मनुष्यों को लगने वाले टीकों (वैक्सीन) के उत्पादन में भारत दुनियाभर में काफी आगे हैं। लेकिन पशुओं को लगाए जाने वाले टीकों (वेटरनरी वैक्सीन) का उत्पादन भारत में बहुत कम होता है। भारत को पशु टीका के रिसर्च एंड डेवलपमेंट और प्रोडक्शन का ग्लोबल हब बनाने के लिए, इस सेक्टर की अग्रणी कंपनियों ने वेटरनरी वैक्सीन इंडिया मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (VVIMA) का गठन किया है। दुनिया भर में इस समय वेटरनरी वैक्सीन का बाजार करीब एक लाख करोड़ रुपये का है। लेकिन भारत की इसमें भागीदारी महज दो हजार करोड़ रुपये की ही है।
VVIMA पशु चिकित्सा टीकों में इनोवेशन, गुणवत्तापूर्ण निर्माण और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता के लिए एक सक्षम इकोसिस्टम बनाने हेतु नीति निर्माताओं, नियामकों और हितधारकों के साथ सक्रिय रूप से सहयोग करेगा। इसका उद्देश्य भारत को पशु टीकों के अनुसंधान, विकास और उत्पादन के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करना है।
यह संगठन प्रभावी टीकाकरण रणनीतियों के माध्यम से पशु स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, जिससे पशुओं में बीमारियों के जोखिम, पशुओं और मनुष्यों के बीच रोग संचरण के जोखिम को कम करने के साथ-साथ ग्रामीण भारत में पशुपालन में शामिल लोगों की आय में सुधार होगा।
हाल में इसके सदस्यों की नियुक्ति हुई है। इसमें बायोवेट प्राइवेट लिमिटेड, ब्रिलियंट बायो फार्मा, ग्लोबियन इंडिया, हेस्टर बायोसाइंसेज लिमिटेड, इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स लिमिटेड, इंडोवैक्स प्राइवेट लिमिटेड और वेंकटेश्वर हैचरीज प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं।
इसके अध्यक्ष हेस्टर बायोसाइंसेज के एमडी राजीव गांधी और उपाध्यक्ष इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स के एमडी डॉ. के. आनंद कुमार हैं। संगठन के संस्थापक सदस्यों और पशुपालन एवं डेयरी विभाग के बीच एक बैठक हुईं, जिसमें तय हुआ कि यह संगठन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप काम करेगा जिसका लक्ष्य भारत को पशु चिकित्सा टीकों का वैश्विक आपूर्तिकर्ता बनाना है।
एक अनुमान के मुताबिक भारत का पशु चिकित्सा टीका बाजार करीब 2,000 करोड़ रुपये का है। जबकि विश्व पशु चिकित्सा टीका बाजार करीब एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का है। फिलहाल भारत में आठ निजी क्षेत्र के पशु चिकित्सा टीका निर्माता और कई सरकारी स्वामित्व वाली पशु चिकित्सा टीका निर्माण इकाइयां कार्यरत हैं। भारत में पशु चिकित्सा टीके मुर्गी, मवेशी, भेड़, बकरी, सूअर और पालतू जानवरों की बीमारियों के लिए निर्मित किए जाते हैं। सरकार इसे और बढ़ाना चाहती है।
विभिन्न राष्ट्रीय और राज्य टीकाकरण कार्यक्रमों के तहत, भारत सरकार फुट एंड माउथ डिजीज (एफएमडी), ब्रुसेलोसिस, पेस्ट डेस पेटिट्स रूमिनेंट्स (पीपीआर), गोट पॉक्स (गांठदार त्वचा रोग के लिए), और क्लासिकल स्वाइन फीवर के लिए टीके खरीदता और वितरित करता है। सभी स्थानीय स्तर पर निर्मित होते हैं, मुख्य रूप से निजी क्षेत्र द्वारा आपूर्ति की जाती है।