भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के प्रबंध निदेशक रत्नाकर पटनायक ने कहा है कि सरकार अधिक मूल्य वाली पॉलिसी से प्राप्त आय पर कराधान की सीमा बढ़ाने पर विचार कर सकती है। सीआईआई के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि इसकी मौजूदा सीमा 5,00,000 रुपये है जिसे बढ़ाकर 10 लाख रुपये किया जाए।
सरकार ने फरवरी 2023 में यूनिट-लिंक्ड उत्पादों (यूलिप) के अलावा पारंपरिक उन बीमा पॉलिसियों से होने वाली आय पर कर लगाने का फैसला किया था जिनका सालाना प्रीमियम 5 लाख रुपये से अधिक है। इसका उद्देश्य दुरुपयोग को रोकना था। धनाढ्य व्यक्ति (एचएनआई) आयकर कानून की धारा 10(10डी) के जरिये अधिक मूल्य वाली अपनी बीमा पॉलिसियों पर करमुक्त रिटर्न हासिल करने कर रहे थे। इससे जीवन बीमा कंपनियों के मार्जिन को झटका लग रहा था। इससे निपटने के लिए उन्हें अपनी पॉलिसियों को समायोजित करना पड़ा ताकि सरकार द्वारा किए गए उपायों के प्रभाव को कम किया जा सके।
पटनायक ने सरकार से आग्रह किया कि बीमा के लिए जीएसटी पर नए सिरे से विचार किया जाए ताकि बीमाकर्ता इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) तक दोबारा पहुंच हासिल कर सकें। जीएसटी में हालिया संशोधन के तहत इसे वापस ले लिया गया है। इससे अधिकतर बीमा कंपनियों के मार्जिन को झटका लगा है। हाल में सरकार ने व्यक्तिगत जीवन बीमा व स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों के प्रीमियम पर जीएसटी को 18 फीसदी से घटाकर शून्य कर दिया है। साथ ही इनपुट टैक्स क्रेडिट को भी हटा दिया गया है। इसलिए बीमा कंपनियां जीएसटी पर इनपुट टैक्स क्रेडिट दावा नहीं कर सकती हैं।