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रक्षा क्षेत्र में निवेश और ऑर्डर की निश्चितता जरूरी, DPM नई प्रक्रिया से होगी सरलता: राजिंदर सिंह भाटिया

रक्षा क्षेत्र में निजी कंपनियों और स्टार्टअप को अधिक अवसर, उत्पादन और समर्थन मिलेगा, भारत का लक्ष्य 1 लाख रक्षा स्टार्टअप विकसित करना और तकनीकी क्षमता बढ़ाना है

Last Updated- September 21, 2025 | 10:48 PM IST
Kalyani Group's Rajinder Singh Bhatia

नई दिल्ली में शनिवार को ब्लूप्रिंट के लॉन्च पर भारत फोर्ज की रक्षा इकाई कल्याणी स्ट्रैटजिक सिस्टम्स के चेयरमैन राजिंदर सिंह भाटिया ने भास्वर कुमार के साथ बातचीत की। पेश हैं प्रमुख अंश:

क्या रक्षा क्षेत्र में सुधारों का फायदा इस उद्योग से जुड़ी निजी कंपनियों को भी हुआ है?

एक दशक पहले अफसरशाही निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिए उतनी सकारात्मक नहीं थी, जितनी आज है। उस समय हम देश में ट्रायल नहीं कर सकते थे। हमने टेस्टिंग के लिए प्रोटोटाइप विदेश भेजे। हां, तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के कार्यकाल के दौरान उठाए गए सुधारात्मक कदमों से घरेलू स्तर पर टेस्टिंग शुरू हुई और 2019 तक रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने 150 गन को मंजूरी दी। भारतीय सेना के लिए 2025 में इनका उत्पादन शुरू हुआ। इन सुधारों से बहुत मदद मिली है, लेकिन खरीद प्रक्रियाओं और समय पर मंजूरी आदि की चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं।

आप रक्षा उत्पादन में भविष्य की क्षमता का आकलन कैसे करेंगे?

रक्षा उत्पादन में भारत ने बहुत अधिक प्रगति की है। पिछले 12 वर्षों में कंपनियों का  उत्पादन एकल अंक से चार अंकों में हो गया है। तकनीकी और विनिर्माण आधार पहले से कहीं अधिक मजबूत हो गया है। इसमें खरीद सुधार, तेज प्रक्रियाएं और कुशलतापूर्वक खर्च जैसे मुद्दे महत्त्वपूर्ण होते हैं।

स्टार्टअप क्षेत्र की अभी और क्या-क्या जरूरतें हैं?

स्टार्टअप को ‘वैली ऑफ डेथ’ का सामना करना पड़ता है। यहां प्रोटोटाइप से उत्पादन चरण में जाने के दौरान निवेश और समर्थन की कमी के कारण 80% स्टार्टअप विफल हो जाते हैं। वर्ष 2018-19 से पहले रक्षा क्षेत्र में 10 से कम स्टार्टअप ही थे। आज पंजीकृत स्टार्टअप की संख्या 3,000 से अधिक है। इनमें से 1,100 को पहले ही ऑर्डर मिल चुके हैं। भारत में वर्तमान में लगभग 157,000 रजिस्टर्ड स्टार्टअप हैं। इनमें लगभग 33,000 प्रौद्योगिकी क्षेत्र से जुड़े हैं और केवल 9,000 ही रक्षा क्षेत्र में काम करते हैं। इनमें से सफल कहे जाने वाले बहुत कम हैं। इजरायल जैसे देश के मुकाबले हमारी प्रति व्यक्ति संख्या बहुत कम है। हमें डिफेंस, एरोस्पेस और टेक्नॉलजी में 100,000 स्टार्टअप विकास का लक्ष्य रखना चाहिए।

यदि भारत की रक्षा जरूरतें बढ़ती हैं तो क्या निजी क्षेत्र पूर्ति कर सकता है?

पांच साल पहले तक कई रक्षा प्रणालियां निजी क्षेत्र की पहुंच से बाहर थी। आज, कंपनियां रक्षा क्षेत्र की कई कैटेगरी में अग्रणी निर्माणकर्ता बनी हुई हैं। उत्पादन को बढ़ाना कोई समस्या नहीं है, लेकिन यह ऑर्डर में निश्चितता और समय-सीमा के भीतर काम पूरा करने पर निर्भर करता है। सशर्त अनुबंधों के कारण होने वाली देरी, ट्रायल और मंजूरी के लिए इंतजार करने से उत्पादन प्रभावित होता है। भारत के पास रक्षा उत्पादन में निवेश करने के लिए पर्याप्त पूंजी मौजूद है।

क्या नया रक्षा खरीद मैनुअल महत्त्वपूर्ण पड़ाव का संकेत है?

डीपीएम को मंजूरी दे दी गई है, लेकिन अभी तक जारी नहीं किया गया है। रक्षा सचिव से मिले शुरुआती संकेत काफी उत्साहजनक हैं, लेकिन मुख्य रूप से रूटीन राजस्व जरूरत मुद्दा है। इस समय एक ऐसी सरल और तेज रक्षा खरीद प्रक्रिया की जरूरत है।

First Published - September 21, 2025 | 10:48 PM IST

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