपनी पहचान की ये एकमात्र चीज मिली है। उत्तरी तेलंगाना में पांच में से तीन विधान सभा सीट और लोक सभा क्षेत्र वर्षों से गोंड आदिवासियों के लिए आरक्षित है, लेकिन यहां के गांवों में बामुश्किल विकास के काम हुए हैं।’

गोंडा कहते हैं कि उनके समुदाय के अधिकांश लोग भाजपा और कांग्रेस के समर्थकों में बंटे हुए हैं। अधिकांश लोगों ने पिछले लोक सभा चुनाव में भाजपा को वोट दिया था, लेकिन उसके बाद विधान सभा चुनाव में कांग्रेस ने अच्छा-खासा वोट हासिल किया। हिट फिल्म

आरआरआर कुमुराम भीम के जीवन पर आधारित है। भाजपा द्वारा जिले के सबसे बड़े शहर कागजनगर में कुमुराम भीम के होर्डिंग लगाए गए हैं।

यहीं से केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल से सेवानिवृत्त सिपाही राजू नासकर ट्रेन में चढ़ते हैं। वह हजारों बांग्लादेशी शरणार्थियों की चर्चा करते हैं, जो यहां सीमाई कस्बे के ईसगांव क्षेत्र में 10 शिविरों में रह रहे हैं। वह पुलिस भर्ती की परीक्षा देने वारंगल जा रहे अपने भतीजे की ओर संकेत करते हुए कहते हैं, ‘लगभग 40,000 बंगाली इस क्षेत्र में रह रहे हैं। हमारे यहां से बहुत से लड़के सेना, अर्धसैनिक बलों में हैं। हम देश सेवा के महत्त्व को समझते हैं।’ नासकर के मन में आज भी इंदिरा गांधी के लिए बहुत सम्मान झलकता है, लेकिन कांग्रेस के मौजूदा नेतृत्व से उन्हें कोई उम्मीद नहीं है।

वह दावा करते हुए कहते हैं, ‘कांग्रेस के शासन में हमारी सीमाएं घुसपैठियों के लिए खोल दी जाएंगी, जैसा कि असम में हुआ। बच्चा-बच्चा जानता है कि मोदी देश की सीमाओं की रक्षा कर सकते हैं। लद्दाख का मामला भी तीसरे कार्यकाल में निपटा लिया जाएगा। अब चीन डरा हुआ है।’

First Published - April 21, 2024 | 10:40 PM IST

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