भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) सोमवार से तीन दिन की अहम बैठक शुरू करने जा रही है। इस बैठक में ब्याज दरों (रीपो रेट) पर फैसला लिया जाएगा, जिसका ऐलान 1 अक्टूबर को होगा। इस बार सबकी नजर इस बात पर है कि क्या RBI ब्याज दरों में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती करेगा या फिर पुरानी नीति पर ही कायम रहेगा। इस बीच, वैश्विक तनाव और अमेरिका द्वारा भारतीय निर्यात पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने जैसे मुद्दे भी चर्चा का हिस्सा हैं।
SBI की एक ताजा रिसर्च रिपोर्ट ने सुझाव दिया है कि RBI को ब्याज दरों में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती करनी चाहिए। रिपोर्ट का कहना है कि यह कटौती मौजूदा हालात में सबसे अच्छा विकल्प है। इसके पीछे तर्क है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित मुद्रास्फीति (इन्फ्लेशन) लगातार कम हो रही है। अगले वित्त वर्ष में भी यह नियंत्रण में रहने की उम्मीद है। फरवरी से अगस्त तक RBI ने तीन बार में कुल 100 बेसिस पॉइंट की कटौती की थी। लेकिन अगस्त में हुई पिछली बैठक में RBI ने कोई बदलाव नहीं किया और इंतजार करने की रणनीति अपनाई।
हालांकि, सभी एक्सपर्ट इस कटौती के पक्ष में नहीं हैं। बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सभनवीस का कहना है कि इस बार भी रीपो रेट में बदलाव की गुंजाइश कम है। उनका मानना है कि मुद्रास्फीति 4 फीसदी के लक्ष्य से काफी नीचे है और GST 2.0 के बाद भी यह कम रहेगी। साथ ही, इस साल आर्थिक वृद्धि 6.5 फीसदी से ऊपर रहने की उम्मीद है। ऐसे में अमेरिकी टैरिफ का असर होने के बावजूद तुरंत कटौती की जरूरत नहीं है। सभनवीस ने कहा कि अगर भविष्य में निर्यातकों के लिए कोई विशेष पैकेज आता है, तभी दरों में कटौती पर विचार हो सकता है।
वहीं, क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री धर्मकीर्ति जोशी का मानना है कि अक्टूबर में कटौती हो सकती है। उनका कहना है कि कोर इन्फ्लेशन, जो मांग के दबाव को दर्शाता है, ऐतिहासिक रूप से काफी कम है। GST दरों में बदलाव से भी मुद्रास्फीति और कम होगी। साथ ही, अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने हाल ही में अपनी ब्याज दरों में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की है और इस साल 50 बेसिस पॉइंट की और कटौती की उम्मीद है। इससे RBI को भी अपनी नीति में बदलाव करने की थोड़ी गुंजाइश मिल सकती है।
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22 सितंबर से GST की दरों को दो स्तरों- 5 फीसदी और 18 फीसदी- में समेट दिया गया है। पहले 5, 12, 18 और 28 फीसदी की दरें थीं। इस बदलाव से रोजमर्रा की 99 फीसदी चीजों के दाम कम हुए हैं। आईसीआरए की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर का कहना है कि GST में बदलाव से 2025-26 के तीसरे और चौथे क्वार्टर में मुद्रास्फीति 25-50 बेसिस पॉइंट तक कम हो सकती है। पूरे साल के लिए औसत इन्फ्लेशन 2.6 फीसदी रह सकता है। लेकिन उनका मानना है कि यह नीतिगत बदलाव मांग को बढ़ा सकता है, जिसके चलते अक्टूबर में रीपो रेट में बदलाव की संभावना कम है।
SBM बैंक के मंदार पिताले ने भी यही राय दी कि RBI इस बार रीपो रेट को जस का तस रख सकता है। उनका कहना है कि RBI नकदी रिजर्व अनुपात (CRR) में पहले की गई कटौती का असर देखना चाहेगा। साथ ही, सरकार की ओर से कोई और आर्थिक कदम उठाए जाने का इंतजार करेगा। हालांकि, दिसंबर की बैठक में अगर आर्थिक वृद्धि और मुद्रास्फीति की स्थिति अनुकूल रही, तो कटौती की थोड़ी संभावना बन सकती है।
RBI की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, फरवरी से अगस्त तक रीपो रेट में की गई 100 बेसिस पॉइंट की कटौती का असर बैंकों की उधार और जमा दरों पर साफ दिखा है। यह कटौती बाजार में अच्छे तरीके से लागू हुई है। अब देखना यह है कि क्या RBI इस बार फिर से दरों में बदलाव का रास्ता चुनता है या सतर्कता बरतते हुए पुरानी नीति पर ही कायम रहता है।
(PTI के इनपुट के साथ)